विजय पाठक | अयोध्याकुछ ही क्षण पहले
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नवरात्र के चौथे दिन अयोध्या में मां कुष्मांडा की पूजा-अर्चना का दौर जारी है। जनपद में 2158 पंडालों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी जा रही है।
कामाख्या धाम, कली माता मंदिर, राम-जानकी मंदिर समेत कई प्रमुख मंदिरों में सुबह से ही भक्तों का तांता लगा हुआ है। मंदिरों में घंट-घड़ियाल की ध्वनि गूंज रही है। श्रद्धालु अपनी श्रद्धा के अनुसार पूजा-अर्चना कर रहे हैं।
घरों में स्थापित कलश के सामने लोग दीपक जलाकर माता की आराधना कर रहे हैं। कई भक्त दुर्गा सप्तशती का पाठ कर रहे हैं। कुछ दुर्गा चालीसा का पाठ कर रहे हैं। पंडालों में महिलाएं भजन-कीर्तन में लीन हैं।
मां कुष्मांडा आठ भुजाओं वाली दिव्य शक्ति हैं। इन्हें अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है। भक्त मां को बेला के फूल और अक्षत अर्पित कर रहे हैं। भोग में मालपुआ, पेठा, दही और हलवा चढ़ाया जा रहा है।

दुर्गा पूजा के साथ दशहरे की तैयारियां भी शुरू हो गई हैं। मान्यता है कि मां कुष्मांडा की पूजा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। बीते दिन यानी तीसरे नवरात्र को मां चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना की गई थी। आज सुबह से ही माता रानी की जयकारों के साथ मठ मंदिरों और पंडालों में मां कुष्मांडा की पूजा अर्चना लोगों द्वारा की जा रही है।
पौराणिक कथा के अनुसार, जब चारों ओर केवल अंधकार था और सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कुष्मांडा ने अपनी हल्की मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की थी।