8 घंटे पहले
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आज (शनिवार, 8 फरवरी) माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी है। इसका नाम जया, अजा और भीष्म है। एकादशी और शनिवार का योग होने से इस दिन विष्णु-लक्ष्मी के साथ ही शनि देव की भी विशेष पूजा-पाठ जरूर करें।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, माघ शुक्ल एकादशी पर किए गए व्रत-उपवास से यज्ञ के समान पुण्य मिलता है, ऐसी मान्यता है। ये व्रत भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए किया जाता है। इस दिन पूजा करते समय तिल का इस्तेमाल करने की परंपरा है।
ऐसे कर सकते हैं एकादशी व्रत
- एकादशी पर स्नान के बाद सूर्य देव को जल चढ़ाएं और ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जप करें। इसके बाद घर के मंदिर में प्रथम पूज्य गणपति की पूजा करें। गणेश जी को जल-दूध, दूर्वा, हार-फूल, पंचामृत चढ़ाएं। तिल-गुड़ के लड्डू का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। गणेश पूजन के बाद भगवान विष्णु के सामने व्रत और पूजा करने का संकल्प लें।
- विष्णु जी और महालक्ष्मी की मूर्तियां स्थापित करें। जल चढ़ाएं। दक्षिणावर्ती शंख में केसर मिश्रित दूध भरें और भगवान का अभिषेक करें। इसके बाद फिर से जल अर्पित करें।
- भगवान को लाल-पीले चमकीले वस्त्र अर्पित करें। हार-फूल पहनाएं, सुंदर श्रृंगार करें, तिलक लगाएं। इत्र और अन्य पूजन सामग्री चढ़ाएं।
- तुलसी के साथ मिठाई का भोग लगाएं। तिल चढ़ाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। पूजा में ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें।
- पूजा के अंत में भगवान से पूजा में हुई जानी-अनजानी भूल के लिए क्षमा मांगे। इसके बाद प्रसाद वितरीत करें और खुद भी ग्रहण करें।
एकादशी और शनिवार के योग में ऐसे करें शनि पूजा
आज (शनिवार) शनि देव की भी विशेष पूजा जरूर करें। शनि देव की प्रतिमा पर सरसों का तेल चढ़ाएं। नीले फूल, काले वस्त्र, काले तिल, तिल के लड्डू चढ़ाएं।
शनि मंत्र ऊँ शं शनैश्चराय नम: का जप करें। तिल के तेल का दीपक जलाएं। शनि पूजा के बाद काले तिल और तेल दान करें। काले कंबल का दान करें।
शनिवार को हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ भी करना चाहिए।
एकादशी व्रत करते समय किन बातों का ध्यान रखें
जो लोग एकादशी व्रत करना चाहते हैं, उन्हें सुबह विष्णु पूजा में व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए।
दिनभर निराहार रहें, अन्न का त्याग करें। जो लोग भूखे नहीं रह पाते हैं, वे फलाहार कर सकते हैं, दूध और फलों का रस पी सकते हैं।
भगवान विष्णु के मंत्रों का जप करें। विष्णु जी की कथाएं पढ़ें-सुनें।
शाम को भी विष्णु जी की पूजा करें। अगले दिन यानी द्वादशी पर सुबह जल्दी उठें और पूजा-पाठ करने के बाद जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं।
जब हम व्रत करते हैं, तो अन्न नहीं खाते हैं और अन्न नहीं खाते हैं तो हमारे पाचन तंत्र को खाना पचाने के काम से ब्रेक मिलता है। व्रत से गैस, एसिडिटी और अपच जैसी समस्याएं कम होती हैं। जब हम हल्का और संतुलित आहार लेते हैं, तो ये चीजें हमारा पाचन तंत्र आसानी से पचा लेता है। व्रत के दौरान पर्याप्त पानी पीते रहना चाहिए और शरीर को पर्याप्त ऊर्जा मिलती रहे, इसके लिए फलों का सेवन करना चाहिए।