East Champaran (Bihar) Lok Sabha Election 2024: BJP Sanjay Jaiswal VS Congress Madan Mohan Tiwari | कुशवाहा कार्ड से राधामोहन को चित्त करने का चक्रव्यूह: बंद चीनी मिल नहीं खुली, आम-लीची खूब पर उद्योग नहीं, योजनाओं में मनमानी-पलायन यहां का सच

पूर्वी चंपारण40 मिनट पहले

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हांडी मटन का जायका यहां से ‘चंपारण आहुना मटन’ के नाम से देश-दुनिया में फैला, नमक-पानी से बना मटन भी लोग खूब पसंद कर रहे, लेकिन पूर्वी चंपारण की पहचान इसलिए ज्यादा है कि महात्मा गांधी को राष्ट्रीय स्तर पर चंपारण ने पहचान दिलाई। यह क्षेत्र गांधी को सत्याग्रह की ताकत देने वाला है।

मोतिहारी शहर की खूबसरती इसकी मोती झील है जो शहर के बीचो-बीच है। बिहार में ऐसे शहर कम या नहीं के बराबर दिखते हैं जहां इतनी बड़ी झील शहर के बीचो-बीच हो जो शहर को दो भागों में बांटती हुई हो।

मोतिहारी, पानीदार शहर से लेकर गांव-खलिहानों तक हमने लोगों से बात की। जनता के मन में क्या है, यहां के मुद्दे क्या है इसे खंगालती ग्राउंड रिपोर्ट पढ़िए…

आम के पेड़ के नीचे सत्तू के ठेले पर चुनावी बहस

बनकट में आम के पेड़ के नीचे सत्तू की दुकान पर कुछ लोग खड़े हैं। उनकी राजनीतिक चर्चा में यही है कि इस बार लेडिज पर्स छाप को जिताना है। लेडिज पर्स छाप चुनाव चिन्ह महागठबंधन से जुड़ी वीआईपी पार्टी के उम्मीदवार डॉ. राजेश कुशवाहा का है।

वे केसरिया विधानसभा से विधायक रह चुके हैं। सत्तू दुकान पर बातचीत में अलग-अलग जातियों के लोग हैं। यादव राजेश कुशवाहा के पक्ष में बोल रहे हैं, लेकिन सत्तू बेचने वाले सुरेश कानू जाति से आते हैं।

उनको अनाज योजना में कम अनाज मिल रहा है, लेकिन वे मोदी की तरफ ढले दिखते हैं। उनके यह कहने के बाद कि आज ही चना पिसाए हैं, ताजा सत्तू है…पी लीजिए सर, हमने गिलास भर सत्तू का आनंद लिया और बातचीत आगे बढ़ी।

कोई अनाज नहीं मिलता, रिश्वत के जमाना हो गइल बा हो दादा…

भितहा के योगेन्द्र राय भैंस चराने निकले हैं। लपक कर हमने उनको पकड़ा, भैंस आगे निकल गई। उन्होंने बताया कि मुझे योजना का अनाज नहीं मिल रहा है। डीलर नहीं दे रहा है। कहता है आपका नाम नहीं है तो कैसे दें? कहते हैं नाम जोड़ दो तो जवाब देता है ब्लॉक में जाकर जोड़वाओ, हेन्ने जोड़वाओ, होन्ने जोड़वाओ।

मेरे घर में किसी को सरकार से अनाज नहीं मिलता है। इंदिरा आवास के लिए मुखिया, सरपंच को कहते-कहते थक गए, लेकिन नहीं मिला। घूस के जमाना हो गइल बा हो दादा।

पटकौरिया गांव के पास हमें शिव राय मिले। उन्होंने बताया कि योजना से अनाज नहीं मिल रहा। इंदिरा आवास मिल गया है, लेकिन अनाज नहीं मिल रहा।

डीलर भूमिहार, हम चमार, कहता है तुमको नहीं देंगे अनाज

मोतिहारी के चिलहा बाबू टोला कॉलोनी के श्री राम बताते हैं कि हम लोगों को सरकार से जमीन काफी पहले मिली है। योजना का अनाज नहीं मिलता है। ऊ डीलर लोग भूमिहार हैं हम लोग छोट जात हैं।

कहता है अनाज नहीं देंगे, जो करना है जाकर कर लो। हम लोग चमार जाति के हैं। हम कहीं शिकायत इसलिए नहीं किए कि वो लोग बड़ा आदमी है कहीं कोई लफड़ा कर देगा। अनाज मिलता तो 25-30 किलो मिलता।

लोगों का मूड सांसद बदलने का

मोतिहारी वार्डगंज के मुन्ना जायसवाल ई-रिक्शा चलाते हैं। वे कहते हैं कि अबकी बार लेडिज पर्स छाप के राजेश कुशवाहा को जीता देना है। राधामोहन सिंह दूसरे जगह के लोग को नौकरी लगवा दिए हम लोग पढ़-लिख कर रिक्शा चला रहे हैं।

भोला पासवान फल बेचते हैं। वे कहते हैं कि राधामोहन सिंह और राजेश कुशवाहा के बीच टक्कर है। मोदी जी के नाम पर कुछ काम हुआ है। चुनाव में लोगों का मूड सांसद बदलने का है।

