Even in the absence of Shibu and Hemant, the workers remained united and brought victory | झामुमो का बेहतर प्रदर्शन: शिबू व हेमंत की अनुपस्थिति में भी एकजुट रहे कार्यकर्ता, दिलाई जीत – Ranchi News


झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन की अस्वस्थता और कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन के जेल में रहने के बावजूद लोकसभा चुनाव में झामुमो के बेहतर प्रदर्शन को पार्टी नेताओं की एकजुटता का परिणाम माना जा रहा है। इसके अलावा पार्टी की स्टार प्रचारक पूर्व मुख्यमंत्री हे

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इसमें पर्दे के पीछे से हेमंत सोरेन के मार्गदर्शक की भूमिका भी काम आई। पार्टी ने सबसे पहले उन क्षेत्रों में पूरी ताकत लगाई, जहां उसे शुरू से ही जीत का जश्न दिखाई दे रहा था। यही कारण था कि प्रचार के लिए झामुमो ने केवल संसदीय क्षेत्रों में ही कार्यालय खोला। मुख्यालय रांची में चुनावी तामझाम को ताक पर रख दिया। यहां विरोधी दलों के बयानों और मुद्दों को निष्प्रभावी करने की पूरी जिम्मेवारी महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने उठाए रखा। पर्दे के पीछे विनोद पांडेय भी उम्मीदवारों को आवश्यक सुविधा मुहैया कराने का काम करते गए।

राजमहल, दुमका, सिंहभूम, जमशेदपुर और गिरिडीह में पूरी ताकत से प्रचार अभियान को चलाया। गांडेय को प्रारंभ से ही प्रतिष्ठा का प्रश्न बना कर पूरी पार्टी वहां काम करती रही। कल्पना सोरेन मतदान तक यहां डटी रही। मुख्यमंत्री हर उस निर्वाचन क्षेत्र में कई कई सभाएं की, जहां झामुमो के प्रत्याशी खड़े थे। चंपाई और कल्पना उन क्षेत्रों में भी गए जहां कांंग्रेस, राजद और माले के प्रत्याशी खड़े थे।

बागी बने लोबिन, चमरा, बसंत व जेपी वर्मा भी नकारे गए

कल्पना व झामुमो के रणनीतिकारों के कारण बागी बने लोबिन हेंब्रम, चमरा लिंडा, बसंत लोंगा और जेपी वर्मा को भी मतदाताओं ने नकार दिया। लोबिन राजमहल से, चमरा लोहरदगा से, बसंत लोंगा खूंटी से और जेपी वर्मा कोडरमा से चुनाव में उतरे थे, पर इनमें से किसी को भी 40 हजार से अधिक वोट नहीं आए।

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