मुंबई19 मिनट पहलेलेखक: वीरेंद्र मिश्र/अभिनव त्रिपाठी
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रील टु रियल के इस एपिसोड में ऐड फिल्मों की मेकिंग प्रोसेस पर बात करेंगे।
टीवी पर आप पान मसाला का ऐड देखते हैं, इसे बनाने में 50 करोड़ से भी ज्यादा का बजट आता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें बहुत बड़े-बड़े स्टार फीचर होते हैं। अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, अजय देवगन, अक्षय कुमार और इंटरनेशनल स्टार पियर्स ब्रॉसनन जैसे बड़े नाम पान मसाला के ऐड में दिख चुके हैं।
एक ऐड फिल्म अमूमन 10 से 30 सेकेंड के बीच होती है, लेकिन इसे बनाने में महीनों लग जाते हैं। ऐड की थीम क्या होगी। पंचलाइन क्या होगी, यह ऐड फिल्म बनाने वाले डायरेक्टर डिसाइड करते हैं।
रील टु रियल के नए एपिसोड में ऐड फिल्मों की मेकिंग प्रोसेस पर बात करेंगे। इसके लिए हमने फेमस ऐड फिल्म मेकर प्रभाकर शुक्ला से बात की।
एक ऐड फिल्म बनाने में 25 लाख से 50 करोड़ का खर्च प्रभाकर ने कहा कि आमतौर पर एक अच्छी ऐड फिल्म बनाने में 25-30 लाख रुपए का खर्च आता है। जिन ऐड फिल्मों में बड़े स्टार होते हैं और VFX-स्पेशल इफेक्ट्स का इस्तेमाल ज्यादा किया जाता है, उनका बजट करोड़ों में होता है। जैसे कि पान मसाले के ऐड में बड़ी स्टार कास्ट होती है। इसका बजट 50 करोड़ या इससे ज्यादा भी हो सकता है, क्योंकि इसमें स्टार कास्ट की फीस भी शामिल होती है।
प्रभाकर ने कहा कि शाहरुख खान, अजय देवगन और अक्षय कुमार फीचर्ड पान मसाले के ऐड को बनाने में 50 करोड़ से ज्यादा का खर्च आया था। इतने में एक अच्छी-खासी फिल्म बन जाएगी।
एक पान मसाले वाली कंपनी ने शाहरुख, अजय देवगन और अक्षय कुमार को एक ही ऐड वीडियो में कास्ट किया था।
सरकार की तरफ से पान मसाला या शराब के ऐड की इजाजत नहीं क्या सरकार पान मसाला या शराब पर ऐड फिल्म बनाने की परमिशन देती है? प्रभाकर ने कहा, ‘नहीं, सरकार की तरफ से परमिशन नहीं होती। ऐसे में ये कंपनियां पान मसाले को इलायची और शराब को सोडा वॉटर बताकर प्रचार कराती हैं। इसे सरोगेट एडवर्टाइजमेंट कहते हैं।’
इमेज का हवाला देकर ऐसे विज्ञापन करने से बचते हैं स्टार्स पहले एक्टर्स आसानी से शराब और पान मसाले का प्रचार करते थे। बाद में काफी आलोचना झेलनी पड़ी, जिसकी वजह से अब ज्यादातर स्टार्स इसे अवॉयड ही करते हैं। अच्छी फीस मिलने के बाद भी एक्टर्स अपनी इमेज का हवाला देकर इसमें काम करने से मना कर देते हैं।
अक्षय कुमार को तो बाकायदा स्टेटमेंट जारी कर माफी मांगनी पड़ी थी। अक्षय ने कहा था कि वे आगे से इन ब्रांड्स (पान मसाला) के ऐड करने से बचेंगे।
