Games24x7, MPL, PokerBaazi Announce Major Layoffs After India’s Real-Money Gaming Ban | भारत में कर्मचारियों को निकाल रहीं फैंटसी गेमिंग कंपनियां: MPL ने 60% और पोकरबाजी ने 45% स्टाफ निकाला; रियल-मनी गेमिंग पर बैन का असर

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नई दिल्ली1 घंटे पहले

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22 अगस्त को ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई थी। - Dainik Bhaskar

22 अगस्त को ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई थी।

भारत में रियल मनी गेमिंग पर बैन लगने के बाद फैंटसी गेमिंग कंपनियों ने अपने कर्मचारियों छटनी शुरू कर दी है। मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक माय 11 सर्कल और रमी सर्कल जैसे प्लेटफॉर्म चलाने वाली कंपनी गेम्स 24×7 ने कर्मचारियों को निकालना शुरू कर दिया है।

इसके अलावा पोकरबाजी ने 45% स्टाफ यानि करीब 200 लोगों को नौकरी से बाहर कर दिया है। वहीं भारत की सबसे बड़ी गेमिंग कंपनियों में से एक मोबाइल प्रीमियर लीग (MPL) ने भारत में अपने 60% स्थानीय कर्मचारियों (करीब 300 लोगों) की छंटनी का फैसला लिया है।

MPL के सीईओ साईं श्रीनिवास ने 31 अगस्त 2025 को अपने कर्मचारियों को एक इंटरनल ईमेल में लिखा, भारी मन से हमने फैसला लिया है कि हम अपने भारत टीम को काफी हद तक कम करेंगे। उन्होंने कहा कि भारत MPL की कमाई का 50% हिस्सा था, लेकिन अब इस बैन के बाद भारत से कोई रेवेन्यू नहीं आएगा।

22 अगस्त को ऑनलाइन गेमिंग बिल को राष्ट्रपति से मंजूरी मिली थी

इससे पहले 22 अगस्त को ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई थी। अब ये कानून बन गया है। 21 अगस्त को राज्यसभा ने और उससे एक दिन पहले लोकसभा ने प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 को मंजूरी दी थी। इस बिल को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पेश किया था।

ऑनलाइन गेमिंग कानून में 4 सख्त नियम

इस कानून में कहा गया है कि चाहे ये गेम्स स्किल बेस्ड हों या चांस बेस्ड दोनों पर रोक है।

  • रियल-मनी गेम्स पर रोक: कोई भी मनी बेस्ड गेम ऑफर करना, चलाना, प्रचार करना गैरकानूनी है। ऑनलाइन गेम खेलने वालों को कोई सजा नहीं होगी।
  • सजा और जुर्माना: अगर कोई रियल-मनी गेम ऑफर करता है या उसका प्रचार करता है, तो उसे 3 साल तक की जेल और 1 करोड़ रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। विज्ञापन चलाने वालों को 2 साल की जेल और 50 लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है।
  • रेगुलेटरी अथॉरिटी: एक खास अथॉरिटी बनाई जाएगी, जो गेमिंग इंडस्ट्री को रेगुलेट करेगी, गेम्स को रजिस्टर करेगी और ये तय करेगी कि कौन सा गेम रियल-मनी गेम है।
  • ई-स्पोर्ट्स को बढ़ावा: पबजी और फ्री फायर जैसे ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेम्स को सपोर्ट किया जाएगा। ये गेम्स बिना पैसे वाले होते हैं इसलिए इन्हें बढ़ावा मिलेगा।

मनी बेस्ड गेमिंग से आर्थिक नुकसान हो रहा

सरकार का कहना है कि मनी बेस्ड ऑनलाइन गेमिंग की वजह से लोगों को मानसिक और आर्थिक नुकसान हो रहा है। कुछ लोग गेमिंग की लत में इतना डूब गए कि अपनी जिंदगी की बचत तक हार गए और कुछ मामलों में तो आत्महत्या की खबरें भी सामने आईं।

इसके अलावा मनी लॉन्ड्रिंग और नेशनल सिक्योरिटी को लेकर भी चिंताएं हैं। सरकार इसे रोकने के लिए सख्त कदम उठाना चाहती है।

मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में कहा, “ऑनलाइन मनी गेम्स से समाज में एक बड़ी समस्या पैदा हो रही है। इनसे नशा बढ़ रहा है, परिवारों की बचत खत्म हो रही है।

अनुमान है कि करीब 45 करोड़ लोग इससे प्रभावित हैं और मिडिल-क्लास परिवारों के 20,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।” उन्होंने यह भी बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे गेमिंग डिसऑर्डर के रूप में मान्यता दी है।

ऑनलाइन गेमिंग मार्केट में 86% रेवेन्यू रियल मनी फॉर्मेट से थी

भारत में ऑनलाइन गेमिंग मार्केट अभी करीब 32,000 करोड़ रुपए का है। इसमें से 86% रेवेन्यू रियल मनी फॉर्मेट से आता था। 2029 तक इसके करीब 80 हजार करोड़ रुपए तक पहुंचने की उम्मीद थी। लेकिन अब इन्होंने रियल मनी गेम्स बंद कर दिए हैं।

इंडस्ट्री के लोग कह रहे हैं कि सरकार के इस कदम से 2 लाख नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं। सरकार को हर साल करीब 20 हजार रुपए के टैक्स का नुकसान भी हो सकता है।

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