आगर मालवा जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर जैतपुरा ग्राम पंचायत के लखमनखेड़ी गांव से सिस्टम को शर्मसार करने वाली तस्वीर सामने आई है।
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दरअसल, लखमनखेड़ी निवासी 65 वर्षीय लीला बाई पति रणजीत सिंह का मंगलवार को निधन हो गया। अंतिम संस्कार के लिए परिजन और ग्रामीण जब शव यात्रा लेकर श्मशान घाट की ओर निकले तो उनके सामने नदी पार करने की विकट समस्या आ गई। चूंकि गांव में श्मशान घाट नदी के दूसरी ओर स्थित है और नदी पर कोई पुलिया नहीं बनी है, इसलिए सभी को कमर तक पानी में उतरना पड़ा। ग्रामीणों ने भारी मन से बुजुर्ग महिला की अर्थी को पानी में से निकालते हुए नदी पार की। इस दृश्य ने व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
हर साल बारिश में यही होती है स्थिति
ग्रामीणों का कहना है कि यह समस्या पहली बार नहीं आई है, बल्कि हर बारिश के मौसम में यही स्थिति बनती है। बारिश में नदी का जलस्तर बढ़ जाता है और किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाने पर अंतिम संस्कार के लिए शव यात्रा को जान जोखिम में डालकर इसी तरह नदी पार करके श्मशान घाट तक ले जाना पड़ता है।

सरपंच ने प्रशासन पर लगाया अनदेखी का आरोप
सरपंच रामकुंवर बाई पति नागू सिंह चौहान ने बताया, “हमारे गांव में श्मशान की भूमि नहीं है, इसलिए श्मशान नदी के दूसरी ओर बनाया गया है। पुलिया निर्माण के लिए विधायक से लेकर प्रशासन तक कई बार लिखित में शिकायत और निवेदन किया गया, लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई। वर्षों से गांव के लोग इस परेशानी से जूझ रहे हैं।”
ग्रामीणों ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि अगर शीघ्र ही पुलिया निर्माण के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे। इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आजादी के 75 साल बाद भी अंतिम संस्कार जैसी बुनियादी जरूरत के लिए ग्रामीणों को इस तरह की परेशानी झेलनी पड़ रही है तो विकास के दावे कितने सच्चे हैं।