श्योपुर जिले के शंकरपुर गांव में श्मशान भूमि पर अतिक्रमण के कारण 82 वर्षीय बुजुर्ग जुगराज मीणा का अंतिम संस्कार गांव के पारंपरिक श्मशान में न होकर धान की क्यारी में करना पड़ा। इस घटना ने प्रशासन की लापरवाही और श्मशान की बदहाली को उजागर कर दिया है।
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300 साल पुरानी जमीन पर कब्जा
ग्रामीणों ने बताया कि गांव की 300 साल पुरानी श्मशान भूमि पर गांव के ही एक किसान ने कब्जा कर खेती शुरू कर दी है। जहां वर्षों से अंतिम संस्कार होता था, वहां अब धान की फसल लगी हुई है और पानी भरा है। मजबूरी में ग्रामीणों को धान की क्यारी में मिट्टी डालकर एक चबूतरा बनाना पड़ा और वहीं पर बुजुर्ग का अंतिम संस्कार किया गया।
रास्ते पर भी कब्जा, शिकायतें अनसुनी
श्मशान तक जाने वाले रास्ते पर भी पत्थर डालकर कब्जा कर लिया गया है। शवयात्रा में शामिल लोगों को रास्ता साफ करते हुए आगे बढ़ना पड़ा। ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने सरपंच, सचिव और प्रशासन से कई बार शिकायतें की हैं, लेकिन न तो श्मशान में टीन शेड बनाया गया, ना चबूतरा और ना ही अतिक्रमण हटाया गया।
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही कोई कार्रवाई नहीं हुई तो वे सामूहिक रूप से आंदोलन करेंगे। इस घटना से ग्रामीणों में काफी आक्रोश है।