म्यांमार में गया के मगध यूनिवर्सिटी के नाम की फर्जी डिग्री बांटने का मामला सामने आया है। ये सभी डिग्रियां इसी साल सितंबर में बांटी गईं हैं। आरोप यूनिवर्सिटी के दो प्रोफेसर पर लगा है। मामले को लेकर जब कुलपति एसपी शाही से जानकारी ली गई, तो उन्होंने कहा
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कुलपति के निर्देश पर कुलानुशासक यानी प्रॉक्टर प्रोफेसर डॉक्टर उपेंद्र कुमार की ओर से 11 दिसंबर को मगध यूनिवर्सिटी थाने में FIR दर्ज कराई गई है, जिसमें मगध विश्वविद्यालय के बौद्ध अध्ययन विभाग के प्रोफेसर विष्णु शंकर और कैलाश प्रसाद को आरोपी बनाया गया है। विष्णु शंकर बौद्धगया के रहने वाले हैं और वे पार्ट टाइम लेक्चरर हैं। फर्जी डिग्री बांटे जाने का मामला 29 सितंबर 2024 का है।
इसी फेसबुक पोस्ट से पूरे मामले का खुलासा हुआ है।
दर्ज की गई FIR में कहा गया है कि मगध विश्वविद्यालय के नाम पर अनाधिकृत रूप से मानद डिग्री बांटना करना अपराध है और ये पूरी तरह से फर्जीवाड़ा है।
सोशल मीडिया के जरिए सामने आया मामला
मगध यूनिवर्सिटी के कुलपति ने कहा है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक के जरिए मामला सामने आया। फेसबुक पर एक फोटो पोस्ट की गई है, जो म्यांमार की बताई जा रही है। फोटो में 8 लोग दिख रहे हैं। इनमें से दो लोगों की पहचान बौद्ध अध्यन विभाग के प्रोफेसर विष्णु शंकर और कैलाश प्रसाद के रूप में हुई है। ये दोनों 6 विदेशी नागरिकों के साथ खड़े हैं, जिन्हें बौद्ध अध्यन विभाग की डिग्री दी जा रही है।
म्यांमार के लोगों को डिग्री बांटने के बाद खड़े विष्णु शंकर और कैलाश प्रसाद। (दाहिने से दूसरा)
27 सितंबर को दोनों प्रोफेसर गए थे म्यांमार
प्रॉक्टर उपेंद्र कुमार के मुताबिक, दोनों आरोपी 27 सितंबर को म्यांमार की राजधानी यांगुन गए थे, वहां जाकर एक कार्यक्रम के तहत दोनों ने विदेशी नागरिकों को डिग्रियां दीं और मानद उपाधि से सम्मानित किया। विदेशी नागरिकों को जो डिग्रियां दी गईं हैं, उन पर वर्तमान कुलपति का सिग्नेचर है, जिसे उन्होंने फर्जी बताया है।
कुलपति शाही ने कहा है कि जो भी डिग्री देनी होती है, वो यूनिवर्सिटी में ही दिया जाता है। ऐसा कोई नियम नहीं है कि कोई विदेशी नागरिक या छात्र के पास उसके देश में पहुंचकर उसे डिग्री सौंपे और मानद उपाधि से सम्मानित करे।
मगध यूनिवर्सिटी की डिग्री जिसे म्यांमार के एक छात्र को दी गई है।
कितनी ऐसी फर्जी डिग्रियां बांटी, इसकी पड़ताल जारी
फिलहाल, ये सामने नहीं आया है कि आरोपी दोनों प्रोफेसर ने इसके अलावा और कितनी डिग्रियां बांटी हैं। इसकी जांच पड़ताल जारी है। कुलपति शाही ने भी इस संबंध में कहा है कि फर्जी डिग्रियों के बांटे जाने का फिलहाल कोई स्पष्ट आंकड़ा नहीं है, लेकिन बड़े पैमाने पर इस तरह के फर्जीवाड़ा की संभावना है। फर्जी डिग्री का खेल यहां लंबे समय से चला रहा है जिसकी जांच में खुद करवा रहा हूं।
FIR दर्ज होने के बाद से दोनों आरोपी फरार
प्रॉक्टर की ओर से केस दर्ज कराए जाने के बाद से आरोपी कैलाश प्रसाद और विष्णु शंकर फरार हो गए हैं। मगध विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर उपेन्द्र कुमार ने कहा कि दोनों आरोपियों की नियुक्ति यहां कैसे और कब हुई मेरे संज्ञान में नहीं है। विष्णु शंकर फैकल्टी टीचर, जबकि कैलाश प्रसाद पार्ट टाइम लेक्चरर हैं। 27 सितंबर को म्यांमार पहुंचने के दो दिनों के बाद यानी 29 सितंबर को सोशल मीडिया फ़ेसबुक के जरिए डिग्री प्राप्त करने वाले छात्रों की ओर से फेसबुक पर पोस्ट किया।
प्रॉक्टर ने बताया कि हम लोगों को इसकी जानकारी 10 दिसंबर की रात लगी। मेरी ओर से मामले की गंभीरता को देखते हुए कुलपति शाही को ज्ञापन सौंपा गया। इसके बाद कुलपति के दिशा निर्देश के बाद मगध विश्वविद्यालय में FIR दर्ज़ कराई गई।