डीएमएफ के घोटाले की जांच करने बुधवार को मारे गए ईडी के छापे में नया खुलासा हुआ है। छत्तीसगढ़ से एक्सपोर्ट होने वाले चावल के कारोबार को रायपुर के कुछ कारोबारियों के सिंडीकेट ने संभाला है।
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बड़ी बात यह है कि एक हजार से ज्यादा राइस मिलरों का चावल जो विदेशों में भेजा जा रहा है उसकी कमान इसी सिंडीकेट के पास है। रायपुर के साथ ईडी ने गरियाबंद में भी छापे मारे थे। दोनों जगहों पर सिंडिकेट से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेज मिले हैं। दस्तावेजों से ही क्लू मिला है कि हर महीने करोड़ों का चावल विदेशों में भेजा जा रहा है।
चौंकाने वाली बात यह भी है कि खाताबहियों में जितना दिखाया जा रहा है हकीकत में उतना चावल भेजा भी नहीं जा रहा है। फर्जी इनवाइस से कागजों में कारोबार किया जा रहा है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि चावल की खरीदी के बदले बड़ी रकम एक नंबर में दिखाई जा सके है। बाद में इन्हीं पैसों से जमीन की खरीदी-बिक्री करना भी बताया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ से चावल का एक्सपोर्ट हर साल बढ़ रहा है। कोरोना के बाद से ये छह गुना बढ़ गया है। इसी बढ़ोतरी ने ईडी की टीम की जांच को बढ़ा दिया है। छत्तीसगढ़ के चावल को सबसे ज्यादा चीन और साउथ अफ्रीका वाले खरीद रहे हैं। इसी तरह छत्तीसगढ़ के मोटे चावल की मांग कोटनू और बेनिन समेत अफ्रीकी देशों में भी ज्यादा है।
टूटे चावल(कनकी) की चीन और दक्षिण अफ्रीका से बड़ी मांग आ रही है। पिछले दो-तीन साल से लगातार 50 हजार से ज्यादा टन कनकी सिर्फ चीन निर्यात की गई। छत्तीसगढ़ का चावल कोलकाता, मुंबई और विशाखापटनम से यूरोप और आस्ट्रेलिया में भी भेजा जा रहा है।
इस तरह से दिखाई गई है बढ़ती डिमांड
छत्तीसगढ़ में 2016-17 में जहां 1.39 टन चावल एक्सपोर्ट किया गया था वहीं 2021-22 में 2.59 टन चावल बाहर भेजा गया। पिछले पांच साल में चावल का निर्यात दोगुना से भी ज्यादा हो चुका है। चीन में जहां बीयर बनाने के लिए इस चावल का उपयोग हो रहा है तो अफ्रीकी देशों में खाने में।
एक्सपोर्ट से जुड़े कारोबारियों का कहना है कि छत्तीसगढ़ के चावल की मांग विदेशों में ज्यादा होने की वजह इसकी कीमत का कम होना है। इसके साथ ही यहां के चावल में कार्बोहाइड्रेट और फाइबर भी अधिक होता है।
पिछले तीन साल से एक्सपोर्ट पांच हजार करोड़ रुपए के पार
ईडी के पास इस बात के भी पुख्ता प्रमाण हैं कि पिछले तीन साल से चावल के एक्सपोर्ट का कारोबार पांच हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का हो रहा है। 2021-22 से 2023-24 तक हर साल 5200 करोड़ से ज्यादा का चावल विदेशों में भेजा जा रहा है। इन तीन सालों के पहले छत्तीसगढ़ से चावल के एक्सपोर्ट का कारोबार बमुश्किल 2500 करोड़ रुपए के आसपास ही था।
जानकारों का कहना है कि पिछले तीन साल में चावल एक्सपोर्ट के कारोबार में दूसरे फील्ड का पैसा लगाया जा रहा था। इस वजह से इसका कारोबार एकदम से बढ़कर दोगुना हो गया है।