Diwali 2025, know the mantras and offerings of Ashtalakshmi, significance of ashtlaxmi in hindi | दीपावली आज, जानिए अष्टलक्ष्मी के मंत्र और भोग: महालक्ष्मी के हैं आठ स्वरूप, इच्छाओं के अनुसार की जाती है देवी के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा

4 घंटे पहले

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आज (20 अक्टूबर) दीपावली है। सूर्यास्त के बाद महालक्ष्मी की पूजा की जाएगी। लक्ष्मी सिर्फ धन की देवी नहीं हैं, बल्कि जीवन की आठ जरूरी बातों के लिए भी पूजी जाती हैं। देवी के आठ स्वरूपों का जिक्र ऋग्वेद के श्रीसूक्त, महाभारत और नारद पंचरात्र में भी है। इन ग्रंथों के अलावा अष्टलक्ष्मी से जुड़ी कई लोककथाएं भी हैं। देश में कई जगहों पर अष्टलक्ष्मी के मंदिर हैं। भक्त अपनी इच्छाओं के मुताबिक देवी के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा कर सकते हैं।

समुद्र मंथन से प्रकट हुई थीं महालक्ष्मी

देवताओं और असुरों ने समुद्र मंथन किया था। इस मंथन से महालक्ष्मी सहित 14 दिव्य रत्न निकले थे। कार्तिक मास की अमावस्या पर महालक्ष्मी प्रकट हुई थीं और देवी ने भगवान विष्णु से विवाह किया था। इस वजह से कार्तिक अमावस्या महालक्ष्मी प्रकटउत्सव यानी दीपावली के रूप में मनाई जाती है। देवी लक्ष्मी ने समय-समय पर भक्तों को अलग-अलग मनोकामनाएं पूरी करने के लिए अलग-अलग अष्ट स्वरूप धारण किए हैं।

जानिए महालक्ष्मी के आठ स्वरूप कौन-कौन से हैं…

ये महालक्ष्मी का मूल स्वरूप है। इस स्वरूप की पूजा से भक्त को सुख-समृद्धि, शांति, पारिवारिक प्रेम, मान-सम्मान, अच्छी सेहत और लंबी उम्र मिलती है।

मंत्र – ॐ आद्यलक्ष्म्यै नमः

भोग – खीर

देवी का स्वरूप

आदि लक्ष्मी के चार हाथ हैं। एक दाएं हाथ में कमल है, दूसरे दाएं हाथ में अभय मुद्रा है। एक बाएं हाथ में ध्वज है और दूसरे बाएं हाथ में वर मुद्रा है। देवी लाल वस्त्र धारण करती हैं और कमल पुष्प पर विराजमान हैं।

जो भक्त आर्थिक मनोकामनाएं पूरी करना चाहते हैं, उन्हें देवी के धन लक्ष्मी स्वरूप की पूजा करनी चाहिए।

मंत्र – ॐ धनलक्ष्म्यै नमः

भोग – गन्ना

देवी का स्वरूप

देवी के छ: हाथ हैं। इनमें से पांच हाथों में सुदर्शन चक्र, शंख, कलश, धनुष-बाण और अभय मुद्रा है। एक हाथ वर मुद्रा में है, इस हाथ में से सोने के सिक्के प्रवाहित होते रहते हैं। देवी लाल वस्त्र धारण करती हैं और कमल पुष्प पर विराजती हैं।

देवी का ये स्वरूप अन्नपूर्णा माता के नाम से जाना जाता है। इनकी पूजा से घर-परिवार में अन्न यानी खाने की कमी नहीं आती है।

मंत्र – ॐ धान्यलक्ष्म्यै नमः

भोग – अनाज, सिंघाड़ा

देवी का स्वरूप

देवी के इस स्वरूप के आठ हाथ हैं। पहले दाएं हाथ में गेहूं की बालियां हैं, दूसरे हाथ में गन्ना है, तीसरे में कमल और चौथा हाथ अभय मुद्रा में है। दो बाएं हाथों में कमल, एक हाथ में केले और एक हाथ में वर मुद्रा है। देवी मां लाल-हरे वस्त्र धारण करती हैं और कमल पुष्प के आसन पर विराजमान हैं।