तीनों खान की फीस सबसे ज्यादा, अक्षय-अमिताभ फ्री में करते हैं सरकारी विज्ञापन प्रभाकर ने बताया कि इस वक्त फिल्म इंडस्ट्री से तीनों खान यानी शाहरुख, सलमान और आमिर ऐड फिल्म करने के सबसे ज्यादा पैसे चार्ज करते हैं। कभी-कभी ये जिस ब्रांड का ऐड करते हैं, उसमें इक्विटी या शेयर भी ले लेते हैं।
दूसरी तरफ अमिताभ बच्चन और अक्षय कुमार ऐसे दो सेलिब्रिटीज हैं, जो सरकारी विज्ञापन के लिए पैसे नहीं लेते। वे फ्री में इनके लिए ऐड फिल्म करते हैं। अमिताभ बच्चन का पोलियो और अक्षय कुमार का धूम्रपान निषेध वाला ऐड इसके उदाहरण हैं।
पोलियो के ऐड में अमिताभ बच्चन की पंचलाइन ‘दो बूंद जिंदगी की’ काफी फेमस हुई थी।
10 सेकेंड के ऐड को एक बार टेलिकास्ट करने का चार्ज 5 लाख रुपए तक प्रभाकर ने बताया कि ऐड फिल्म को टेलिकास्ट करने के लिए चैनल वाले पैसे लेते हैं। हर चैनल अलग-अलग फीस चार्ज करते हैं। कुछ चैनल 10 सेकेंड के ऐड को एक बार टेलिकास्ट करने के लिए 100 रुपए तो कुछ 50 रुपए फीस चार्ज करते हैं। कुछ चैनल 10 सेकेंड के ऐड को एक बार दिखाने के लिए 5 हजार रुपए तक भी चार्ज करते हैं। इस तरह चैनल वाले दिन भर में कई बार ऐड दिखाते हैं। जितनी बार दिखाएंगे, उतना ज्यादा पैसा उन्हें ब्रांड की तरफ से मिलता है।
जिन चैनल्स पर क्रिकेट मैच की लाइव स्ट्रीमिंग होती है, वहां 10 सेकेंड का ऐड दिखाने के लिए 3-5 लाख रुपए चार्ज किए जाते हैं।
जिन शोज की TRP बहुत ज्यादा होती है, उनकी स्ट्रीमिंग के दौरान 10 सेकेंड की ऐड फिल्म को दिखाने का चार्ज 3-4 लाख रुपए तक होता है। कुल मिलाकर जिस प्रोग्राम की ज्यादा व्यूअरशिप होती है, ऐड के टेलिकास्ट का खर्च उतना ही ज्यादा होता है।
ब्रांडिंग और प्रोडक्ट के सेल के लिए ऐड फिल्म्स बनाई जाती हैं प्रभाकर ने बताया कि इन 3 फैक्टर्स की वजह से ऐड फिल्म की मेकिंग की जाती है।
- पहला- ब्रांडिंग के लिए
- दूसरा- प्रोडक्ट की सेल (बिक्री) के लिए
- तीसरा- लोगों को प्रोडक्ट की याद दिलाने के लिए
तीसरे पॉइंट को समझाते हुए प्रभाकर ने कहा, ‘हम लोग समय-समय पर MDH मसाले का ऐड देखते हैं। इन ऐड की जिंगल की शुरुआती लाइन जैसे असली मसाले-मसाले सच-सच… सुनते ही MDH मसाले की इमेज दिमाग में क्लिक कर जाती है। इस तरह से ऑडियंस प्रोडक्ट से कनेक्ट कर पाती है, नतीजतन सेल में फायदा होता है।
सबसे जरूरी बात यही है कि किसी भी प्रोडक्ट के ऐड को बहुत ही ज्यादा इंटरेस्टिंग बनाओ, जिससे ऑडियंस कनेक्ट कर पाए और उसे खरीदने के लिए तैयार हो जाए।
प्रभाकर ने कहा कि जब MDH वाले दादाजी धर्मपाल गुलाटी का देहांत हुआ, तो सबसे बड़ी समस्या यह थी कि अब इस ऐड का फेस कौन होगा। फिर हमने एक स्ट्रैटजी बनाई। हमने उनके बेटे को ऐड का चेहरा बनाया, लेकिन बैकग्राउंड में दादाजी की तस्वीर लगा दी। इससे ऑडियंस आराम से कनेक्ट कर पाई।
