Election Commission donations report bjp congress | भाजपा को ₹959 करोड़, कांग्रेस को ₹313 करोड़ चंदा मिला: चुनाव आयोग का 2024-25 डेटा, टाटा ग्रुप की ट्रस्ट ने 10 पार्टियों को ₹914 करोड़ दिए

नई दिल्लीकुछ ही क्षण पहले

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चुनाव आयोग (EC) की रिपोर्ट बताती है कि 2024-25 में भाजपा को इलेक्टोरल ट्रस्ट के जरिए कांग्रेस से लगभग तीन गुना राजनीतिक चंदा मिला। EC की वेबसाइट पर अपलोड रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा को इलेक्टोरल ट्रस्ट के जरिए 959 करोड़ रुपए मिले।

बीते साल रिपोर्ट बताती है कि कांग्रेस को मिले कुल चंदे 517 करोड़ रुपए में से 313 करोड़ रुपए इलेक्टोरल ट्रस्ट के जरिए हासिल हुए। तृणमूल को कुल 184.5 करोड़ का चंदा मिला, जिसमें 153 करोड़ इलेक्टोरल ट्रस्ट से आए।

कांग्रेस की वार्षिक डोनेशन रिपोर्ट भी आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध है, जबकि भाजपा की रिपोर्ट अपलोड नहीं हुई है।

दरअसल देश में कंपनियां सीधे राजनीतिक दलों को दान नहीं देती। वह इन इलेक्टोरल ट्रस्टों के जरिए दलों तक चंदा पहुंचाती हैं। ये ट्रस्ट एक रजिस्टर्ड संस्था हैं और इनका काम राजनीतिक चंदे को पारदर्शी तरीके से सियासी दलों तक पहुंचाना है।

पार्टी चंदा (इलेक्टोरल ट्रस्ट)
भाजपा 959 करोड़
कांग्रेस 313 करोड़

टाटा समूह ने 10 पार्टियों को 914 करोड़ दिए

बीते साल टाटा समूह के प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट (PET) ने कुल 10 पार्टियों को 914 करोड़ दिए। इसमें सबसे बड़ा हिस्सा 757 करोड़ रु. (कुल फंड का 83%) भाजपा को मिला। कांग्रेस को 77.3 करोड़, तृणमूल, वाईएसआर कांग्रेस, शिवसेना, बीजद, बीआरएस, लोजपा (रावि), जदयू, डीएमके को 10-10 करोड़ रु. मिले।

PET को जो राशि मिली, वह टाटा समूह की 15 कंपनियों से आई थी। इसमें टाटा संस ने 308 करोड़, टीसीएस ने 217 करोड़ और टाटा स्टील ने 173 करोड़ दिए।

इलेक्टोरल बॉन्ड और ट्रस्ट में अंतर…

  • बॉन्ड: इसमें दानदाता के नाम गुप्त रहते थे। कंपनियां बैंक से बॉन्ड खरीदकर पार्टियों को देती थीं। इसमें पारदर्शिता कम थी, इसलिए बंद कर दिए गए।
  • ट्रस्ट: दानदाताओं के नाम चुनाव आयोग को देते हैं। कंपनियां इनके जरिए पार्टियों को दान देती हैं। इसमें पारदर्शिता अधिक है। इसलिए 12 साल से काम कर रहे।

इलेक्टोरल बॉन्ड 6 साल में बंद हुए, ट्रस्ट्स 12 साल से चंदा जुटा रहे

  • 2018 में शुरू हुए इलेक्टोरल बॉन्ड को सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2024 में पारदर्शिता के अभाव के चलते अवैध बताकर रद्द कर दिया था। इसके बाद राजनीतिक फंडिंग में बड़ा बदलाव आया और इलेक्टोरल ट्रस्ट्स ज्यादा डोनेशन का मुख्य जरिया बन गए हैं। वैसे इलेक्टोरल ट्रस्ट स्कीम 2013 से देश में लागू है।
  • ट्रस्ट्स अभी कंपनी एक्ट 2013, आयकर कानून की धारा 13बी, इलेक्टोरल ट्रस्ट्स स्कीम 2013 और चुनाव आयोग की गाइडलाइन के तहत नियंत्रित होते हैं।
  • ट्रस्ट सीमित रूप से नकद ले सकते हैं। उन्हें यह रकम आईटीजीएस या एनईएफटी करनी होती है। किस पार्टी को कितना दान देना है, यह ट्रस्ट बोर्ड तय करता है। इसका नियम है कि कम से कम 95% पैसा साल के भीतर पार्टियों को देना जरूरी है।

भाजपा को सबसे ज्यादा टाटा समूह के पीई ट्रस्ट से चंदा, कांग्रेस को प्रूडेंट ट्रस्ट से मिला

  • भाजपा: इलेक्ट्रोरल ट्रस्टों की रिपोर्ट बताती है कि फरवरी 2024 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड खत्म किए जाने के बाद भी भाजपा की फंडिंग कम नहीं हुई। पार्टी को प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट से 757.6 करोड़, न्यू डेमोक्रेटिक ट्रस्ट से 150 करोड़, हार्मनी ट्रस्ट से 30.1 करोड़, ट्रॉयम्फ ट्रस्ट से 21 करोड़, जन कल्याण ट्रस्ट से 9.5 लाख और आइंजिगार्टिग ट्रस्ट से 7.75 लाख रु. मिले। 2018-19 में भी टाटा ग्रुप के पीईटी ने 3 दलों को 454 करोड़ रु. बांटे थे। इनमें से 356 करोड़ रु. भाजपा को मिले थे।
  • कांग्रेस: प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट से 216.33 करोड़, एबी जनरल इलेक्टोरल ट्रस्ट से 15 करोड़, न्यू डेमोक्रेटिक इलेक्टोरल ट्रस्ट से 5 करोड़ और जन कल्याण इलेक्टोरल ट्रस्ट से 9.5 लाख रु. मिले। हालांकि ट्रस्टों के जरिए मिली यह राशि 2023-24 में बॉन्ड से मिले 828 करोड़ रु. की तुलना में कम रही। आईटीसी लिमिटेड, हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड और सेंचुरी प्लाईवुड्स (इंडिया) जैसी बड़ी कंपनियों ने भी चंदा दिया है। चिदंबरम ने भी 3 करोड़ का योगदान दिया।

भाजपा को 6 ट्रस्ट से 959 करोड़ रुपए मिले

ट्रस्ट चंदा
प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट 757.6 करोड़
न्यू डेमोक्रेटिक ट्रस्ट 150 करोड़
हार्मनी ट्रस्ट 30.1 करोड़
ट्रॉयम्फ ट्रस्ट 21 करोड़
जन कल्याण ट्रस्ट 9.5 लाख
आइंजिगार्टिग ट्रस्ट 7.75 लाख

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एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने राष्ट्रीय दलों को मिले चंदे को लेकर रिपोर्ट जारी की थी। रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2023-24 में भाजपा को सबसे ज्यादा 4340.47 करोड़ रुपए का चंदा मिला है। दूसरे नंबर पर कांग्रेस को 1225.12 करोड़ रुपए मिले। ADR ने रिपोर्ट में बताया कि पार्टियों को चंदे का बड़ा हिस्सा चुनावी बॉन्ड से मिला है। पूरी खबर पढ़ें…

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