इस साल राजस्थान और आस पास के दूसरे राज्यों में श्रेष्ठ वर्षा होने का अनुमान है।
इस साल राजस्थान और आस पास के दूसरे राज्यों में श्रेष्ठ वर्षा होने का अनुमान है। श्रावण मास में पांच सोमवार के प्रभाव से राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश आदि में श्रेष्ठ वर्षा होगी। पश्चिमी भारत के कुछ राज्यों में खण्डवृष्टि ह
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1727 में शुरू हुई यह परंपरा आज भी जारी है और शनिवार को 297वीं बार वायु परीक्षण कर वर्षा की भविष्यवाणी की।
वायु परीक्षण के संयोजक डॉ. रवि शर्मा ने बताया आषाढ़ी पूर्णिमा (वायुधारिणी पूर्णिमा) को श्रावणमास की वर्षा के पूर्वानुमान हेतु सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इसी समय सूर्य मिथुन राषि से कर्क राशि में प्रवेश करते है, जिससे ऋतु परिवर्तन होता है एवं गर्मी कम हो जाती है एवं वर्षा ऋतु का प्रारम्भ होता है। ज्योतिषों के अनुसार इस बार रोहिणी का निवास ‘सन्धि’ पर है, अतः समयानुकूल श्रेष्ठ वर्षा के योग बनेंगे। खण्डवृष्टि या मध्यम वृष्टि के योग बनेंगे। जौ, गेहूँ, चना, बाजरा, मूंग, मोठ आदि की पैदावार आषानुकूल होगी। वायु परीक्षण में पश्चिम दिशा की ओर वायु चलना पाया गया जिसमें श्रेष्ठ वर्षा का योग बनता है एवं बहुत जल बरसता है और खेती श्रेष्ठ होती है, साथ ही जलप्रकोप होता है। इस मौके पर मुख्य अतिथि समाजसेवक सौरभ अग्रवाल एवं सीमा अग्रवाल के अतिरिक्त वीरेन्द्र पुराहित, शालिनी सालेचा, भारती चौधरी, दिव्या पारीक, अनिल के शास्त्री, दामोदर बंसल, कीर्ति गुप्ता, रमेश शर्मा, मुकेश शास्त्री, धर्मेन्द्र खंडेलवाल आदि ज्योतिषगण उपस्थित रहे। ज्योतिषाचार्य पंडित चंद्रशेखर के अनुसार समय का वाहन ‘बैल’ होने से वर्षा की श्रेष्ठता धान्यादि के लिए उत्तम होगी। प्राकृतिक प्रकोप, भूकम्प, बम-विस्फोट से प्रजा को कष्ट होगा। वरुण नामक मेघ होने से वर्षा की अनुकूलता रहेगी। धान्यादि का उत्पादन श्रेष्ठ होगा। समय का वास धोबी (रजक) के घर होने से श्रेष्ठ वर्षा होगी। नदी, तालाब, बावड़ी जल से परिपूर्ण होंगे। धान्य की पैदावार अच्छी होगी। यह कार्यक्रम डाकोर पीठाधीश्वर स्वामी रामरतन देवाचार्य महाराज की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ।