‘मावा’ कोड से नकली नोटों की डील करते थे।
स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने नकली नोटों के गिरोह का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने रैकेट के दो आरोपियों सुरेशभाई उर्फ गुरुजी उर्फ चकोर मावजीभाई लाठीदड़ीया और विजय चौहान को गिरफ्तार किया है। टीम ने सुरेश के घर पूणागाम से ₹5 हजार रुपए और विजय के पास से ₹
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‘मावा’ कोड से नकली नोटों की डील आरोपी नकली नोटों को बाजार में खपाने के लिए ‘मावा’ कोड वर्ड का इस्तेमाल करते थे। जब वे नकली नोटों का लेन-देन करते थे, तो ‘मावा’ शब्द का प्रयोग करते और जब सौदा पूरा हो जाता, तो ‘सेंका मावा’ कहकर मैसेज करते थे। पुलिस अब यह भी जांच कर रही है कि क्या किसी अन्य शहर में भी यह रैकेट सक्रिय है।

आरोपियों ने पश्चिम बंगाल से खरीदे थे 6 लाख के नकली नोट।
6 लाख रुपए की नकली करंसी खपाई एसओजी को पता चला है कि सिर्फ सूरत और आसपास के इलाकों में इन लोगों ने ₹6 लाख से अधिक की नकली करेंसी खपा दी है। एसओजी के डीसीपी राजदीप सिंह नांकु ने बताया कि 15 दिनों से इनपुट मिल रहा था कि कुछ लोग नकली नोटों को पान की दुकानों और सब्जी मंडियों में चला रहे हैं। इस सूचना पर कार्रवाई की गई। सिर्फ बाजारों में ही नहीं, बल्कि आरोपी अपने कैटरिंग बिजनेस में भी नकली नोट चला रहे थे।

दोनों आरोपियों के पास से 9 हजार के नकली नोट जब्त किए गए हैं।
पश्चिम बंगाल से खरीदे थे 6 लाख के नकली नोट जांच में पता चला कि आरोपी हाई-क्वालिटी नकली नोटों का इस्तेमाल कर रहे थे। जिसमें असली नोटों की तरह हाई-ग्रेड पेपर, सिक्योरिटी थ्रेड और वाटरमार्क का इस्तेमाल किया गया था। इस कारण जब कोई इन नोटों को हाथ में लेता तो उसे असली-नकली का फर्क करना मुश्किल हो जाता है। आरोपियों ने पश्चिम बंगाल के ताहिर शेख से ₹2 लाख देकर ₹6 लाख की नकली नोट खरीदे थे।
जांच में पता चला है कि अब तक वे तीन बार नकली नोट लाकर सूरत में चला चुके हैं। गिरफ्तार आरोपी सुरेश उर्फ गुरुजी का लंबा आपराधिक रिकॉर्ड सामने आया है। छह साल जेल की सजा भी काट चुका है। इसके अलावा, जूनागढ़, वराछा और सूरत में भी कई मामले दर्ज हैं। इस बार एसओजी ने उसे डुप्लिकेट करंसी के नए मामले में फिर से गिरफ्तार किया है।

क्या इस रैकेट का बांग्लादेश कनेक्शन है ? जांच में सामने आया है कि आरोपी ताहिर शेख पश्चिम बंगाल के मालदा जिले का निवासी है, जो बांग्लादेश सीमा के करीब स्थित है। एसओजी यह पता लगाने में जुटी है कि नकली नोट बांग्लादेश से आते थे या फिर ताहिर खुद उन्हें छापता था। एक टीम ताहिर को पकड़ने पश्चिम बंगाल भेजी गई है।