ED arrests Reliance Power CFO | रिलायंस पावर के CFO गिरफ्तार: फंड ट्रांसफर में फर्जीवाड़े का आरोप; कंपनी पर ED-CBI की जांच चल रही

मुंबई22 मिनट पहले

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अशोक कुमार पाल पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी बैंक गारंटी और फर्जी इनवॉइसिंग की। - Dainik Bhaskar

अशोक कुमार पाल पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी बैंक गारंटी और फर्जी इनवॉइसिंग की।

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने रिलायंस पावर लिमिटेड के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर (CFO) अशोक कुमार पाल को गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी 10 अक्टूबर को हुई। पाल पर अनिल अंबानी की रिलायंस ग्रुप (ADA) से जुड़े ₹68.2 करोड़ के फर्जी बैंक गारंटी और इनवॉइसिंग का आरोप है।

ED के मुताबिक, पाल ने रिलायंस होम फाइनेंस और रिलायंस कॉमर्शियल फाइनेंस से ₹12,524 करोड़ के लोन बांटे, जो ज्यादातर अनिल अंबानी ग्रुप की कंपनियों को दिए गए। पाल पर फर्जी दस्तावेजों को मंजूरी देने और पैसे गलत तरीके से ट्रांसफर करने का आरोप है।

अगस्त में ED ने अनिल अंबानी से पूछताछ की थी

अगस्त में ईडी ने अंबानी को इस जांच के सिलसिले में पूछताछ के लिए भी बुलाया था। ED की जांच के बाद अगस्त में मुंबई में 35 जगहों पर छापेमारी की गई, जिसमें 50 कंपनियां और करीब 25 लोग शामिल थे।

ED ने 24 जुलाई को अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप से जुड़े 35 से ज्यादा ठिकानों और करीब 50 कंपनियों पर छापेमारी की थी। इसके बाद 23 अगस्त को CBI ने भी अनिल अंबानी के घर पर छापेमारी की थी।

ED ने 24 जुलाई को अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप से जुड़े 35 से ज्यादा ठिकानों और करीब 50 कंपनियों पर छापेमारी की थी। इसके बाद 23 अगस्त को CBI ने भी अनिल अंबानी के घर पर छापेमारी की थी।

CBI ने सितंबर में चार्जशीट फाइल की थी

इससे पहले यस बैंक के साथ फ्रॉड मामले में CBI ने 18 सितंबर को अनिल अंबानी और अन्य लोगों के खिलाफ दो अलग-अलग चार्जशीट फाइल की थी। इन पर आरोप है कि अंबानी की ग्रुप कंपनियों और यस बैंक के पूर्व CEO राणा कपूर के परिवार की कंपनियों के बीच कथित तौर पर फर्जी लेन-देन हुए, जिससे बैंक को 2,796 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।

CBI ने कहा था कि राणा कपूर ने अपनी पोजिशन का गलत इस्तेमाल करके यस बैंक के फंड्स को अंबानी की फाइनेंशियली कमजोर कंपनियों- RCFL और RHFL में डाला। बदले में, अंबानी की कंपनियों ने कपूर फैमिली की कंपनियों को कम ब्याज पर लोन और इन्वेस्टमेंट दिए। ये एक क्विड प्रो क्वो (लेन-देन का सौदा) था।

2022 में यस बैंक के चीफ विजिलेंस ऑफिसर ने शिकायत की थी

CBI ने ये केस 2022 में यस बैंक के चीफ विजिलेंस ऑफिसर की शिकायत पर शुरू किया। चार्जशीट प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट और IPC की धाराओं के तहत दाखिल की गई है, जो धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और पब्लिक प्रॉपर्टी के दुरुपयोग से जुड़ी हैं।

चार्जशीट में अनिल के अलावा, CBI ने राणा कपूर, बिंदु कपूर, राधा कपूर, रोशनी कपूर, RCFL, RHFL, RAB एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड, इमेजिन एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड, ब्लिस हाउस प्राइवेट लिमिटेड, इमेजिन हैबिटेट प्राइवेट लिमिटेड, इमेजिन रेजिडेंस प्राइवेट लिमिटेड और मॉर्गन क्रेडिट्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट और IPC की धाराओं के तहत चार्जशीट दाखिल की है।

3 सवाल-जवाब में पूरा मामला:

सवाल 1: अनिल अंबानी के खिलाफ ED ने कार्रवाई क्यों की?

जवाब: मामला 2017 से 2019 के बीच यस बैंक द्वारा अनिल अंबानी से जुड़े रिलायंस ग्रुप की कंपनियों को दिए गए करीब 3,000 करोड़ रुपए के लोन से जुड़ा है।

ED की शुरुआती जांच में पता चला कि इन लोन्स को कथित तौर पर फर्जी कंपनियों और ग्रुप की अन्य इकाइयों में डायवर्ट किया गया। जांच में यह भी सामने आया कि यस बैंक के बड़े अधिकारियों को शायद रिश्वत दी गई है।

सवाल 2: ED की जांच में और क्या-क्या सामने आया?

जवाब: ED का कहना है कि ये एक “सोचा-समझा और सुनियोजित” प्लान था, जिसके तहत बैंकों, शेयरहोल्डर्स, निवेशकों और अन्य सार्वजनिक संस्थानों को गलत जानकारी देकर पैसे हड़पे गए। जांच में कई गड़बड़ियां पकड़ी गईं, जैसे:

  • कमजोर या बिना वेरिफिकेशन वाली कंपनियों को लोन।
  • कई कंपनियों में एक ही डायरेक्टर और एड्रेस का इस्तेमाल।
  • लोन से जुड़े जरूरी दस्तावेजों का न होना।
  • फर्जी कंपनियों में पैसे ट्रांसफर करना।
  • पुराने लोन चुकाने के लिए नए लोन देने की प्रक्रिया (लोन एवरग्रीनिंग)।

सवाल 3: इस मामले में CBI की क्या भूमिका है?

जवाब: CBI ने दो मामलों में FIR दर्ज की थी। ये मामले यस बैंक द्वारा रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड और रिलायंस कॉमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड को दिए गए दो अलग-अलग लोन से जुड़े हैं। दोनों ही मामलों में CBI ने यस बैंक के पूर्व CEO राणा कपूर का नाम लिया था।

इसके बाद एक अधिकारी ने बताया कि नेशनल हाउसिंग बैंक, सेबी, नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी और बैंक ऑफ बड़ौदा जैसी अन्य एजेंसियों और संस्थानों ने भी ED के साथ जानकारी साझा की। अब ED इस मामले की जांच कर रही है।

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