पंचकूला में घग्गर नदी उफान पर है।
पंजाब के बाद अब हरियाणा में भी बाढ़ का खतरा बढ़ रहा है। यमुना, टांगरी, घग्गर, मारकंडा के अलावा छोटी बरसाती नदियां भी उफान पर हैं। यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, अंबाला, करनाल, सोनीपत, सिरसा में नदियों की वजह से बड़े पैमाने पर भूमि कटाव हुआ है और तटबंध टूटे है
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अंबाला में तो टांगरी-बेगना-मारकंडा नदियों का पानी गुरुवार को नेशनल हाईवे-344 के ऊपर से बहा।हरियाणा में के 7,353 गांवों में से 2,283 गांव प्रभावित हुए हैं। ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर एक लाख 13 किसानों ने फसलों को नुकसान बता मुआवजा मांगा है। किसानों के मुताबिक अब तक 5 से 6 लाख एकड़ फसलों को नुकसान हुआ है।
सरकार दावा कर रही है कि बाढ़ जैसी स्थिति से निपटने के लिए तैयारियां कर ली गई हैं। मुख्यमंत्री नायब सैनी सहित उनके मंत्री लगातार प्रभावित जिलों के अधिकारियों के साथ मीटिंग कर दिशा निर्देश दे रहे हैं।
दूसरी तरफ अभी तक बाढ़ जैसी स्थिति पर नजर रखने के लिए स्टेट फ्लड कंट्रोल सेंटर नहीं बना है और न ही किसी को नोडल ऑफिसर लगाया गया है। राहत और बचाव कार्यों के लिए अभी NDRF या आर्मी से कोई टाईअप नहीं हुआ है।

यहां पढ़ते हैं सूबे की नदियों से क्या बने हुए हैं हालात…
- यमुना: यमुनानगर, करनाल, पानीपत, सोनीपत में बाढ़ का खतरा हथिनीकुंड बैराज पर यमुना नदी 1 सितंबर के बाद से खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। नदी में पानी का स्तर एक लाख क्यूसेक होते ही फ्लड गेट खोल दिए जाते हैं जो 1 सितंबर से खुले हैं। इससे यमुनानगर, करनाल, पानीपत व सोनीपत के बड़े पैमाने पर भूमि कटाव हुआ है। नदी किनारे की फसलें डूबी हैं। दिल्ली के औखला बैराज से पानी छोड़े जाने के बाद फरीदाबाद में यमुना का जलस्तर डेंजर लेवल पर है।
- मारकंडा: अंबाला व कुरुक्षेत्र में नदी किनारे के गांवों में खतरा बढ़ा मारकंडा व सहायक नदी बेगना अंबाला के मुलाना क्षेत्र में कई जगह ओवरफ्लो हुई। इसका पानी नेशनल हाईवे-344 के ऊपर पहुंच गया। 12 से 15 गांवों में फसलें जलमग्न हुई हैं। मारकंडा का असल नुकसान कुरुक्षेत्र के शाहबाद इलाके में नजर आ रहा है। मारकंडा में नैसी गांव के पास दो बार दरार पड़ चुकी है, जिसकी वजह से आसपास के खेतों में पानी घुस गया। मारकंडा का पानी ठसका मीरांजी गांव को क्रॉस करके हिसार-चंडीगढ़ नेशनल हाईवे 152 पर आ गया है।
- टांगरी-मारकंडा-घग्गर : अंबाला कैंट की 15 कॉलोनियों में पलायन की नौबत अंबाला में टांगरी, मारकंडा-बेगना और घग्गर से खतरा बना हुआ है। टांगरी इस सीजन में दो बार ओवरफ्लो हो चुकी है। वीरवार को इसमें 43 हजार क्यूसेक पानी दर्ज हुआ। दो बार कम से कम 15 कॉलोनियों में पलायन की नौबत आई। अब बुधवार रात से नदी का पानी नेशनल हाईवे-344 पर बह रहा है। हाईवे की एक साइड बंद करनी पड़ी है। सौभाग्य ये रहा है कि घग्गर अभी दायरे में बह रही है। 2010 व 2023 में घग्गर की वजह से बाढ़ आई थी।
- घग्गरः सिरसा में रिंग बांध में बने गांवों में खतरा घग्गर अंबाला से हरियाणा में प्रवेश करती है और फिर कुरुक्षेत्र, कैथल, फतेहाबाद व सिरसा होकर राजस्थान में चली जाती है। घग्गर का सबसे ज्यादा खतरा आखिरी जिले सिरसा में बना हुआ है। यहां रिंग बांध में बसे 10 से 15 गांवों को डर सता रहा है। जलनिकासी बाधित होने से दो गांवों के मकानों में दरारें आईं। परिवारों को सरकारी स्कूल में शरण लेनी पड़ी।

