कोर्ट ने कहा-पुलिस ने जो आरोप लगाया, वह साक्ष्य को कनेक्ट नहीं करता है
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कोतवाली थाने से सटे डाकबंगला चौराहे के पास दिल्ली के कोराबारी अंसार अली से 3 करोड़ का 5 किलो सोना लूटने आैर उनके बेटे एहतेशाम अली को गोली मारकर घायल करने के मामले में पुलिस ने घटना के चार दिन बाद 11 मार्च को ही मुख्य आरोपी सैयद अली रजा हाशमी को गिरफ्तार किया था। 7 मार्च को दिनदहाड़े हुई इस लूट आैर गोलीबारी के बाद पुलिस ने जांच की तो घटनास्थल पर अली रजा सीसीटीवी फुटेज में दिखा था। लेकिन, पुलिस ने जांच में बड़ी लापरवाही कर दी। निचली अदालत से उसे जमानत नहीं मिली, पर हाईकोर्ट ने करीब एक माह पहले उसे जमानत दे दी। जमानत देने के दौरान हाईकोर्ट ने लिखा-पुलिस ने उसका टीआई परेड यानी टेस्ट आइडेंटिफिकेशन परेड नहीं कराई। कोर्ट ने अपने अॉर्डर में यह भी लिखा कि पुलिस ने उसे संदिग्ध मान गिरफ्तार करने के बाद जेल भेजा था। कोर्ट का कहना है कि हाशमी पर पुलिस ने जो आरोप लगाया वह पुलिसिया साक्ष्य को कनेक्ट नहीं करता है।
तीन माह बाद भी पुलिस संलिप्तता साबित नहीं कर सकी : एक्सपर्ट
पटना हाईकोर्ट के वकील प्रभात भारद्वाज का कहना है कि पुलिस प्रशासन, थानाध्यक्ष और जांच अधिकारी का यह गैरजिम्मेदाराना रवैया है। राजधानी में हथियार के बल पर लूट होती है, पुलिस अपराधी को गिरफ्तार करती है, मगर लापरवाही कहे या आरोपी को मदद पहुंचाने की कोशिश, पुलिस पकड़े गए आरोपी की टीआई परेड तक नहीं करवाती है। तीन माह बाद भी पुलिस उसकी संलिप्तता साबित नहीं कर सकी। पुलिसिया जांच की विफलता को आधार बना कर आरोपी को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई।
अली रजा के सुराग पर ही अन्य आरोपी पकड़ाए
अली रजा एनएसयूआई, पटना विवि का पूर्व छात्र नेता है। वह वैशाली के गोरौल थाने के खाजेचंाद छपरा का रहने वाला है। 11 मार्च को जब उसकी गिरफ्तारी हुई तो पुलिस ने तीन बाइक, घटना में इस्तेमाल एक मोबाइल आैर दो हेलमेट बरामद किए थे। अली रजा के सुराग पर ही फरार चल रहे आरोपी बंटी उर्फ प्रतीक के ठिकाने पर छापेमारी की गई। बंटी पटना लॉ कॉलेज का थर्ड इयर का छात्र है। पुलिस की बढ़ती दबिश देख बंटी ने 9 अप्रैल को कोर्ट में सरेंडर कर दिया। उसके बाद पुलिस ने 15 जून को इसी मामले के आरोपी राजू पटेल उर्फ भैयाजी उर्फ भाईजी को गायघाट से गिरफ्तार कर लिया। उसके ठिकाने से पुलिस ने लूट का 800 ग्राम सोना बरामद किया था। राजू ने मूल रूप से यूपी के बलिया का रहने वाला है, पर वह सारण आैर आरा में रहता है। अब भी इस मामले में बाबर उर्फ फहीम आैर लक्की फरार चल रहे हैं।
पुलिस को करानी चाहिए थी टीआई परेड एफएसल जांच भी : पूर्व डीजीपी | पूर्व डीजीपी अभयानंद ने कहा कि पुलिस को मुख्य आरोपी की टीआई परेड करानी चाहिए थी। गोली चली है तो आरोपी की अंगुली, उसके कपड़े आैर बरामद बाइक की भी एफएसएल जांच करानी चाहिए थी। लूटपाट में सोने से भरे बैग की छीनाझपटी हुई तो बैग की भी एफएसएल जांच जरूरी है। गोली चलने के बाद जब घायल का खून निकला होगा तो हो सकता है कि बाइक आैर हेलमेट पर भी छींटे पड़े हों। हेलमेट आैर बाइक की भी एफएसएल जांच जरूरी है। एफएसएल की सभी तरह की जांच पटना में उपलब्ध है। आईआे को इस तरह की जांच के लिए ट्रेनिंग की जरूरत है। बकौल डीजीपी 12 साल पहले बिहटा इलाके में एक बैंक मैनेजर की हत्या हुई थी। ब्लाइंड केस था। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया, फिर बाइक पर लगे मैनेजर के खून की एफएसएल जांच कराई गई तो वे मेल कर गया था।