तीर्थ पुरोहित ने बताया कि 20 तारीख को भी पूजा की जा सकती है।
रोशनी का पर्व दीपावली इस साल सोमवार और मंगलवार दोनों दिन मनाए जाने की चर्चाओं के बीच लोगों में असमंजस है। कुछ ज्योतिषाचार्य और पंडित 20 अक्टूबर को दिवाली मनाने की बात कह रहे थे, तो कुछ का कहना था कि शास्त्रसम्मत पूजन 21 अक्टूबर को होगा। इस बीच हरिद्व
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दैनिक भास्कर एप से की गई बातचीत में तीर्थ पुरोहित ने ना सिर्फ दीपावली मनाने की तारीख बताई, बल्कि इसके साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि आखिर ये विवाद पैदा ही क्यों हुआ और अगर 20 को पूजा कर ली तो क्या होगा। सवाल जवाबों के माध्यम से इस पूरी बातचीत को पढ़िए…

सवाल: इस बार दीपावली की तिथि को लेकर भ्रम क्यों था? जवाब: वास्तव में कुछ पंचांग और ज्योतिषाचार्यों के मत अलग-अलग थे। कुछ ने 20 अक्टूबर को प्रदोष काल और अमावस्या का योग देखते हुए दीपावली मनाने की बात कही, तो कुछ ने 21 अक्टूबर को शास्त्रसम्मत बताया। हमने धर्म सिंधु, निर्णय सिंधु, श्री गंगा सभा के पंचांग और पुरुषार्थ चिंतामणि सहित सभी प्रामाणिक ग्रंथों का अध्ययन किया। इसके बाद ज्योतिषाचार्यों से विचार-विमर्श कर 21 अक्टूबर को दीपावली मनाने का निर्णय लिया गया।
सवाल: 21 अक्टूबर का शुभ मुहूर्त क्या है? जवाब: इस वर्ष अमावस्या तिथि मंगलवार शाम 5 बजकर 55 मिनट तक रहेगी। दीपावली पूजन का सही और उत्तम समय सूर्यास्त से आधा घंटा पहले शुरू होकर रात 8 बजकर 24 मिनट तक रहेगा, यही समय गृहस्थों के लिए श्रेष्ठ और शास्त्रसम्मत है।
सवाल: क्या 20 अक्टूबर को पूजा करना गलत है? जवाब: कुछ लोग तंत्र साधना या काली पूजा अमावस्या की रात में करते हैं। उनके लिए 20 अक्टूबर की रात पूजा करना भी ठीक है, क्योंकि उस रात अमावस्या का प्रभाव रहेगा। लेकिन सामान्य गृहस्थों और लक्ष्मी गणेश पूजा करने वालों के लिए 21 अक्टूबर का मुहूर्त ही श्रेष्ठ है।
सवाल: दीपावली पर पूजा कैसे करें? जवाब: सबसे पहले स्नान कर शुद्ध और सफेद वस्त्र धारण करें। चौकी पर लक्ष्मी, गणेश और कुबेर की मूर्ति रखें और मौली बांधें। फिर छह चौमुखे और 26 छोटे घी के दीपक जलाएं। देवताओं को गंगाजल से स्नान कराने के बाद रोली, अक्षत, मिष्ठान, धूप, धान का लावा, मधु, सफेद मेवा और दीप अर्पित करें।

पंचांग देखकर जानकारी देते तीर्थ पुरोहित उज्जवल पंडित
अब पढ़िए उन पंडितों के विचार जो 20 को दिवाली मनाने की बात कह रहे हैं…
20 अक्टूबर को दिवाली मनाने की वजह और तर्क
कुछ ज्योतिषाचार्यों ने 20 अक्टूबर को दिवाली मनाने का सुझाव दिया। गाजियाबाद के दुर्गा मंदिर के पंडित राम किशोर ने बताया कि इस दिन प्रदोष काल, वृषभ लग्न और महानिशीथ काल का संयोग बन रहा है। प्रदोष काल शाम 5:46 बजे से रात 8:18 बजे तक, वृषभ लग्न शाम 7:08 से रात 9:03 बजे तक, और महानिशीथ काल मध्यरात्रि 11:36 बजे से 21 अक्टूबर आधी रात 12:27 बजे तक रहेगा। इसी संयोग में लक्ष्मी पूजन और काली पूजन करना उचित होगा।
बद्री-केदार धाम के धर्माधिकारी पंडित राधाकृष्ण थपलियाल ने भी 20 अक्टूबर का पक्ष रखा। उनके अनुसार अमावस्या तिथि, प्रदोषकाल और शुभ मुहूर्त का संयोग 20 अक्टूबर को बन रहा है, इसलिए तंत्र साधना या काली पूजा अमावस्या की रात में करने वाले लोग इसी दिन पूजा कर सकते हैं। इसी तरह ज्योतिषाचार्य आचार्य डॉ. सुशांत राज ने बताया कि कार्तिक अमावस 20 अक्टूबर दोपहर 3:44 बजे से 21 अक्टूबर शाम 5:54 बजे तक रहेगी और लक्ष्मी पूजन निशिता काल में होता है, जो 20 अक्टूबर को पड़ रहा है।
