Gopasthami is the festival of worship of Shri Krishna and cow tomorrow: The significance of this festival is associated with Govardhan mountain and Krishna grazing cows | श्रीकृष्ण और गाय की पूजा का पर्व गोपाष्टमी कल: गोवर्धन पर्वत और कृष्ण के गाय चराने से जुड़ी है इस त्योहार की मान्यता

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20 मिनट पहले

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कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष के आठवें दिन गाय और भगवान कृष्ण की पूजा होती है। मान्यता है इस महीने की पहली तिथि पर श्रीकृष्ण ने बाढ़ से ब्रज वालों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत उठाया था। इसके बाद आठवें दिन यानी अष्टमी को इंद्र ने श्रीकृष्ण से माफी मांगी थी और कामधेनु ने अपने दुध से भगवान का अभिषेक किया, इसलिए गोपाष्टमी पर गायों और बछड़ों को सजाया जाता है। उनकी पूजा होती है। ये पर्व मथुरा, वृंदावन ब्रज और अन्य जगहों पर खासतौर से मनाया जाता है।

एक और मान्यता के मुताबिक इस दिन से ही श्रीकृष्ण ने गाय चरानी शुरू की थी। माता यशोदा प्रेम के कारण श्रीकृष्ण कभी गाय चराने नहीं जाने देती थीं, लेकिन एक दिन कृष्ण ने गाय चराने की जिद की। तब यशोदा ने ऋषि शांडिल्य से मुहूर्त निकलवाया और पूजन के लिए श्रीकृष्ण को गाय चराने भेजा। पुराणों में बताया गया है कि गाय में सभी देवी-देवताओं का वास होता है, इसलिए गाय की पूजा से सभी देवी-देवता प्रसन्न होते हैं।

भविष्य पुराण: गाय के शरीर में देवी-देवता और ऋषियों का वास भविष्य पुराण के अनुसार गाय को माता यानी लक्ष्मी का रूप माना गया है। इस पुराण के मुताबिक गाय की पीठ में ब्रह्म का वास है, गले में विष्णु, मुख में रुद्र, बाकी शरीर में सभी देवताओं और रोम-रोम में महर्षियों, पूंछ में अनंत नाग, पैर में सभी पर्वत, गौमूत्र में गंगा जैसी नदियां, गोबर में लक्ष्मी और आंखों में सूर्य-चन्द्र का अंश रहता है।

गोपाष्टमी की परंपराएं

  1. गाय और बछड़े को सुबह नहलाकर तैयार किया जाता है। उसका श्रृंगार किया जाता हैं, पैरों में घुंघरू बांधे जाते हैं, अन्य आभूषण पहनाएं जाते हैं।
  2. गौ माता के सींगो पर चुनड़ी का पट्टा बाधा जाता है। सुबह जल्दी उठकर स्नान करके गाय के चरण स्पर्श किए जाते हैं।
  3. गाय की परिक्रमा की जाती हैं। इसके बाद उन्हें चराने बाहर ले जाते है। इस दिन ग्वालों को भी दान दिया जाता हैं। कई लोग ग्वालों को नए कपड़े देकर तिलक लगाते हैं।
  4. शाम को जब गाय घर लौटती है, तब फिर उनकी पूजा की जाती है, उन्हें अच्छा भोजन दिया जाता है। खासतौर पर इस दिन गाय को हरा चारा, हरा मटर एवं गुड़ खिलाया जाता हैं।
  5. जिनके घरों में गाय नहीं होती है वे लोग गौ शाला जाकर गाय की पूजा करते है, उन्हें गंगा जल, फूल चढाते है, दीपक लगाकर गुड़ खिलाते है। गौशाला में भोजन और अन्य समान का दान भी करते है।
  6. औरतें कृष्ण जी की भी पूजा करती है, गाय को तिलक लगाती है। इस दिन भजन किये जाते हैं। कृष्ण पूजा भी की जाती हैं।

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