इस स्वरूप की पूजा करने से भक्त को काम करने की ताकत और अच्छी सेहत मिलती है। गज लक्ष्मी राजा के समान सुख-सुविधा देने वाली मानी जाती हैं।

मंत्र – ॐ गजलक्ष्म्यै नमः

भोग – गन्ना

देवी का स्वरूप

देवी के साथ दो हाथी भी दिखाई देते हैं, हाथियों की सुंड में कलश हैं, जिनसे वे लक्ष्मी का अभिषेक कर रहे हैं। देवी के चार हाथ हैं। दो हाथों में कमल के फूल हैं। एक हाथ में वर मुद्रा और एक हाथ में अभय मुद्रा है। देवी लाल वस्त्र धारण करती हैं और कमल पुष्प पर विराजती हैं।

देवी का ये स्वरूप घर-परिवार में बच्चों से जुड़ी समस्याएं दूर करने वाला माना जाता है। संतान पाने की कामना से पति-पत्नी संतान लक्ष्मी की पूजा करते हैं।

मंत्र – ॐ सन्तानलक्ष्म्यै नमः

भोग – मौसमी फल

देवी का स्वरूप

देवी के छ: हाथ हैं। देवी के दो हाथों में एक-एक कलश हैं। इस स्वरूप में देवी की गोद में एक बच्चा भी दिखाई देता है, जिसे बाएं से पकड़ रखा है। एक दाएं हाथ में तलवार है और एक बाएं हाथ में ढाल है। एक दाएं हाथ अभय मुद्रा में है। देवी मां लाल-पीले वस्त्र धारण करती हैं और कमल पुष्प पर विराजमान हैं।

देवी का ये स्वरूप वीरता का प्रतीक है। जो भक्त साहसिक कार्यों में सफल होना चाहते हैं, वे लक्ष्मी के इस स्वरूप की आराधना करते हैं।

मंत्र – ॐ वीरलक्ष्म्यै नमः

भोग – नारियल

देवी का स्वरूप

वीर लक्ष्मी के आठ हाथ हैं। देवी ने अपने हाथों में त्रिशूल, शंख, धनुष, बाण, अंकूश और स्वर्ण पात्र धारण किया है। अन्य दो हाथों अभय मुद्रा और वर मुद्रा हैं। देवी लाल वस्त्र धारण करती हैं और कमल पुष्प पर विराजमान हैं।

पुराने समय में युद्ध में विजय पाने की कामना से राजा विजय लक्ष्मी की पूजा करते थे। सफलता की कामना से देवी के इस स्वरूप को पूजना चाहिए।

मंत्र – ॐ विजयलक्ष्म्यै नमः

भोग – मिठाई

देवी का स्वरूप

देवी मां के आठ हाथ हैं। देवी अपने छह हाथों में क्रमशः शंख, चक्र, तलवार, ढाल, कमल और पाश धारण करती हैं। दो अन्य हाथों में अभय मुद्रा और वर मुद्रा हैं। विजय लक्ष्मी लाल वस्त्र धारण करती हैं और कमल पुष्प पर विराजमान हैं।

जीवन में ऐश्वर्य यानी सुख-सुविधाएं, मान-सम्मान पाने की कामना से लक्ष्मी के इस स्वरूप को पूजा जाता है। देवी के इस स्वरूप को पूजने से भक्त को धैर्य भी मिलता है।

मंत्र – ॐ ऐश्वर्यलक्ष्म्यै नमः

भोग – मिठाई

देवी का स्वरूप

देवी के चार हाथ हैं। दो हाथों में कमल के फूल हैं। एक हाथ में वर मुद्रा और एक हाथ में अभय मुद्रा है। ऐश्वर्य लक्ष्मी को सफेद वस्त्र धारण करती हैं। कमल पुष्प पर विराजमान हैं।

स्कैच आर्टिस्ट – संदीप पाल

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