Ganesh Chaturthi vrat, ganesh chaturthi on 10th June, significance of ganesh chaturthi in hindi | चतुर्थी तिथि पर हुआ था गणेश जी का अवतार: सोमवार और चतुर्थी का योग 10 जून को, गणेश जी के साथ शिव जी और चंद्र देव की करें पूजा

1 घंटे पहले

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सोमवार, 10 जून को ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी है। इस तिथि पर गणेश जी के लिए व्रत-उपवास और पूजा की जाती है। सोमवार को चतुर्थी होने से इस दिन गणेश जी के साथ ही शिव जी और चंद्र देव की पूजा का शुभ योग बन रहा है।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, भगवान गणेश का अवतार चतुर्थी तिथि पर हुआ था, इस वजह से हिन्दी पंचाग के सभी चतुर्थियों पर गणेश जी के लिए व्रत-पूजा करने की परंपरा है। शिव जी के वरदान की वजह से गणेश जी प्रथम पूज्य हैं। सभी शुभ गणेश पूजन से ही शुरू होते हैं।

ज्येष्ठ शुक्ल चतुर्थी पर ऐसे कर सकते हैं गणेश पूजा

  • सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद भगवान गणेश का अभिषेक करें। अभिषेक करने के लिए गणेश जी की मूर्ति पर जल, दूध और फिर जल चढ़ाएं।
  • भगवान को नए वस्त्र पहनाएं। फूलों से श्रृंगार करें। चंदन से तिलक लगाएं। दूर्वा चढ़ाएं। लड्डूओं का भोग लगाएं।
  • कुमकुम, गुलाल, अबीर, जनेऊ आदि पूजन सामग्री भेंट करें। गणेश जी के मंत्र श्री गणेशाय नम: का जप करें।
  • धूप-दीप जलाकर आरती करें। अंत में भगवान से पूजन में हुई जानी-अनजानी गलतियों के लिए क्षमा मांगें। पूजा के बाद प्रसाद बांटें और खुद भी लें। जो लोग चतुर्थी पर व्रत करते हैं, वे इस पूजा में भगवान के सामने व्रत करने का संकल्प लें।
  • चतुर्थी व्रत में भक्त दिनभर निराहार रहते हैं। रात में चंद्र दर्शन और गणेश पूजन के बाद भोजन किया जाता है। जो लोग दिनभर भूखे नहीं रह पाते हैं, वे फलाहार और दूध का सेवन कर सकते हैं।

चतुर्थी पर कर सकते हैं ये शुभ काम

व्रत-पूजा के साथ ही चतुर्थी पर दान-पुण्य भी जरूर करें। जरूरतमंद लोगों को कपड़े, जूते-चप्पल, अनाज, धन का दान करें। किसी व्यक्ति भोजन कराएं। गौशाला में गायों की देखभाल के लिए धन दान करें। किसी मंदिर में भगवान की पूजा के लिए पूजन सामग्री का दान करें।

सोमवार और चतुर्थी के योग में करें शिव पूजा

सोमवार शिव जी की पूजा करने का विशेष महत्व है। ज्योतिष में सोमवार का कारक चंद्र को माना जाता है और चंद्र की पूजा शिवलिंग रूप में ही की जाती है। इसलिए चतुर्थी और सोमवार के योग में शिवलिंग का अभिषेक दूध से करें। बिल्व पत्र, धतुरा, चंदन, जनेऊ आदि चीजें चढ़ाकर पूजा करें। मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें।

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