diwali 2025, goddess laxmi puja tips in hindi, Why is Mahalakshmi worshipped alongside Lord Ganesha and Goddess Saraswati? Learn the special facts about this ritual. | दीपावली 20 अक्टूबर को: भगवान गणेश और देवी सरस्वती के साथ क्यों पूजी जाती हैं महालक्ष्मी? जानिए पूजा-पाठ से जुड़ी खास बातें

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22 घंटे पहले

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20 अक्टूबर को दीपावली है। मान्यता है कि कार्तिक अमावस्या पर देवी लक्ष्मी समुद्र मंथन से प्रकट हुई थीं, इस वजह से इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। लक्ष्मी जी के साथ ही भगवान गणेश और देवी सरस्वती की भी पूजा होती है। इन तीनों देवी-देवताओं की तस्वीरें भी बहुत प्रचलित हैं। जानिए इन तीनों देवी-देवताओं की पूजा एक साथ क्यों की जाती है…

धन, बुद्धि और ज्ञान का प्रतीक हैं ये तीनों

महालक्ष्मी धन, समृद्धि और वैभव की देवी हैं। वे सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य का प्रतिनिधित्व करती हैं। भगवान गणेश बुद्धि, विघ्नविनाशक और शुभारंभ के देवता माने जाते हैं। वे सभी कार्यों की शुरुआत में पूजे जाते हैं ताकि विघ्न न आए। देवी सरस्वती ज्ञान, कला, संगीत और विद्या की देवी हैं।

दीपावली के अवसर पर इन तीनों देवी-देवताओं की पूजा एक साथ करने का अर्थ है – जीवन में धन, बुद्धि और ज्ञान का तालमेल जरूरी है। धन (महालक्ष्मी) कमाने और उसका सही उपयोग करने के लिए बुद्धि (गणेश) और ज्ञान (सरस्वती) आवश्यक है। इन तीनों का सही संतुलन ही जीवन में सुख-समृद्धि पाने का मूलमंत्र है।

सिर्फ धन से सुख-शांति नहीं मिलती

जीवन में केवल धन से सुख-शांति संभव नहीं है। धन का सही नियोजन और विवेक बुद्धि से ही होता है, जो गणेश का रूप है। वहीं ज्ञान से ही हम सही निर्णय लेते हैं और जीवन के उच्चतर लक्ष्य प्राप्त करते हैं, जो सरस्वती का रूप है। इसलिए महालक्ष्मी की पूजा में गणेश और सरस्वती को भी शामिल करना चाहिए।

धन का मतलब केवल भौतिक संपदा से नहीं है। मनुष्य जीवन में धन का महत्व तभी बढ़ता है जब उसका सही प्रयोग किया जाए। बुद्धि और ज्ञान के बिना धन लोभ, अनियंत्रण और अधर्म की ओर ले जाता है। महाभारत में भी धन के महत्व के साथ उसके सदुपयोग की बात कही गई है। अर्जुन को भगवान कृष्ण ने ये सिखाया कि केवल धन नहीं, बल्कि ज्ञान और धर्म के अनुसार काम करना पुरुषार्थ है। पुरुषार्थ ही धन की प्राप्ति का आधार है।

भगवान विष्णु के साथ भी कर सकते हैं लक्ष्मी की पूजा

देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी हैं। शास्त्रों में यह कहा गया है कि जो भक्त लक्ष्मी जी के साथ विष्णु जी की भी पूजा करता है, उसे लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। विष्णु जी पुरुषार्थ के प्रतीक हैं, जो जीवन के सभी कार्यों में संतुलन स्थापित करते हैं।

विष्णु पुराण में विष्णु और लक्ष्मी के संयुक्त पूजन का विशेष महत्व बताया गया है। इनका संयुक्त पूजन जीवन में धन, ज्ञान, बुद्धि और पुरुषार्थ की प्राप्ति का साधन है।

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