चीनी गैंग भारतीय एजेंटों को 30-40% कमीशन देता था।
सूरत पुलिस ने साइबर क्राइम रैकेट को पकड़ा है। जो मोबाइल नंबर और बैंक अकाउंट की जानकारी दुबई में चीनी गैंग को देता था। जिसके आधार पर इस गैंग ने पिछले कुछ महीनों में देश के 29 राज्यों में साइबर फ्रॉड किए हैं। पुलिस ने 111 करोड़ रुपए की साइबर ठगी का खुल
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गैंग में दुबई, चीनी और भारतीय एजेंट शामिल हैं। चीनी गैंग भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका, पाकिस्तान जैसे देशों से दुबई आए लोगों को नौकरी पर रखता है। अंग्रेजी बोलने वाले लोगों को 1-2 लाख रुपए तक का वेतन दिया जाता है। इन लोगों से कॉल सेंटर में काम करवाया जाता है। कॉल के दौरान गैंग के सदस्य उनकी बातचीत सुनते हैं और ग्राहकों को अधिक रकम के लालच में फंसाने का दबाव डालते हैं।
सूरत के तीनों गैंग के सदस्य मिलन वाघेला, जगदीश अजुडिया और हीरेन भरवड़िया चीनी गिरोह के लिए एजेंट के तौर पर काम कर रहे थे। ये लोग रकम को ट्रांसफर करवाते और उसे क्रिप्टोकरेंसी (USDT) में बदलकर चीनी गिरोह को सौंप देते थे। इसके बदले एजेंट कमीशन के रूप में बड़ा हिस्सा कमाते थे। साइबर सेल की जांच में पता चला है कि देशभर में गैंग के खिलाफ 200 से अधिक एफआईआर दर्ज की गई हैं।

देश के 29 राज्यों में साइबर फ्रॉड से 111 करोड़ रुपए की साइबर ठगी का खुलासा।
कैसे काम करता था चीनी गैंग? 1 जाल: ठग पहले ग्राहकों को बचत खाते की जानकारी देकर उसमें पैसे जमा करवाते हैं। शुरुआती दिनों में देते। विश्वास में लेकर लाखों रुपए निवेश करवा लेते थे। निवेश के लिए करंट अकाउंट की डिटेल दी जाती है। 2 भारतीय एजेंट: भारत में एजेंट पीड़ितों से ठगे गए पैसे को अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर करते थे। इसके बाद यह रकम चार स्तरों में ट्रांसफर होती थी और अंत में इसे क्रिप्टोकरेंसी (USDT) में बदलकर चीनी गैंग को सौंप दी जाती थी। 3 कमीशन: चीनी गैंग इस रकम में से 30-40% कमीशन भारतीय एजेंटों को देता था। मुख्य आरोपी और गिरफ्तारियां सूरत के मिलन वाघेला को इस गैंग का मुख्य एजेंट माना जा रहा है, जो सीधे चीनी गैंग के संपर्क में था।
बैंक के बाहर खड़े होकर अकाउंट खुलवाते थे बैंक के बाहर खड़े रहकर अकाउंट खुलवाने आने वाले को 10 से 12 हजार की लालच देकर उनके एटीएम कार्ड, चेकबुक, पासबुक, मोबाइल नंबर समेत के डॉक्युमेंट्स ले लेते थे। यह गैंग जरूरतमंद, श्रमिक, और नशेड़ी लोगों से उनके दस्तावेज लेकर उनके नाम से बैंक अकाउंट खुलवाते थे। सूरत साइबर क्राइम ब्रांच ने देशभर में साइबर फ्रॉड के 111 करोड़ रुपए के घोटाले में शामिल इस सिंडिकेट के सदस्यों को गिरफ्तार किया है।

सेल की जांच में पता चला है कि देशभर में गैंग के खिलाफ 200 से अधिक FIR दर्ज की गई हैं।
बैंक खातों का इस्तेमाल साइबर ठगी में होता था पुलिस की जांच में सामने आया कि इन बैंक खातों का इस्तेमाल देशभर में साइबर धोखाधड़ी से कमाई गई रकम को इधर-उधर ट्रांसफर करने में किया जाता था। साइबर सेल की जांच में पता चला है कि रैकेट अकाउंट और सिम कार्ड दुबई भेजता था, जहां से इनका संचालन किया जाता था।
आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए दुबई में प्रक्रिया जारी सूरत साइबर क्राइम ब्रांच ने इस गैंग के अन्य सदस्यों की तलाश तेज कर दी है। मिलन वाघेला और जगदीश अजुडिया की गिरफ्तारी के लिए पुलिस दुबई में कानूनी प्रक्रिया का इंतजार कर रही है। इस बड़े साइबर रैकेट के खुलासे ने देशभर में ऑनलाइन फ्रॉड के बढ़ते खतरे को उजागर कर दिया है।
खातों और डेबिट कार्ड से ठगी की रकम ट्रांसफर ठगे रुपए करंट अकाउंट में जमा करवाए जाते हैं। इसके बाद दुबई में मिलन दरजी से संपर्क किया जाता था। मिलन 10 अलग-अलग बैंक खातों की डिटेल्स गैंग को देता है। इन खातों के जरिए पैसे ट्रांसफर कर दिए जाते हैं। फिर मिलन डेबिट कार्ड के जरिए पैसे निकाल लेता और USDT में बदलकर गैंग को वापस भेजते हैं।