नागौर जिला कलेक्ट्रेट पर आज सीमेंट कंपनियों पर अनियमितताओं और वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए किसानों ने जमकर आक्रोश जाहिर किया। किसानों ने सीमेंट कंपनियों की नीतियों की खिलाफत करते हुए प्रदर्शन किया और इसके बाद 12 सूत्री मांग पत्र जिला कलेक्टर को सौंपा
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किसानों की ओर से दिए गए ज्ञापन में एक दर्जन मांगों को पूरा करने की मांग की गई है। ग्रामीणों ने मांग पत्र के जरिए कहा कि सरासनी की सरहद पर प्रस्तावित जेएसडब्लू कंपनी की मनमर्जी और नीतियों के विरूद्ध 20.08.2024 से लगातार धरने पर बैठे हैं। धरने पर किसानों का कहना है कि भूमि अवाप्ति की न्यूनतम दर 15 लाख रूपये प्रति बीघा की जाए, भूमि अवाप्ति में जातीय आधार पर अनुचित अवाप्ति रोकी जाए, अवाप्ति की कार्रवाई पूरी होने तक ब्लास्टिंग या खनन शुरू ना किया जाए, किसानों को मुआवजे की राशि में दोहरी नीति ना अपनाई जाए, किसानों की भूमि अवाप्ति के लिए कंपनी को ही अनुबंध पत्र पर करार करना होगा, स्थानीय लोगों को योग्यतानुसार 80 प्रतिशत रोजगार प्राथमिकता से दिए जाएं, जो भूमि अवाप्त की जा रही है उस खातेदार के परिवार से एक व्यक्ति को योग्यतानुसार स्थाई नौकरी दी जाए, कंपनी में आउट्सोर्स से किराए पर लिए जाने वाले वाहनों में स्थानीय निवासियों के वाहनों व मशीनरी को प्राथमिकता दी जाए, इस क्षेत्र में लगने वाली कंपनी के सीएसआर फंड का उपयोग इसी क्षेत्र के विकास कार्याें में किया जाना चाहिए, कंपनी स्थापना के बाद होने वाले प्रदूषण से बचने के कारगर उपाय किए जाएं ताकि आमजन व पशु धन के स्वास्थ्य को नुकसान नहीं हो, किसानों को खुद की जमीन में चूना पत्थर के खनन के लिए लीज/पट्टा जारी किया जाए तथा सीमेंट कंपनी की ओर से किसानों पर करवाए गए मुकदमे वापस लिए जाएं।
किसानों का कहना है कि ये सीमेंट कंपनियां तय क्षेत्र में जमीन अवाप्ति को लेकर भी दोहरे मापदंड अपना रही हैं। सीमेंट प्लांट में आने वाले क्षेत्र में अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों की जमीन नहीं खरीदी जा रही है। अनुसुचित जाति वर्ग के लोगों की जमीन भी कंपनी के निर्धारित ब्लॉक में आती है। ऐसे में अनुसुचित जाति वर्ग के लोगों की जमीन कंपनी नहीं खरीदेगी तो उस जमीन की कोई उपयोगिता नहीं रहेगी। किसानों की मांग है कि अन्य किसानों की तरह अनुसुचित जाति वर्ग के लोगों की जमीन भी समान रूप से खरीदी जानी चाहिए।