यहां पढ़िए सरकार के बाढ़ की स्थिति बचाव व राहत को लेकर क्या दावे…
11 जिलों में HSDRF के 950 जवानों की तैनाती आईआरबी भोंड़सी की पहली बटालियन जिसमें 950 जवान शामिल हैं, को हरियाणा स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स (HSDRF) के रूप में घोषित कर दिया गया है। यह बल आपदा प्रभावित क्षेत्रों में त्वरित राहत और बचाव कार्यों के लिए तैयार रहेगी। यह टीम यमुनानगर, अंबाला, पंचकूला, करनाल, कैथल, पलवल, फरीदाबाद, कुरुक्षेत्र, हिसार, रोहतक, और गुरुग्राम जैसे संवेदनशील जिलों में तैनात की गई है।
बाढ़ से निपटने के लिए 151 नावों की तैनाती इसके अलावा HSDRF के लिए 1149 पद स्वीकृत किए गए हैं, जो आपदा प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बचाव कार्यों के लिए 151 नावों को राज्य के विभिन्न हिस्सों में तैनात किया गया है। ये नावें जलभराव और बाढ़ की स्थिति में लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने में सहायक होंगी।
SDRF को 636 करोड़ रुपए आवंटित सरकार ने इस वर्ष हरियाणा को स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड (SDRF) के तहत लगभग 636 करोड़ रुपए का आवंटन प्राप्त हुआ है। यह फंड आपदा प्रबंधन और राहत कार्यों के लिए उपयोग किया जाएगा। इसके अलावा सभी जिला उपायुक्तों (DC) को आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए रिजर्व फंड उपलब्ध कराया गया है। पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग विभाग को भी विशेष रिजर्व फंड दिया गया है।
कर्मचारियों को 24 घंटे अलर्ट रहने के निर्देश सरकार की ओर से सभी विभागों के फील्ड अधिकारी या कर्मचारी छुट्टी पर नहीं जाने की हिदायत दी है। इसके अलावा 24 घंटे ड्यूटी पर तैनात रहने के निर्देश दिए हैं। वाटर वर्क्स पर पर्याप्त लाइटिंग, सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम तथा आपदा की स्थिति में मोबाइल फोन हर समय चालू रखने पर भी जोर दिया गया है।
EC बैग प्रभावित जिलों में पहुंचाए जाएंगे इसके अलावा सभी प्रभावित क्षेत्रों में आपातकालीन नियंत्रण बैग (EC बैग) और अन्य जरूरी सामग्री भी अविलंब उपलब्ध करवाई जाने के निर्देश दिए गए हैं। क्षेत्रीय कर्मचारियों को पूरी सतर्कता के साथ तैनात रहना होगा। पंप और एचडीपीई पाइप की कमी की स्थिति में अधिकारी लोक निर्माण विभाग के नियमों के तहत खरीद की जाएगी।
15 तक ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल खुलेगा, त्वरित सर्वे शुरू करने के निर्देश बाढ़ और जलभराव से प्रभावित किसानों को राहत प्रदान करने के लिए सरकार ने ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल को 15 सितंबर तक खुला रखने का सरकार ने फैसला किया है। इस पोर्टल के माध्यम से किसान अपनी खरीफ फसलों को हुए नुकसान की जानकारी अपलोड कर सकते हैं।
अब तक लगभग 4 लाख एकड़ खरीफ फसलों के नुकसान के दावे इस पोर्टल पर दर्ज किए जा चुके हैं।सरकार ने फैसला किया है कि बारिश से हुए नुकसान के आकलन के लिए क्वीक सर्वे शुरू होगा, ताकि प्रभावित परिवारों को उचित मुआवजा और सहायता प्रदान की जा सके।
मंत्री बोले-राहत-बचाव की सभी तैयारियां पूरी हरियाणा के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री विपुल गोयल ने कहा कि प्रदेश में इस मानसून सीजन में सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई है, जिसके कारण कई क्षेत्रों में जलभराव और बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हुई है।
उन्होंने कहा कि फ्लड कंट्रोल रूम की कार्यप्रणाली, राहत सामग्री (रिलीफ स्टॉक), और रेस्क्यू इक्विपमेंट की उपलब्धता पूरी है। विभाग ने सेना, गैर-सरकारी संगठनों (NGO), और वॉलंटियर्स के साथ कोआर्डिनेशन करने की प्रक्रिया को भी मजबूत करने पर काम किया जा रहा है।

हरियाणा के इतिहास में सिर्फ एक बार ‘सरकारी बाढ़’ हरियाणा बनने के बाद से यूं तो कम से कम प्रदेश में करीब 15 बार बाढ़ की स्थिति पैदा हुई है। लेकिन सिर्फ 2023 में प्रदेश सरकार ने सरकारी तौर पर बाढ़ घोषित की थी। उस साल प्रदेश के 12 जिलों में 1354 जगह बाढ़ प्रभावित हुईं।
तब 4,475 गांवों के 1.35 किसानों ने कुल 6.62 लाख एकड़ फसल में खराबा क्लेम किया था। 5,380 घरों को नुकसान पहुंचा था। सरकारी तौर पर बरसात संबंधी कारणों से 47 मौकों की पुष्टि हुई थी। वैसे, लोग 1978, 1995, 2010 की बाढ़ को सबसे खौफनाक बताते हैं।
