इस महीने की शुक्ल एकादशी पर गीता जंयती (11 दिसंबर) मनाई जाती है। इसी तिथि पर द्वापर युग में महाभारत युद्ध से ठीक पहले श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था।
कौरव और पांडवों के बीच महाभारत युद्ध शुरू होने वाला था। श्रीकृष्ण अर्जुन के सारथी बने थे। ठीक से ठीक पहले अर्जुन ने श्रीकृष्ण से कहा था कि वे रथ को दोनों सेनाओं के बीच ले चलें, वे कौरव पक्ष में भीष्म पितामह, गुरु द्रोण, कृपाचार्य आदि लोगों को देखना चाहते थे।
अर्जुन की बात मानकर श्रीकृष्ण ने रथ आगे बढ़ा दिया और जब वे दोनों सेनाओं के बीच पहुंचे, तब अर्जुन ने कौरव पक्ष में अपने कुटुंब के लोगों को देखा तो युद्ध करने का विचार ही त्याग दिया। अर्जुन ने श्रीकृष्ण से कहा कि मैं ये युद्ध नहीं कर चाहता हूं।
अर्जुन की ये बात सुनकर श्रीकृष्ण समझ गए कि अर्जुन भ्रम में फंस गए हैं। तब भगवान ने अर्जुन का भ्रम दूर करने के लिए गीता का उपदेश दिया। भगवान ने अर्जुन को धर्म के मार्ग पर चलने और फल की चिंता किए बिना कर्म करने का संदेश दिया था।
श्रीकृष्ण की बातें सुनकर अर्जुन का भ्रम दूर हो गया और वे युद्ध करने के लिए तैयार हो गए। माना जाता है कि ये घटना अगहन मास के कृष्ण पक्ष की ही थी। इसी वजह से इस दिन गीता जयंती मनाई जाती है।