नई दिल्ली1 घंटे पहले
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐलान किया है कि कस्टम सिस्टम में जल्द ही कई बड़े बदलाव किए जाएंगे। यह सरकार का अगला सबसे बड़ा रिफॉर्म होगा। इसका मकसद रूल्स को सरल बनाना है, ताकि बिजनेस और ट्रेडर्स को परेशानी न हो।
पिछले दो सालों में ड्यूटी रेट्स को धीरे-धीरे कम किया गया है और अब जो आइटम्स अभी भी हाई ड्यूटी वाले हैं, उन पर भी फोकस होगा। यह रिफॉर्म इकोनॉमी को मजबूत करने की दिशा में एक कदम है, जहां ट्रांसपेरेंसी बढ़ेगी और कंप्लायंस आसान होगा।
कस्टम रिफॉर्म का क्या मतलब है?
कस्टम्स सिस्टम वो बॉडी है जो टैरिफ कलेक्ट करती है और गुड्स के इंपोर्ट-एक्सपोर्ट को रेगुलेट करती है। इसमें व्हीकल्स, पर्सनल बिलॉन्गिंग्स और यहां तक कि डेंजरस आइटम्स का कंट्रोल भी शामिल है। सीतारमण ने कहा कि अभी यह सिस्टम थोड़ा टफ है, जिससे लोगों को कंप्लायंस में दिक्कत होती है।
उनका प्लान इसे सिंपलीफाई करना है, ताकि ट्रांसपेरेंसी आए और प्रोसेस तेज हो। वर्ल्ड कस्टम्स ऑर्गनाइजेशन के स्टैंडर्ड्स से मैच करने का भी ऐलान किया गया है। पिछले दो सालों में ड्यूटी रेट्स को लगातार कम किया गया है, लेकिन कुछ आइटम्स जहां रेट्स अभी भी ऑप्टिमल से ऊपर हैं, वहां भी कटौती की जाएगी।
हमें कस्टम्स को बहुत सरल बनाना है
वित्त मंत्री ने कहा, ‘कई चीजें बाकी हैं, लेकिन बजट से पहले कस्टम्स सिस्टम को पूरी तरह बदल दिया जाएगा। हमें कस्टम्स को बहुत सरल बनाना है, ताकि लोगों को लगे कि यह थकाने वाला या बोझिल नहीं है। कंप्लायंस के लिए रूल्स को ट्रांसपेरेंट बनाना जरूरी है।’ उन्होंने इंकम टैक्स रिफॉर्म्स का उदाहरण दिया, जहां पहले एडमिनिस्ट्रेशन की वजह से “टैक्स टेररिज्म” जैसी बातें होती थीं। अब फेसलेस असेसमेंट्स से प्रोसेस क्लीन हो गया है।
सीतारमण ने कहा, ‘इंकम टैक्स रेट्स प्रॉब्लम नहीं थे, प्रॉब्लम एडमिनिस्ट्रेशन की थी। वही चैलेंज कस्टम्स में है- प्रोसेस को स्ट्रिमलाइन करना, लेकिन अवैध सामानों को रोकना भी है।’ उन्होंने स्कैनिंग टेक्नोलॉजी पर ज्यादा भरोसा करने की बात की, ताकि कार्गो और ऑफिशियल्स के बीच डायरेक्ट कॉन्टैक्ट कम हो और डिस्क्रेशन घटे।
रिफॉर्म से फॉरेन इनवेस्टमेंट बढ़ेगा
भारत की इकोनॉमी रिफॉर्म्स की ये जर्नी पुरानी है। इंकम टैक्स में जो चेंजेस आए, जैसे फेसलेस सिस्टम। वही मॉडल अब कस्टम्स पर अप्लाई होगा। सीतारमण ने बताया कि वर्ल्ड कस्टम्स ऑर्गनाइजेशन के बेंचमार्क्स से हम हमेशा मैच करते हैं। पिछले दो सालों में ड्यूटी कट्स से ट्रेडर्स को राहत मिली है, लेकिन अभी भी कुछ सेक्टर्स में रेट्स हाई हैं।
यह ओवरहॉल ब्रॉडर इकोनॉमिक रिफॉर्म्स का हिस्सा है, जहां गवर्नमेंट का फोकस एडमिनिस्ट्रेशन को पेनलेस बनाना है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इससे बिजनेस एनवायरनमेंट बेहतर होगा और फॉरेन इनवेस्टमेंट बढ़ेगा।
ट्रेड और बिजनेस को कैसे फायदा?
यह रिफॉर्म ट्रेड को बूस्ट देगा। सिम्पल रूल्स से कंप्लायंस आसान होगा, जिससे छोटे-मझोले बिजनेस को फायदा। ड्यूटी कट्स से इंपोर्टेड गुड्स सस्ते होंगे, जो कंज्यूमर्स को राहत देंगे। साथ ही स्कैनिंग पर फोकस से सिक्योरिटी मजबूत रहेगी।
सीतारमण ने चेतावनी दी कि चैलेंज ड्यूल है- प्रोसेस को आसान बनाना और अवैध ट्रेड को रोकना। लॉन्ग टर्म में, यह इंडिया को ग्लोबल ट्रेड हब बनाने में मदद करेगा। बजट से पहले यह ‘क्लीनिंग अप असाइनमेंट’ पूरा करने का प्लान है, जिससे इकोनॉमी ग्रोथ रेट को सपोर्ट मिलेगा।
कस्टम्स ड्यूटी क्या होती है?
यह इंपोर्ट-एक्सपोर्ट पर लगने वाला टैक्स है, जो रेवेन्यू जेनरेट करता है और लोकल इंडस्ट्री को प्रोटेक्ट करता है। भारत में बेसिक कस्टम्स ड्यूटी 10% है, लेकिन कुछ आइटम्स पर यह ज्यादा है। रिफॉर्म्स से रेट्स ऑप्टिमल लेवल पर आएंगे।
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