झारखंड में 20 जगहों पर ईडी की रेड
विधानसभा चुनाव से पहले झारखंड में ईडी की कार्रवाई तेज हो गई है। राजधानी रांची, चाईबासा सहित 20 जगह पर ईडी ने सोमवार सुबह से ही दबिश दी है। जानकारी के मुताबिक ईडी की रेड हेमंत सोरेन सरकार के पेयजल व स्वच्छता विभाग मंत्री मिथिलेश ठाकुर के पीएस हरेंद्र
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साथ ही आईएएस मनीष रंजन के करीबी, मंत्री के भाई विनय ठाकुर के अलावा कई इंजीनियर्स के घर छापेमारी जारी है। यह छापेमारी जल-जीवन मिशन में हुई अनियमितता से जुड़ा हुआ है।
रांची में मोरहाबादी के हरिहर सिंह रोड, रातू रोड में इंद्रपूरी और चाईबासा में छापेमारी हुई है। फिलहाल छापेमारी वाले सभी लोकेशन पर सुरक्षा व्यवस्था भी बढ़ा दी गयी है।
मंत्री मिथिलेश ठाकुर के पीएस हरेंद्र सिंह के घर समेत 20 ठिकानों पर ईडी की रेड हुई है।
8 अक्टूबर को भी हुई थी रेड
आज की कार्रवाई से 6 दिन पहले भी ईडी ने झारखंड में दबिश दी थी। बीते मंगलवार को राजधानी रांची और कोयला नगरी धनबाद में ईडी की टीम ने छापेमारी की। ईडी ने धनबाद शहर के सदर थाना क्षेत्र स्थित झाडूडीह के देव बिहार अपार्टमेंट में धनबाद डीटीओ सीपी दिवाकर द्विवेदी के आवास पर रेड डाली थी। साथ ही रांची के बरियातू स्थित राधे कृष्णा गार्डन में भी ईडी की छापेमारी हुई थी। ये मामला ईडी के नाम पर वसूली से जुड़ा था। पूरी खबर पढ़ें।
8 अक्टूबर को ईडी ने धनबाद के देव बिहार अपार्टमेंट में धनबाद डीटीओ सीपी दिवाकर द्विवेदी के आवास पर रेड डाली थी।
पहले ही घोटाले में फंस चुके एक मंत्री
बता दें, इससे पहले झारखंड सरकार के एक मंत्री आलमगीर आलम कैश कांड में फंसे थे। फिलहाल झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री आलमगीर आलम कैश कांड मामले को लेकर जेल में बंद हैं। 6 मई को ईडी ने उनके पीएस संजीव लाल और उससे जुड़े लोगों के ठिकानों पर रेड मारी थी। इसमें 32 करोड़ 20 लाख रुपये कैश की बरामदगी हुई थी। पूछताछ के दौरान इस मामले में मंत्री को पीएस संजीव कुमार लाल और उनके नौकर जहांगीर आलम को 6 मई की देर रात ही गिरफ्तार कर लिया गया था।
15 मई को गिरफ्तार हुए थे मंत्री
15 मई की शाम मंत्री आलमगीर आलम को ED ने गिरफ्तार किया था। इसके पहले उनसे 14 और 15 मई को कुल मिलाकर करीब 14 घंटे पूछताछ की गई थी। बाद में उन्हें ED ने कोर्ट में पेश किया। जहां ईडी ने कोर्ट को बताया कि ग्रामीण विकास विभाग में टेंडर कमीशन घोटाले में इंजीनियर, अधिकारी व मंत्री का एक संगठित गिरोह सक्रिय था।
ED ने नमूने के तौर पर जनवरी महीने में पारित 92 करोड़ के 25 टेंडर के ब्यौरे से संबंधित एक पेपर भी कोर्ट में जमा किया था, जिसमें यह स्पष्ट लिखा हुआ है कि मंत्री आलमगीर आलम ने सभी 25 टेंडर में कमीशन के रूप में 1.23 करोड़ रुपए लिए थे।