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पिंडवाड़ा रेंज के वन क्षेत्र के आरासना में अवैध रूप से कोयला बनाया जा रहा था। लकड़ियों से कोयला बनाने वहां बड़े पैमाने पर भटि्टयां बना रखी थी। यह काम जिस जगह पर हो रहा था वह वन विभाग के रेंजर की ही है। हालांकि उसका कहना है कि उसने जमीन किराये पर दे रखी
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स्थानीय स्रोतों और मजदूरों की माने तो कोयला बनाने खेजड़ी, अर्जियां, धव, नीम समेत कई बेशकीमती पेड़ों की लकड़ियों का उपयोग हो रहा था। मौके पर मौजूद मजदूरों ने बताया कि लकडियां भट्टियां में जलाकर कोयला तैयार किया जाता है और प्रति क्विंटल 600 रुपए मजदूरी देते हैं। मौके पर कई जगह खेजड़ी के काटे गए पेड़ों समेत अन्य पेड़ों की कटाई निशान दिखाई दे रहे हैं। भट्टियां, रात के अंधेरे में चलाई जाती हैं ताकि किसी को भनक न लगे।
कोयला बनाने के लिए बना रखी थी छह भट्टियां
उपवन संरक्षक दारा सिंह ने बताया कि गुरुवार देर शाम कार्रवाई की। मौके पर 33 बोरियों में भरा कोयला और लकडियां मिली। कोयला बनाने के लिए 6 भट्टियां बना रखी थी, जिन्हें जब्त किया है। मामले में जांच की जा रही है। मामले का पूरा खुलासा जांच पूरी होने पर ही हो पाएगा।
सीधी बात- रेंजर बोले-कोयला अवैध नहीं
भास्कर : अवैध कोयला बनाने मामले में आपका नाम कैसे आया रेंजर : मेरे पास आरासना में पांच बीघा बंजर जमीन है जिसे ठेकेदार को किराये पर दी थी। उसने वहां कोयले बनाना शुरू कर दिया।
भास्कर: लकड़ी से कोयला कोई भी बना सकता है क्या रेंजर : टेंडर से काम हो रहा है। गर्वमेंट ने बबूल कटाई का टेंडर दिया था। कोई ट्रेडिंग कंपनी है। जड़ समेत बबूल उसका माल होता है। बबूल का ऊपरी हिस्सा ठेकेदार ने सेल कर दिया। जड़ों वाला माल सेल नहीं होता। इसका कोयला बना रहा था।
भास्कर: विभाग ने कार्रवाई क्यों की? रेंजर : डीएफओ मेडम ने एसीएफ सर व स्टाफ को जांच के लिए भेजा था। जांच में सब साफ हो जाएगा। कोयले अवैध नहीं है।
“मौके पर कोयले मिले थे और लकडियां पड़ी थी। मामले की जांच के लिए जांच अधिकारी नियुक्त किए हैं, जो दो दिन में जांच रिपोर्ट देंगे। जो दोषी होगा उस पर कार्रवाई की जाएगी।” – मृदुला सिंह, डीएफओ, सिरोही
