प्रदेश में औद्योगिक विकास व निवेश के लिए सरकार राइजिंग राजस्थान का आयोजन कर रही है और देश-विदेश के निवेशकों को आमंत्रित करने के लिए रोड शो व राउंड टेबल मीटिंग हो रही है। वहीं, प्रदेश में बिजली सिस्टम के कुप्रबंधन के कारण उद्योगों व व्यावसायिक गतिविधि
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दोनों ही निगमों के बीच तालमेल नहीं होने की वजह से अलग-अलग समय बिजली कटौती होती है। मेंटेनेंस के लिए बिजली कटौती को लेकर विद्युत विनियामक आयोग (आरईआरसी) ने उपभोक्ताओं को सार्वजनिक व व्यक्तिगत सूचना देने का सख्त आदेश दे रखा है, लेकिन उनकी पालना नहीं हो रही है। बिजली प्रसारण व वितरण निगम ने रविवार को सुबह से शाम तक बिजली कटौती की, लेकिन इसकी उपभोक्ताओं को सूचना ही नहीं दी। जयपुर डिस्कॉम के चीफ इंजीनियर आरके जीनवाल का कहना है कि बिजली कटौती की सूचना देने की जिम्मेदारी एक्सईएन व एईएन की है। सीई के पास बहुत काम रहते हैं। काम के लिए बिजली कटौती तो करनी ही पड़ती है।
हर इलाके में तीन बार बिजली कटौती: डिस्कॉम व बिजली प्रसारण निगम के बीच तालमेल नहीं होने के कारण हर इलाके में तीन से चार बार बिजली बंद दी जाती है। पहले एलटी लाइन, फिर एचटी लाइन और कई बार 132 व 220 केवी जीएसएस की मेंटेनेंस के लिए बिजली काटी जा रही है। राजधानी जयपुर में भी हर रविवार पर बड़े स्तर पर बिजली कटौती की जा रही है।
‘मैकेनिज्म’ नहीं, आरएमयू के बावजूद पूरा इलाका बंद
जयपुर डिस्कॉम ने एचटी लाइनों के बीच बीच में और ट्रांसफार्मर के पास रिंग मैन यूनिट (आरएमयू) लगा है। इस प्रोजेक्ट पर जयपुर शहर में 600 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्चा किया गया। इसके बावजूद पूरे इलाके में बिजली बंद कर दी जाती है। रिंग मैन यूनिट (आरएमयू) बिजली फीडर के बीच में लगाने थे, लेकिन ठेकेदारों ने ट्रांसफार्मर के पास ही लगा कर पेमेंट उठा लिया। जबकि आरएमयू से छोटे-छोटे फीडर में आधी कॉलोनियों में बिजली बंद कर मेंटेनेंस करनी चाहिए।
मेंटेनेंस में हुए कार्यों की नहीं हो रही टेक्निकल ऑडिट प्रदेश में मानसून व दीपावली पूर्व मेंटेनेंस पर हर साल 100 करोड़ रुपए खर्च किए जाते हैं, लेकिन टेक्निकल ऑडिट नहीं होने के कारण एक काम को ही माप-पुस्तिका में कई बार एंट्री कर पेमेंट किया जा रहा है। मेंटेनेंस होने के बावजूद बिजली सप्लाई की गारंटी नहीं रहती है। तीन साल पहले जयपुर डिस्कॉम के प्रबंध निदेशक ने टेक्निकल ऑडिट का आदेश दिया था ताकि जी-शेड्यूअल, माप पुस्तिका व बिल पेमेंट के फर्जीवाड़ा पर पाबंदी लगाई जा सके।