Ganesh Utsav 2024, how to worship to lord ganesh in ganesh utasav, ganesh puja vidhi, pitru paksha 2024 | मंगलवार को गणेश उत्सव का अंतिम दिन: बुधवार से शुरू होगा पितरों के लिए धूप-ध्यान करने का पर्व पितृ पक्ष, जानिए पितृ पक्ष से जुड़ी खास बातें

11 मिनट पहले

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तीज-त्यौहार के नजरिए से आने वाले दिन बहुत खास हैं। आज (14 सितंबर) जलझूलनी एकादशी है, 17 को अनंत चतुर्दशी है और 18 से पितरों की आराधना का पर्व पितृ पक्ष शुरू हो रहा है। पितृ पक्ष में पूर्णिमा से अमावस्या तक घर-परिवार के मृत सदस्यों को याद किया जाता है, उनके लिए श्राद्ध कर्म और दान-पुण्य किया जाता है। पितृ पक्ष 18 सितंबर से 2 अक्टूबर तक रहेगा। इसके बाद 3 अक्टूबर से नवरात्रि शुरू हो जाएगी।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, जलझूलनी एकादशी पर भगवान विष्णु के व्रत-उपवास और विशेष पूजा की जाती है। व्रत करने वाले भक्तों को दिनभर निराहार रहना चाहिए और विष्णु जी की कथाएं पढ़नी-सुननी चाहिए। इस दिन विष्णु जी के मंत्र ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय का जप करना चाहिए। जरूरतमंद लोगों को फल और दूध का दान करें।

अनंत चतुर्दशी पर कर सकते हैं ये शुभ काम

17 सितंबर को गणेश उत्सव का अंतिम दिन है। इस दिन गणेश पूजा के बाद भगवान की प्रतिमा का विसर्जन करना चाहिए। गणेश जी के मंत्र श्री गणेशाय नम:, ऊँ गं गणपतयै नम: का जप करना चाहिए। आप चाहें तो गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ भी कर सकते हैं।

गणेश पूजा के साथ ही भगवान शिव, देवी पार्वती, कार्तिकेय स्वामी की भी पूजा जरूर करनी चाहिए। शिवलिंग पर जल चढ़ाएं, चंदन का लेप करें। बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल, गुलाब आदि से शिवलिंग का श्रृंगार करें। धूप-दीप जलाएं। मिठाई का भोग लगाएं। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें।

गणेश जी को गजानन भी कहते हैं, क्योंकि गणेश जी का मुख गज यानी हाथी का है। इसलिए अनंत चतुर्दशी पर किसी हाथी को गन्ना जरूर खिलाएं। अगर हाथी न मिले तो गन्ना किसी मंदिर में चढ़ा सकते हैं।

पितृ पक्ष में पितरों के लिए ऐसे करें धूप-ध्यान

18 सितंबर से पितरों के लिए धूप-ध्यान, पिंडदान और श्राद्ध कर्म करने का पर्व शुरू हो रहा है। पितृ पक्ष 2 अक्टूबर तक रहेगा। इन दिनों में घर-परिवार के मृत सदस्यों की मृत्यु तिथि पर धूप-ध्यान जरूर करें।

धूप-ध्यान करने के लिए दोपहर का समय सबसे अच्छा रहता है। दोपहर करीब 12 बजे गाय के गोबर से बने कंडे जलाएं, जब कंडों से धुआं निकलना बंद हो जाए, तब अंगारों पर गुड़-घी डालें। पितरों का ध्यान करें और हथेली में जल लेकर अंगूठे की ओर से पितरों को अर्पित करें।

पितृ पक्ष में घर के बाहर कौओं, गायों, कुत्तों के लिए खाना जरूर रखें। चींटियों के लिए आटा डालें। किसी तालाब में मछलियों के लिए आटे की गोलियां बनाकर डालें। जरूरतमंद लोगों को धन, अनाज, कपड़े, जूते-चप्पल का दान करें।

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