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- Garudadev Defeated The Gods And Obtained The Nectar, Motivational Story Of Garundev And Vishnu Ji, Life Management Tips About Happiness
13 घंटे पहले
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भगवान विष्णु के वाहन गरुड़देव से जुड़ा किस्सा है। गरुड़ की माता का नाम विनता था। विनता अपनी सौतन कद्रू की दासी थी। कद्रू के पुत्र सर्प थे और गरुड़ को भी अपनी माता के कारण कद्रू के साथ उसके सर्प पुत्रों की सेवा करनी पड़ती थी। एक दिन गरुड़ ने अपनी सौतेली माता कद्रू से पूछा कि माता, हम आपकी दासता से मुक्त होना चाहते हैं, कृपया करके बताइए कि आप हमें इस दासता से कब मुक्त करेंगी?
कद्रू ने कहा कि गरुड़, अगर तुम स्वर्ग से अमृत लाकर मुझे दे दोगे, तो मैं तुम्हें और तुम्हारी माता को इस दासता से मुक्त कर दूंगी।
दासता से मुक्त होने के लिए गरुड़ तुरंत ही स्वर्ग की ओर निकल पड़े। वहां पहुंचकर उन्होंने देवताओं से युद्ध किया और सभी को पराजित कर दिया। इसके बाद वे अमृत कलश लेकर पृथ्वी की ओर लौटने लगे।
रास्ते में गरुड़ को भगवान विष्णु मिले। उन्होंने गरुड़ से पूछा कि गरुड़, तुम ये अमृत कहां ले जा रहे हो?
गरुड़ ने उत्तर दिया कि प्रभु, ये अमृत मैं अपनी सौतेली माता के लिए ले जा रहा हूं। उन्होंने वचन दिया है कि इसके बदले में वे मेरी माता को और मुझे दासता से मुक्त कर देंगी।
भगवान विष्णु ने कहा कि गरुड़, यदि तुम ये अमृत स्वयं पी लो तो तुम अमर हो जाओगे। क्या तुम ऐसा नहीं करना चाहोगे?
गरुड़ ने नम्रता से उत्तर दिया कि प्रभु, ये अमृत मेरा नहीं है। मैं ये किसी और के लिए लिए लेकर आया हूं। अगर मैं इसे पी लूं तो ये बेईमानी होगी। मैं अपनी प्रतिज्ञा और कर्तव्य को नहीं छोड़ सकता।
भगवान विष्णु ये बात सुनकर अत्यंत प्रसन्न हुए और गरुड़ को वरदान देते हुए कहा कि मैं तुम्हारी ईमानदारी से बहुत प्रसन्न हूं। तुम बिना अमृत के भी अमर हो जाओगे और सदा मेरे साथ रहोगे।
इस प्रकार गरुड़ ने संदेश दिया कि ईमानदारी से भगवान की कृपा और सुख-शांति प्राप्त की जा सकती है।
प्रसंग की सीख
- कर्तव्य पूरा करने में पीछे न हटें
गरुड़ के पास अमृत था, जिससे वे खुद अमर हो सकते थे, लेकिन उन्होंने अपने वचन को प्राथमिकता दी। गरुड़ ने संदेश दिया है कि कर्तव्य पूरा करना ज्यादा जरूरी है। जीवन में जब हम वचन निभाने और जिम्मेदारी पूरी करने को महत्व देते हैं, तभी सम्मान मिलता है।
- ईमानदारी ही असली अमृत है
गरुड़ ने सिखाया है कि अमरता धन या शक्ति से नहीं, चरित्र की पवित्रता और ईमानदारी से मिलती है। ईमानदारी ही सफलता पाने का मूलमंत्र है।
- दूसरों का भरोसा न तोड़ें
किसी ने अगर हमें भरोसा करके कोई काम दिया है, तो उसे ईमानदारी से पूरा करना चाहिए। दूसरों विश्वास खोने में एक क्षण लगता है, लेकिन उसे पाने में वर्षों लग जाते हैं।
- कठिन परिस्थिति में भी अच्छाई न छोड़ें
गरुड़ के पास अमृत पीने का मौका था, लेकिन उन्होंने अपने सिद्धांत, अपनी अच्छाई नहीं छोड़ी। कठिन समय में भी अपने मूल्य और नैतिकता को बनाए रखना ही असली ताकत है।
- ईमानदार व्यक्ति को हर जगह सम्मान मिलता है
भगवान विष्णु गरुड़ से प्रसन्न होकर उन्हें अमरत्व का वरदान दे देते हैं। जब हम सच्चे और ईमानदार होते हैं, तो परिस्थितियां भी हमारे पक्ष में काम करने लगती हैं। ईमानदार व्यक्ति को हर जगह सम्मान मिलता है।
