बर्खास्त डीएसपी गुरशेर सिंह की फाइल फोटो।
गैंगस्टर लॉरेंस की पुलिस कस्टडी में हुए इंटरव्यू मामले में बर्खास्त डीएसपी गुरशेर सिंह की मुश्किलें बढ़ गईं है। उन्हें मोहाली जिला अदालत से झटका लगा है। अदालत ने उनकी तरफ से करप्शन केस में दायर की गई जमानत याचिका को खारिज कर दिया है।
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ऐसे में अब उन्हें जेल से बचने के लिए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ेगी। पंजाब पुलिस की तरफ से आज सीनियर अधिकारी अदालत में पेश हुए । साथ ही केस की जांच से जुड़ा रिकॉर्ड अदालत में पेश किया है।
याचिका में दी थी 2 दलीलें
याचिका में गुरशेर सिंह सिद्धू ने मुख्य रूप से दो दलीलें दी थीं। उनका कहना था कि मोहाली के स्टेट क्राइम पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर गलत है। बलजिंदर सिंह उर्फ टाहला की शिकायत की जांच मोहाली के तत्कालीन एसएसपी संदीप गर्ग ने की थी।
जिन्होंने शिकायत को झूठा पाया था। हालांकि बाद में एफआईआर रोपड़ के एसपी द्वारा की गई जांच के आधार पर की गई थी। जो कि एसएसपी गर्ग से जूनियर है। अर्जी में दूसरी दलील है कि लॉरेंस बिश्नोई के इंटरव्यू विवाद में भी उन्हें बलि का बकरा बनाया गया है।

ऐसे दर्ज किया था पुलिस केस
बर्खास्त डीएसपी गुरशेर सिंह संधू के खिलाफ स्टेट क्राइम पुलिस स्टेशन, मोहाली में गंभीर आरोपों के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। एफआईआर नंबर 33 में संधू पर भारतीय दंड संहिता की धारा 417, 465, 467, 468, 471 और प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट की धारा 13/2 के तहत मामला दर्ज हुआ है।
शिकायत में आरोप है कि डीएसपी रहते हुए संधू ने अपने कार्यकाल के दौरान भोले-भाले लोगों को निशाना बनाया और फर्जी शिकायतें दर्ज करवा कर उनसे जबरन समझौता कराया। इस प्रकरण में बलजिंदर सिंह उर्फ टाला ने अपनी जान के खतरे की आशंका जताते हुए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें आरोप लगाया गया कि डीएसपी संधू ने उससे शिकायतें दर्ज करवाई और फिर पीड़ितों से समझौता करवा कर पैसे वसूले।
विजिलेंस विभाग भी मामले की अलग से जांच कर रहा है, और अफसरों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं कि आखिर कैसे ये शिकायतें डीएसपी गुरशेर सिंह संधू को मार्क होती रहीं और कैसे समझौते के नाम पर फाइल कर दी गई।