16 घंटे पहले
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आज नवरात्रि का चौथा दिन है। नवरात्रि में पूजा-पाठ के साथ ही देवी मां कथाएं पढ़ने-सुनने की भी परंपरा है। देवी की कथाएं पढ़ें-सुनें और उनकी सीख को जीवन में उतारने का संकल्प लें, तभी जीवन में सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं। जानिए देवी पार्वती की एक ऐसी कथा, जिसमें देवी ने दूसरों की भलाई करते रहने का संदेश दिया है…
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, ब्रह्मवैवर्त पुराण में भगवान शिव, पार्वती और एक मगरमच्छ की कथा है। इस कथा के अनुसार माता पार्वती शिव जी को पति रूप में पाने के लिए वन में कठोर तप कर रही थीं। देवी को तप करते हुए कई वर्ष बीत चुके थे।
एक दिन देवी ने वन के तालाब में देखा कि एक मगरमच्छ ने छोटे से बच्चे का पैर पकड़ रखा है। बच्चा दर्द की वजह से जोर-जोर से चिल्ला रहा था। मगरमच्छ उस बच्चे को खाकर अपनी भूख मिटाना चाहता था। बच्चे की दशा देखकर देवी पार्वती को उस पर दया आ गई।
देवी मां ने मगरमच्छ से कहा कि आप इस बच्चे को छोड़ दीजिए। मगरमच्छ ने कहा कि माता अगर मैं इसे छोड़ दूंगा, तो मैं भूखा मर जाऊंगा। ये तो मेरा आहार है।
देवी ने एक बार फिर उस मगरमच्छ से निवेदन किया, तो उसने कहा कि मैं इसे छोड़ देता हूं, लेकिन आप मुझे अपनी पूरी तपस्या का पुण्य दे दीजिए।
माता पार्वती ने बिना विचार किए अपनी पूरी तपस्या का पुण्य उस मगरमच्छ को दे दिया। तप का पुण्य मिलते ही मगरमच्छ ने उस बच्चे को छोड़ दिया, इसके बाद उस मगरमच्छ को मुक्ति मिल गई और उसे स्वर्ग की प्राप्ति हो गई।
बच्चे की जान बचाकर देवी मां प्रसन्न थीं। इसके बाद देवी तप करने के लिए तैयारी कर रही थीं, तभी वहां भगवान शिव प्रकट हुए और देवी के तपदान से प्रसन्न हो गए और देवी की मनोकामना पूरी करने का वरदान दिया। इसके बाद देवी पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ।
जीवन प्रबंधन की महत्वपूर्ण टिप्स
- समस्या का सामना करना और समाधान खोजना
मगरमच्छ की भूख और बच्चे की जान की समस्या एक जटिल स्थिति थी। देवी पार्वती ने सीधे मुकाबले करने की जगह समाधान की राह चुनी। जीवन में भी जब हमें जटिल समस्याओं का सामना करना पड़ता है, तो गुस्से या हड़बड़ी में निर्णय लेने के बजाय धैर्य और समझदारी से समाधान खोजना आवश्यक होता है।
- परस्पर सहानुभूति और सहयोग की भावना
देवी पार्वती ने मगरमच्छ की दशा को समझा और क्रोध नहीं किया। जीवन में भी हमें दूसरों की परेशानियों और आवश्यकताओं को समझना चाहिए। सहानुभूति से रिश्ते मजबूत होते हैं और सहयोग से समस्याएं हल होती हैं।
- बलिदान और त्याग का महत्व
देवी ने अपनी तपस्या का पूरा पुण्य मगरमच्छ को दे दिया, जो एक बड़ा त्याग था। जीवन में भी कभी-कभी हमें अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर दूसरों की भलाई के लिए बलिदान देना पड़ता है। यह त्याग अंततः हमें मानसिक शांति और सफलता दिलाता है।
- धैर्य और विश्वास बनाए रखना
देवी पार्वती ने एक कठिन परिस्थिति में धैर्य नहीं खोया और विश्वास बनाए रखा। जीवन की कठिनाइयों में धैर्य और विश्वास ही हमें सही दिशा दिखाते हैं।
- सकारात्मक परिणाम की उम्मीद
कथा में देवी की तपस्या और दया का सकारात्मक फल मिला। यह बताता है कि अगर हम सकारात्मक सोच और प्रयास से जीवन को प्रबंधित करें, तो निश्चित ही अच्छे परिणाम मिलते हैं।