जिला अस्पताल में बिजली न होने पर वार्ड में छाया अंधेरा
भिण्ड जिला अस्पताल को सर्वसुविधा युक्त बनाने के लिए सरकार और स्वास्थ्य विभाग की ओर से भले ही लाखों दावे किए जाते हों, लेकिन हकीकत शुक्रवार को देखने को मिली। बिजली कटौती के चलते जिला अस्पताल के वार्डों में 4 घंटे तक कूलर पंखे ठप रहे। मरीज उमस व गर्मी
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शुक्रवार को बिजली कटौती के चलते अस्पताल के पीआईसी वार्ड में भर्ती नौनिहालों की जान 2 आफत में बनी रही। गर्म और उमस ने मरीजों को परेशानी में डाल दिया। वार्ड में गंभीर मरीज बच्चों का इलाज दिए जाता है, लेकिन इसके बावजूद भी अस्पताल प्रबंधन द्वारा यहां जनरेटर कनेक्शन नही दिया गया।
बतादें कि वर्तमान में विद्युत विभाग द्वारा मेंटिनेंस के चलते लगातार बिजली कटौती की जा रही है। विद्युत कटौती का सबसे ज्यादा प्रभाव अस्पताल में भर्ती मरीजों पर पड़ रहा है। शुक्रवार को 12 से दोपहर 1.30 बजे तक बिजली जाने के बाद अस्पताल के पीआईसी वार्ड में भर्ती नौनिहालों की जान आफत में आ गई। वार्ड में भर्ती 35 बच्चों को गंभीर हालत में यहां इलाज देने के लिए भर्ती किया गया था, लेकिन बिजली गुल होने से यहां सभी मशीनें व मॉनीटर बंद हो गए। जिसके बाद गर्मी और उमस के बाद वार्ड में भर्ती बच्चों की हालत खराब होने लगी।
इस दौरान बच्चों के परिजन उन्हें वार्ड से बाहर लेकर आ गए। खास बात यह है कि ऐसी हालत से निपटने के लिए अस्पताल प्रशासन द्वारा बिजली सुचारु रुप से सप्लाई करने के लिए जनरेटर रखे गए हैं, लेकिन पीआईसी वार्ड में जनरेटर कनेक्शन न होने से यहां बिजली सप्लाई नही हो सकी।
भिंड जिला अस्पताल में बिजली न होने पर बेहाल मरीज।
अंधेरे में इलाज करना मजबूरी:
शुक्रवार को पीआईसी वार्ड में बिजली गुल होने के बाद यहां हालात बेहद खराब हो गई। वार्ड में तैनात नर्सेस को मोबाइल टार्च की रोशनी में बच्चों को इलाज देना पड़ा। हालात यह हो गए कि अंधेरे में ही बच्चों को इंजेक्शन और ग्लूकोज बोतल लगानी पड़ी। इस बीच कुछ बच्चों के परिजन उमस और गर्मी से बेहाल होकर वार्ड से बाहर खुले में निकल गए। 4.30 घण्टे तक बिजली न होने से यहां हालाब बदतर हो गए।
परिजन भी अपने बच्चों को राहत देने के लिए अंधेरे में हाथ पंखा से हवा करते दिखे। इस दौरान जब वार्ड में तैनात स्टाफ नर्स से अव्यवस्था को लेकर जानकारी ली गई तो उन्होने बताया कि जनरेटर कनेक्शन न होने से यह स्थिती बन रही है। वार्ड में लगी बैटरी कुछ समय तक ही बैकअप देती हैं। मरीजों को अंधेरे में ही इलाज देना पड़ रहा है।
35 मरीजों के लिए केवल 9 बैड:
जिले के सबसे बड़े और नंबर वन का दर्जा हासिल कर चुके जिला चिकित्सालय में भले ही साफ सफाई और वार्ड बेहतर बना दिए गए हों लेकिन यहां जरुरी स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी हमेशा बनी रहती है। उल्लेखनीय है कि अस्पताल में कोविड काल में बनाए गए 9 बैड के पीआईसी वार्ड में फिलहाल 35 मरीज भर्ती हैं। इन हालातों में वार्ड में तैनात स्टाफ नर्स को एक बेड पर 3 से 4 मरीजों का मजबूरी में इलाज करना पड़ रहा है। इस पूरे मामले में जिला अस्पताल के जिम्मेदार अफसर चुप्पी साधे है। वे कुछ भी बोलने को तैयार नही है।