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जिले में श्रम विभाग महज एक श्रम निरीक्षक के भरोसे चल रहा है। इसकी वजह से विभाग से जुड़ी योजनाओं का लाभ जरुरतमंदों को समय पर नहीं मिल रहा है। हजारों आवेदन लंबित पड़े हैं। गरीब मजदूर परिवार की महिलाओं को महतारी जतन योजना, बेटियों को नोनी जतन योजना, मजदूरों के बच्चों को छात्रवृत्ति योजना, टूलकिट योजना, सिलाई मशीन योजना सहित दर्जनों प्रकार के दर्जनों योजनाएं गरीब परिवारों को नहीं मिल रहा है।
श्रमिक पंजीयन से लेकर मजदूर कार्ड बनाने व त्रुटि सुधार कार्य के हजारों आवेदन पेंडिंग पड़े हैं। श्रम विभाग में 3 श्रम निरीक्षक का पद स्वीकृत हैं, जो महासमुंद सहित जिले के सभी तहसीलों का कार्य करते थे। वर्तमान में 3 में से 2 लेवर इंस्पेक्टर का स्थानांतरण कर दिया गया है। लगभग 4 महीने पूर्व दोनों लेबर इंस्पेक्टर के भेजे जाने के बाद केवल एक श्रम निरीक्षक जिले का काम संभाल रहा है। जिससे लंबित आवेदनों की संख्या बढ़ती जा रही है।
हाल ही में पूर्व संसदीय सचिव विनोद चंद्राकर ने दावा किया था कि स्थानांतरित निरीक्षकों के बदले नई नियुक्ति नहीं होने से मजदूर पंजीयन से लेकर त्रुटि सुधार और योजनाओं के लाभ के लिए लाभार्थी मजदूरों के लगभग 20 हजार से अधिक आवेदन श्रम विभाग में पेंडिंग पड़े हैं।
नियुक्ति नहीं होने से हालात पिछले 6 महीने से बने हुए रायपुर मुख्य आयुक्त कार्यालय से एक सहायक आयुक्त को जिले का प्रभार दिया गया है, लेकिन उन्होंने आज तक प्रभार नहीं लिया है। वर्तमान में श्रम कल्याण अधिकारी नितांत श्रीवास्तव हैं, जो विभागीय योजनाओं के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। वहीं श्रम निरीक्षक के रुपए धनेंद्र चंद्राकर अकेले जिले का काम देख रहे हैं, लेकिन वे भी काफी लंबे समय से छुट्टी पर होने से पूरे जिले में श्रम विभाग का प्रभावित हो रहा है। यह हालात पिछले छह महीने से बने हुए हैं। जिससे जिले के लोगों को परेशानी हो रही।