DJs kept playing till late night in the streets and mohallas at a volume of more than 95 decibels without permission | गली-मोहल्लों में बिना अनुमति 95 डेसीबल से अधिक आवाज में देर रात तक बजते रहे डीजे – Bilaspur (Chhattisgarh) News

त्योहार के नाम पर कानफोड़ू डीजे लोगों के लिए सिरदर्द बन गया है। हाई कोर्ट के प्रतिबंध के बाद भी जन्माष्टमी के अवसर पर शहर के गली-मोहल्लों में 95 से 100 डेसीबल की आवाज में डीजे देर रात तक बजते रहे। घरों की छप्पर और दरवाजे-खिड़कियों में कंपन शुरू हो रहा

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मनाही के बाद भी डीजे वाले बाबू तय पैमाने से दोगुना आवाज में डीजे बजा रहे थे। दैनिक भास्कर की टीम दयालबंद, वेयर हाउस रोड, जूना बिलासपुर, दीनदयाल समेत अन्य क्षेत्रों में कानफोड़ू आवाज को जब डेसीबल मीटर में चेक किया तो आवाज 95 से 100 डेसीबल तक मिला। दयालबंद में सबसे ज्यादा आवाज में डीजे बजाया जा रहा था। यहां डीजे बजाने के लिए डीजे वाले ने जनरेटर दूसरी गाड़ी में लेकर आए थे। इसी तरह वेयर हाऊस में डीजे की आवाज 95 से 98 डेसीबल तक मिली। मंगला दिनदयाल कॉलोनी में डीजे की आवाज 90 से 94 डेसीबल तक गई। कुदुदंड, सरकंडा, तिफरा पुराना हाई कोर्ट समेत पूरे शहर में भी डीजे बजने से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने पिछले साल 28 और 29 सितंबर 2023 को डीजे के शोर से होने वाली परेशानियों को लेकर प्रकाशित खबरों पर संज्ञान लिया। 13 दिसंबर 2023 को मामले पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने विस्तृत दिशा- निर्देश जारी किए थे। हाई कोर्ट ने सभी जिलों के कलेक्टर से कहा था कि हार्न- स्पीकर से अस्पतालों, स्कूल और कार्यालयों के पास होने वाले शोर को कम करने राज्य सरकार संवेदनशील जगहों की पहचान करें और उन्हें साइलेंस जोन घोषित किया जाए।

पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत रहवासी क्षेत्र में 55 डेसीबल और रात में 45 डेसीबल से अधिक ध्वनि नहीं होनी चाहिए। छत्तीसगढ़ कोलाहल अधिनियम 1985 की धारा 5, 6 व 7 में कहा गया है कि बिना अनुमति के स्पीकर व अन्य यंत्रों का उपयोग नहीं हो सकता। कैटेगरी दिन रात औद्योगिक 75 70 डेसीबल वाणिज्यिक 65 55 डेसीबल रिहायशी 55 45 डेसीबल शांत क्षेत्र 50 40 डेसीबल

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