एक्टर शूट पर नहीं आया तो धर्मपाल गुलाटी खुद कैमरे पर आ गए, फिर MDH वाले दादा जी बन फेमस हो गए धर्मपाल गुलाटी ने खुद अपने ब्रांड का प्रचार करने का क्यों सोचा, इसके पीछे भी एक कहानी है। दरअसल, इस ऐड के लिए एक बुजुर्ग व्यक्ति को चुना गया था। उसे ऐड की लीड हीरोइन के पिता का रोल करना था। जिस दिन शूट होना था, वो व्यक्ति पहुंच नहीं सका।
शूट के लिए लेट हो रहा था। धर्मपाल गुलाटी भी वहीं मौजूद थे। उन्होंने डायरेक्टर से देरी की वजह पूछी। डायरेक्टर ने कहा कि आप खुद ही क्यों नहीं फीचर हो जाते। वहां मौजूद लोग चौंक गए। सबको लगा कि खुद मालिक ही कैसे ऐड कर सकता है। धर्मपाल गुलाटी ने फिर कहा कि चलो, लेट मत करो मुझसे ही शूट करवा लो। बाद में जब यह ऐड टेलिकास्ट हुआ तो ऑडियंस ने इसे अच्छा रिस्पॉन्स दिया।
3 दिसंबर 2020 को 98 साल की उम्र में धर्मपाल गुलाटी का निधन हो गया।
ऐड की पंच लाइन को क्रिएट करने में 10 दिन से एक महीने लग सकते हैं किसी भी प्रोडक्ट के ऐड को लोग उसकी पंच लाइन से ही याद रखते हैं। पंच लाइन को बनाने से पहले उस प्रोडक्ट के कॉन्सेप्ट को समझा जाता है। पहले यह विचार किया जाता है कि ऐड क्यों, किस तरह और कैसे बनाना है? इसके बाद पंच लाइन और टैग लाइन पर काम किया जाता है।
पंच लाइन को क्रिएट करने में राइटिंग का सबसे मेजर रोल होता है। किसी पंच लाइन को 10 दिन में बना लिया जाता है, तो किसी को बनाने में 1 महीने का समय लग जाता है।
ऐड फिल्म की शूटिंग में VFX और स्पेशल इफेक्ट्स का भी यूज किया जाता है ऐड के नेचर के हिसाब से शूटिंग लोकेशन डिसाइड की जाती है। शूटिंग कभी रियल लोकेशन पर की जाती है, तो कभी डिमांड के हिसाब से सेट बनाए जाते हैं। जब किसी ऐड फिल्म में सेलिब्रिटी की कास्टिंग की जाती है तो रियल लोकेशन पर शूट करना बहुत मुश्किल होता है। ऐसे में सेट ही बनाए जाते हैं। सेट पर शूट करने के बाद कुछ हिस्सा VFX और स्पेशल इफेक्ट से भी क्रिएट किया जाता है।
कुछ ऐड फिल्म में मल्टीपल लोकेशन दिखाने की जरूरत होती है। अगर बजट ज्यादा रहा तो अलग-अलग जगहों पर शूट किया जाता है, लेकिन जब बजट कम होता है तो इन लोकेशन को VFX के जरिए क्रिएट किया जाता है।
स्क्रिप्ट के हिसाब से एक्टर्स की कास्टिंग की जाती है किसी ऐड फिल्म में एक्टर्स की कास्टिंग सबसे मुश्किल काम होता है। सबसे पहले यह देखा जाता है कि स्क्रिप्ट के हिसाब से ऐड फिल्म में कौन सा एक्टर फिट बैठ रहा है।
कभी-कभार कंपनियां पहले से ही एक्टर को चुन लेती हैं। फिर उस एक्टर को ध्यान में रखते हुए राइटिंग की जाती है। इस केस में कास्टिंग पहले और स्क्रिप्टिंग बाद में की जाती है।