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10 घंटे पहले
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कल (8 दिसंबर) को पौष कृष्ण चतुर्थी है। इस दिन गणेश चतुर्थी व्रत किया जाएगा। सोमवार और चतुर्थी व्रत का योग होने से इस तिथि का महत्व और अधिक बढ़ गया है। सोमवार शिव जी का प्रिय वार माना जाता है, जबकि चतुर्थी भगवान गणेश का अवतार प्रकट होने की तिथि है और चंद्रदेव सोमवार का कारक ग्रह है। इस कारण इस योग में भगवान गणेश, शिव-पार्वती और चंद्रदेव की पूजा करनी चाहिए।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, चतुर्थी गणेश जी के अवतरण की तिथि है, इसलिए चतुर्थी तिथि पर गणेश उपासना और व्रत करने की परंपरा है। शिव जी के वरदान से गणपति प्रथम पूज्य हैं और हर शुभ कार्य गणेश पूजन के साथ शुरू होता है। चतुर्थी पर की गई पूजा से भक्तों की मनोकामनाएं जल्दी पूरी हो सकती हैं।
ऐसे कर सकते हैं चतुर्थी व्रत
- इस दिन सुबह जल्दी जागना चाहिए और स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं। इसके बाद घर के मंदिर में भगवान गणेश की प्रतिमा का अभिषेक करें। अभिषेक के लिए सर्वप्रथम शुद्ध जल से प्रतिमा को स्नान कराएं, फिर दूध और फिर जल चढ़ाएं। गणपति जी को नए वस्त्र, हार-फूल अर्पित करें।
- चंदन या केसर का तिलक लगाएं। गणेश जी को दूर्वा अत्यंत प्रिय है, इसलिए पूजा में दूर्वा अवश्य अर्पित करें।
- पूजन सामग्री जैसे कुमकुम, अबीर, गुलाल, चावल, जनेऊ अर्पित करें। लड्डू-मोदक का भोग लगाएं। श्री गणेशाय नमः, ॐ गं गणपतये नमः मंत्रों का कम से कम 108 बार जप करें। धूप और दीपक जलाकर गणेश आरती करें। भगवान के सामने चतुर्थी व्रत करने का संकल्प लें।
- पूजा के अंत में जानी-अनजानी भूल के लिए क्षमा याचना करें। पूजा के बाद सभी लोगों को प्रसाद वितरित करें।
- चतुर्थी व्रत में भक्त दिनभर निराहार रहते हैं और रात में चंद्र दर्शन तथा गणेश पूजन के बाद ही भोजन करते हैं। यदि कोई व्यक्ति पूर्ण उपवास करने में असमर्थ हो, तो फलाहार, दूध, फलों के रस का सेवन कर सकता है।
चतुर्थी पर करें ये शुभ काम
चतुर्थी व्रत-पूजा के साथ दान-पुण्य का भी अत्यंत महत्व है। इस दिन जरूरतमंद लोगों को वस्त्र, जूते-चप्पल, अनाज, भोजन, या धन का दान करें। जो लोग भोजन नहीं करा सकते, वे कम से कम किसी एक व्यक्ति को जल, फल या खाने की वस्तु दान करें। गौशाला में गायों की देखभाल के लिए सहायता राशि दे सकते हैं। इसके साथ ही किसी भी मंदिर में पूजन सामग्री का दान करें।
ऐसे करें शिव-पार्वती और चंद्रदेव की पूजा
इस दिन शिवलिंग और देवी पार्वती का अभिषेक दूध, जल और गंगाजल से अवश्य करें। बिल्व पत्र, धतूरा, चंदन, चावल चढ़ाएं। मिठाई का भोग अर्पित करें। देवी दुर्गा को सुहाग का सामान जैसे चूड़ियां, लाल चुनरी, कुमकुम, सिंदूर अर्पित करें। शिव जी को जनेऊ चढ़ाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें और मनोकामनाओं की पूर्ति की कामना करें। शिवलिंग पर विराजित चंद्र देव की भी पूजा करें। पूजा में ऊँ नम: शिवाय, सों सोमाय नम: मंत्र का जप करना चाहिए।
