हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) द्वारा विकसित आवासीय क्षेत्रों में स्टिल्ट प्लस 4 मंजिला भवन निर्माण की अनुमति और फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) में वृद्धि के खिलाफ जनहित याचिका (पीआईएल) पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में दायर की गई है।
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पूर्व सेना प्रमुख और कारगिल युद्ध के दौरान देश का नेतृत्व करने वाले जनरल वीपी मलिक सहित कई पूर्व सैनिकों ने इस नीति के नकारात्मक प्रभाव को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिका में बताया गया कि स्टिल्ट प्लस फोर नीति के चलते पंचकूला, गुरुग्राम और हरियाणा के अन्य शहरों के पारिस्थितिक संतुलन पर हानिकारक प्रभाव पड़ा है।
इन क्षेत्रों में भूजल स्तर तेजी से गिरता जा रहा है और वर्तमान वर्षा दरों से इसकी भरपाई संभव नहीं है, जिससे इन शहरों में पानी की भारी कमी हो रही है। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि यह नीति बिना किसी आवश्यक नागरिक बुनियादी ढांचे के संवर्धन के लागू की गई है, जिससे शहरों में अनियंत्रित निर्माण गतिविधियां बढ़ गई हैं।
इसके साथ ही यह नीति बेईमान बिल्डरों और रियल एस्टेट समुदाय को लाभ पहुंचा रही है, जो शहरों के पर्यावरणीय संतुलन की जगह अपने लाभ को प्राथमिकता दे रहे हैं। इससे निवासियों के स्वच्छ हवा, पानी, धूप और शांतिपूर्ण जीवन के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है।
भूकंपीय क्षेत्र और बुनियादी ढांचे पर दबाव
याचिका में बताया गया कि पंचकूला जैसे नियोजित शहर पहले से ही कमजोर बुनियादी ढांचे के साथ संघर्ष कर रहे हैं। ऐसे में स्टिल्ट प्लस चार नीति के चलते जनसंख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है, जिससे इन शहरों के बुनियादी ढांचे पर और बोझ पड़ रहा है। इसके अतिरिक्त, पंचकूला और उसके आसपास का क्षेत्र भूकंपीय जोन-4 में आता है, लेकिन नीति बनाते समय इस पर विचार नहीं किया गया।
याचिकाकर्ताओं ने हरियाणा बिल्डिंग कोड 2016 और 2017 के तहत एफएआर और भवनों की ऊंचाई बढ़ाने की अनुमति को रद्द करने की मांग की है। उनका तर्क है कि इस तरह के निर्णय किसी वैज्ञानिक अध्ययन या नुकसान के मुआवजे के प्रावधान के बिना लिए गए हैं।