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- Ganesh Chaturthi Vrat On 26 May, Significance Of Ganesh Chaturthi In Hindi, Surya Puja Vidhi, Ganesh Pujan Vidhi
1 घंटे पहले
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रविवार, 26 मई को ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की चतुर्थी है। रविवार को चतुर्थी होने से इस दिन गणेश जी के साथ ही सूर्य देव की भी पूजा करने का शुभ योग बन गया है। चतुर्थी पर भगवान गणेश के लिए व्रत-उपवास किया जाता है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, चतुर्थी भगवान गणेश की जन्म तिथि है। इसी वजह से पूरे साल की सभी चतुर्थियों पर गणेश जी के लिए व्रत-उपवास करने की परंपरा है। साल में कुल 24 चतुर्थियां आती हैं और जिस वर्ष अधिकमास रहता है, उस वर्ष में 2 चतुर्थियां और बढ़ जाती हैं।
26 मई को गणेश जी के लिए व्रत-उपवास करें और साथ ही सूर्य देव की भी विशेष पूजा करें, क्योंकि ज्योतिष में रविवार का कारक ग्रह सूर्य को माना गया है। सूर्य के एक नाम रवि के नाम पर इस वार का नाम रखा गया है।
ये हैं सूर्य से जुड़ी खास बातें
सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि और राहु-केतु, ज्योतिष में ये नौ ग्रह बताए गए हैं। इन नौ ग्रहों में सूर्य को राजा माना जाता है। सूर्य की नियमित पूजा करने से कुंडली के कई ग्रह शांत हो सकते हैं।
सूर्य सिंह राशि का स्वामी है। शनिदेव, यमराज और यमुना इनकी संतान हैं। हनुमान जी ने सूर्य देव से ही ज्ञान प्राप्त किया था।
माना जाता है कि सूर्य की वजह से आत्मविश्वास बढ़ता है, घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान मिलता है। अटके कामों में गति मिलती है। रोज सुबह सूर्य की रोशनी में कुछ देर रहना हमारी सेहत के लिए लाभदायक है।
रोज सुबह स्नान के बाद तांबे के लोटे में जल भरें और उसमें चावल, लाल फूल भी डालें। इसके बाद ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जाप करते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें। ध्यान रखें जल चढ़ाने के बाद जमीन पर गिरे जल हमारा पैर नहीं लगना चाहिए।
चतुर्थी पर ऐसे कर सकते हैं गणेश जी की पूजा
आज चतुर्थी पर सूर्य पूजा के साथ दिन की शुरुआत करें। इसके बाद घर के मंदिर में या किसी अन्य गणेश मंदिर जाएं। भगवान गणेश को दूर्वा, शमी के पत्ते चढ़ाएं। लड्डू का भोग लगाएं।
गणेश जी की पूजा में दूर्वा, शमी पत्तों के साथ ही चावल, फूल, सिंदूर भी अर्पित करें। गणेश जी को दूर्वा के 22 जोड़े बनाकर चढ़ाना चाहिए।
दूर्वा किसी साफ जगह पर उगी हुई होनी चाहिए या किसी मंदिर के बगीचे में उगी हुई दूर्वा धोकर भगवान को अर्पित करें।
गणेश जी की पूजा में ऊँ गं गणपतेय नम:, ऊँ गणाधिपाय नमः, ऊँ उमापुत्राय नमः, ऊँ विघ्ननाशनाय नमः, ऊँ विनायकाय नमः, ऊँ ईशपुत्राय नमः, ऊँ सर्वसिद्धिप्रदाय नमः, ऊँ एकदन्ताय नमः, ऊँ इभवक्त्राय नमः, ऊँ मूषकवाहनाय नमः, ऊँ कुमारगुरवे नमः, इन 11 नाम मंत्रों का जप कर सकते हैं।