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- Diwali 2025, Deepawali Traditions In Hindi, Ritual About Deepak, We Should Remember These Things About Dipak On Diwali
9 घंटे पहले
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अभी कार्तिक मास चल रहा है और इस महीने में रोज दीपदान करने की परंपरा है। इसी महीनों में दीपों का पर्व दीपावली (20 अक्टूबर) भी मनाया जाता है। मान्यता है कि दीपक की रोशनी देवी-देवताओं को बहुत प्रिय है। दीपक रोशनी सकारात्मकता की प्रतीक है। दीपक अंधकार को दूर करता है, जीवन प्रबंधन के नजरिए से इसका अर्थ ये है कि जब हमारे जीवन में ज्ञान का प्रकाश आता है तो जीवन से अंधकार रूपी ज्ञान दूर हो जाता है। जानिए दीपक से जुड़ी खास बातें…
खंडित दीपक का इस्तेमाल न करें
पूजा-पाठ के लिए वस्तु का पूर्ण और अखंडित होना जरूरी है। दीपावली पर मिट्टी के दीपक जलाने की परंपरा है। मिट्टी के दीपक बहुत ही आसानी से खंडित हो जाते हैं। ध्यान रखें पूजा-पाठ में टूटा या खंडित दीपक नहीं जलाना चाहिए। खंडित वस्तुओं का उपयोग करना अशुभ माना जाता है और इससे पूजा का पूरा फल प्राप्त नहीं होता। खंडित चीजों की वजह से पूजा करते समय एकाग्रता टूट सकती है और हमारा ध्यान भगवान से हटकर टूटी चीजों पर चला जाता है।
पवित्रता और सकारात्मकता बढ़ाता है दीपक
दीपक अज्ञान के अंधकार को मिटाकर ज्ञान का प्रकाश फैलाने का संदेश देता है। जब हम दीप जलाते हैं तो न केवल घर का अंधकार मिटता है, बल्कि हमारे मन-मस्तिष्क में भी एक सकारात्मक ऊर्जा और पवित्र भावों का संचार होता है। यही कारण है कि दीपक को शुभता, समृद्धि, पवित्रता और मंगलता का प्रतीक माना गया है।
दीपक के लिए गाय के दूध से बने घी का करें इस्तेमाल
पूजा में घी का दीपक जलाना चाहिए। खासकर गाय के दूध से बना हुआ घी श्रेष्ठ होता है। धार्मिक दृष्टि से गाय का घी पंचामृत में से एक है। गाय के घी का दीपक जलाने से वातावरण में मौजूद सूक्ष्म कीटाणु नष्ट होते हैं और घर का वातावरण शुद्ध, पवित्र, सकारात्मक बनता है। जब अग्नि में घी जलता है तो वह वातावरण में फैलकर हवा को शुद्ध करता है और नकारात्मकता को दूर करता है।
दीपक जलाने की दिशा और विधि
पूजा करते समय दीपक रखने की दिशा भी महत्व रखती है। मान्यता है कि देवी-देवताओं की पूजा में घी का दीपक हमारे बाएं हाथ की ओर और तेल का दीपक दाएं हाथ की ओर रखना चाहिए। इससे ऊर्जा का संतुलन बना रहता है और पूजा का संपूर्ण फल मिलता है। साथ ही ये भी ध्यान रखना चाहिए कि पूजा के दौरान दीपक बुझना नहीं चाहिए। अगर दीपक बुझ जाए तो इसे अपशकुन माना जाता है, इसलिए दीपक जलाने से पहले ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि दीपक पूजा में पूरे समय जलता रहे। अगर दीपक अचानक बुझ जाता है तो भगवान से क्षमा याचना करके फिर से जलाना चाहिए।
दीपक जलाने के लिए सामान्यतः सफेद रुई की बत्ती का प्रयोग करना चाहिए। रुई नहीं होने की स्थिति में लाल धागे की बत्ती बनाकर भी दीपक जलाया जा सकता है। लाल रंग को मंगल और शक्ति का प्रतीक माना जाता है, अतः इसका प्रयोग भी शुभ होता है।