चीनी मिल बंद है, मोदी के नाम पर राधामोहन सिंह को वोट

पूर्वी चंपारण के ज्यादातर लोगों के मन में इस बात का दुख है कि चीनी मिल बंद पड़ी है। मोतिहारी और चकिया में चीनी मिल हुआ करता था। पीएम आश्वासन देकर गए थे, लेकिन अब तक मिल चालू नहीं हुआ है। यहां की चीनी वाली चाय पीने का उनका वादा था, लेकिन वादा पूरा नहीं हुआ।

जाति की ताकत से लड़ाई

बीजेपी के नरेन्द्र मोदी की सरकार देश में आने के बाद से पूर्वी चंपारण लोकसभा क्षेत्र में यहां के सांसद राधामोहन सिंह ने काफी काम करवाया है। लेकिन जिन जगहों पर लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव ने कुशवाहा कार्ड खेला है उनमें से एक पूर्वी चंपारण भी है। यहां वीआईपी पार्टी से डॉ. राजेश कुमार कुशवाहा को उतारा गया है। वे पूरी ताकत भी लगा रहे हैं।

6 बार सांसद रहने की वजह से राधामोहन सिंह को लेकर एंटी इनकंबेंसी है। वे 10 वीं बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। इसके बावजूद वे अभी इतने कमजोर भी नहीं दिख रहे कि कोई आसानी से पटखनी दे दे। इसलिए टक्कर मानी जा रही है।

मोतिहारी रेलवे स्टेशन बापू धाम, चरखा पार्क, महात्मा गांधी सत्याग्रह स्मारक यहां दिखता है। यहां केन्द्रीय विश्वविद्याल, कृषि अनुसंधान केन्द्र, मदर डेयरी आदि हैं। वैश्य जाति से आने वाली रमा देवी और पिंटू कुमार का टिकट एनडीए में कटने का असर पूर्वी चंपारण में भी पड़ रहा है।

वैश्य एकजुट हो रहे हैं, वैश्य वोट बंट रहा है। नरेन्द्र मोदी का चेहरा इस वोट बैंक को संभाल रहा है। जाति आधारित वोट बैंक पर फोकस करें तो सवर्णों में भूमिहार वोट बैंक ताकतवर है। लगभग ढाई लाख भूमिहार हैं। पौने दो लाख राजपूत हैं। वैश्यों की ताकत ऐसी है कि इनका वोट बैंक चार लाख है। कुशवाहा सवा दो लाख के लगभग हैं। यादव और मुसलमान का वोट बैंक जो लालू यादव के एमवाई वाला वोट बैंक है वह चार लाख है।

दिलचस्प यह कि दरभंगा, मधुबनी, झंझारपुर लोकसभा जिस तरह से आपस में जुड़े हैं कमोबेश उसी तरह से उत्तर बिहार में पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण, शिवहर, वाल्मीकिनगर, लोकसभा का इलाका जुड़ा है। इसमें मुजफ्फरपुर को भी जोड़ सकते हैं। लीची के लिए मुजफ्फरपुर प्रसिद्ध है लेकिन पूर्वी चंपारण में लीची और आम से ज्यादातर पेड़ लदके हुए दिखते हैं।

तीन दर्जन झीलें, लेकिन न सौंदर्यीकरण न बेहतर मछली पालन

वरिष्ठ पत्रकार चंद्रभूषण पांडेय कहते हैं कि पूर्वी चंपारण में वोटर के पास मुद्दा नहीं है। पार्टियों ने उन्हें जाति में बांटने की कोशिश की है लेकिन मुद्दे यहां हैं।

वे कहते हैं कि पूर्वी और पश्चिमी चंपारण में 36 झीलें हैं। 13 हिली रिवर हैं। 15-20 साल पहले टन में मछली होती थी इन झीलों में। अब झील किनारे भी बाहर की मछलियां बिक रही हैं।19 किमी में मोती झील है। 2017 में 28 करोड़ रुपए से इसका जीर्णोद्धार किया गया।

यहां का घुड़दौड़ पोखरा दो किमी लंबा है, लेकिन उस पर भी अतिक्रमण खूब है। सीपीआई के कमला मिश्र मधुकर संसद में सवाल उठा चुके हैं। नहरों का जाल पूर्व चंपारण में बिछाया गया। लेकिन अब बहुत बदतर स्थिति है।

पूर्वी चंपारण में 18 हेक्टेयर में लीची की खेती होती है, 11 हेक्टेयर में आम है लेकिन ज्यादातर फल बाहर जा रहे हैं। यहां फूड प्रसंस्करण उद्योगों की खासी कमी है।

दूध के मामले में यह इलाका काफी संपन्न है। सुधा डेयरी अलग से है। यहां का दूध दिल्ली से कोलकाता तक जा रहा। इस सब के बावजूद पूर्व चंपारण में पलायन बहुत है। तीन माह खेती करने के बाद लोग बाकी समय बेकार हो जाते हैं। यहां मेडिकल कॉलेज खुलना है, लेकिन अभी तक वह नहीं खुला।

लालू-तेजस्वी के कुशवाहा कार्ड का बड़ा असर दिख रहा

वरिष्ठ पत्रकार अर्जुन सिंह भारतीय, चंद्रशेखर से काफी करीबी रहे। कई बार विधान सभा चुनाव भी लड़े। वे कहते हैं कि पूर्वी चंपारण में सवर्ण और पिछड़ा की लड़ाई हो गई है। लालू प्रसाद ने कई कुशवाहा को बिहार में टिकट दिलवाया है। इसका भारी असर है।

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