9 घंटे पहले
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आज (20 अक्टूबर) दीपावली की रात लक्ष्मी पूजन किया जाएगा। पौराणिक कथा के मुताबिक, कार्तिक मास की अमावस्या पर ही देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। मान्यता है कि इस तिथि पर देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं। जिन घरों में दीपक, शुद्धता और श्रद्धा होती है, जिस घर के लोग धर्म प्रवृत्ति के होते हैं, वहां देवी वास करती हैं।
मां लक्ष्मी को शुचिता यानी साफ-सफाई बहुत प्रिय है, स्वच्छता में सकारात्मक ऊर्जा का वास है। स्वच्छ घर में लक्ष्मी वास करती हैं। ये बात केवल घर तक सीमित नहीं है, बल्कि हमें अपने मन की सफाई करते रहना चाहिए, बुरे विचारों से बचना चाहिए।
दीपक क्यों जलाते हैं?
घर में दीपक जलाना अंधकार रूपी दरिद्रता और अज्ञान को दूर करने का प्रतीक है। दीपों से घर आलोकित होता है, जो महालक्ष्मी के स्वागत के लिए एक निमंत्रण पत्र की तरह है। जहां दीपक जलाए जाते हैं, वहां देवी लक्ष्मी वास करती हैं।
तिजोरी की पूजा क्यों करें?
तिजोरी, बहीखाते और व्यापार से जुड़ी जरूरी चीजों की पूजा करके हम धन का सम्मान करते हैं। लक्ष्मी केवल धन नहीं, धन के सदुपयोग की भी देवी हैं। महालक्ष्मी और धन से जुड़ी चीजों की पूजा से हम उनके प्रति आभार प्रकट करते हैं।
कुबेर देव की पूजा क्यों करें?
कुबेर को धन का अधिपति और देवताओं का कोषाध्यक्ष माना जाता है। दीपावली पर लक्ष्मी के साथ कुबेर की पूजा करने से घर के धन भंडार में वृद्धि होती है। ऐसी मान्यता है। ये पूजा आर्थिक स्थिरता, निवेश और समृद्धि की कामना से की जाती है। कुबेर पूजन से धन का आगमन और संरक्षण दोनों होता है।
पूजा में चौमुखा दीपक क्यों जलाएं?
चौमुखा दीपक धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष, चार पुरुषार्थों का प्रतीक है। लक्ष्मी पूजा में चौमुखा दीपक जलाने से जीवन में इन चारों पुरुषार्थों का संतुलन बना रहता है। ऐसी मान्यता है। चौमुखा दीपक की लौ चारों दिशाओं में प्रकाश फैलाकर सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करती है। यह ज्ञान और वैभव का भी प्रतीक है।
महालक्ष्मी के चरण चिह्न क्यों बनाए जाते हैं?
महालक्ष्मी के पैरों के चिह्न मुख्य द्वार से घर के भीतर की ओर बनाए जाते हैं। ये प्रतीकात्मक रूप से दर्शाता है कि महालक्ष्मी घर में प्रवेश कर रही हैं। इससे घर में शुभता, ऐश्वर्य और स्थायित्व आता है। यह परंपरा वास्तु और शास्त्रों से भी जुड़ी हुई है।
धन और अन्न का दान क्यों करें?
महालक्ष्मी केवल धन संग्रह की देवी नहीं, बल्कि वितरण की शक्ति भी हैं। दीपावली पर दान देने से जीवन में संतोष, पुण्य आता है, समाज में समानता आती है। अन्न का दान करना चाहिए, जरूरतमंद को भोजन करना बहुत शुभ माना जाता है। माना जाता है कि इससे महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और हमारे घर में अन्न-धन की कमी नहीं आने देती हैं।
घर के मुख्य द्वार पर बंदनवार लगाते हैं?
बंदनवार शुभता की प्रतीक है। इसे मुख्य द्वार पर लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है और नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं। आम, अशोक या पीपल के पत्ते बंदनवार बनाई जाती है। ये देवी लक्ष्मी के स्वागत का सूचक है, जिससे घर में समृद्धि आती है।
रंगोली क्यों बनाते हैं?
रंगोली से घर के प्रवेश द्वार पर सौंदर्य और आध्यात्मिक ऊर्जा बनी रहती है। ये नकारात्मकता को रोकती है और महालक्ष्मी को आकर्षित करती है। रंग और आकृतियां सौभाग्य को दर्शाती हैं।
महालक्ष्मी के साथ झाड़ू की पूजा क्यों की जाती है?
झाड़ू दरिद्रता यानी गंदगी को दूर करती है। जहां सफाई होती है, वहां महालक्ष्मी का प्रवेश होता है। पूजा में झाड़ू को स्थान देने से का अर्थ है कि हमें घर में साफ-सफाई का विशेष ध्यान देना चाहिए। जब घर में सफाई रहती है तो हम दरिद्रता और बीमारियों से बचे रहते हैं।
मंदिर और नदी में दीपदान क्यों करना चाहिए?
कार्तिक अमावस्या की रात नदी किनारे और मंदिर में दीपदान करने की परंपरा है। माना जाता है कि ऐसा करने से पितरों को शांति मिलती है। दीप जलाकर मंदिर, नदी या पीपल वृक्ष के पास रखा जाता है। ये अज्ञान के नाश और पुण्य संचित करने का तरीका है। इससे हमारे जीवन में शांति और समृद्धि आती है। ऐसी मान्यता है।
