नई दिल्ली5 मिनट पहले
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नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने देश में ऑनलाइन फ्रॉड और डिजिटल अरेस्ट की बढ़ती घटनाओं और खतरे के बारे में ऑनलाइन पेमेंट यूजर्स के लिए एक एडवाइजरी जारी की है। हाल ही में पीएम मोदी ने मन की बात के एक एपिसोड में बताया कि भारतीयों ने डिजिटल अरेस्ट घोटाले के कारण 120.3 करोड़ रुपए गंवाए हैं।
NPCI ने बताया कि डिजिटल पेमेंट की पहुंच अब देश के हर कोने में है, यह देश को डिजिटल फर्स्ट की ओर ले जा रहा है। इस सिस्टम ने यूजर्स को सिक्योरिटी और सुविधा दोनों दी हैं। हालांकि, डिजिटल सिस्टम का सुरक्षित इस्तेमाल करना और स्कैम से बचना जरूरी है। किसी भी संभावित फ्रॉड या स्कैम का समय पर पता लग जाने से आप अपने और अपनों को बचा सकते हैं।
ऐसे में जानते हैं डिजिटल अरेस्ट क्या है और इसका पता लगाने और बचने के क्या क्या तरीके हो सकते हैं…
डिजिटल अरेस्ट क्या है? डिजिटल अरेस्ट एक नए तरह का साइबर और ऑनलाइन स्कैम है, डर इसका सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। स्कैमर्स खुद को पुलिस और अन्य सरकारी विभाग का जांच अधिकारी बताकर सबसे पहले लोगों को यकीन दिलाते हैं कि उन्होंने कोई फाइनेंशियल क्राइम किया है या उनके किसी परिजन के साथ कुछ बुरा हो चुका है या होने वाला है। अधिकतर मामलों में सामने बैठा शख्स पुलिस की वर्दी में होता है। ऐसे में लोगों को विश्वास हो जाता है कि वो सच बोल रहा है। इसके बाद उनके जाल में फंसते चले जाते हैं।
NPCI ने बताया, ऐसे होता है डिजिटल अरेस्ट
- सरकारी अधिकारियों के नाम से फोन कॉल: अगर कोई व्यक्ति पुलिस, CBI, इनकम टैक्स ऑफिसर या कस्टम एजेंट जैसी सरकारी एजेंसियों से होने का दावा करता है, तो सावधान रहें। खासकर अगर वे दावा करते हैं कि तत्काल कानूनी कार्रवाई शुरू की जा रही है या जरूरी है, तो सावधान रहें। वे आरोप लगा सकते हैं कि आप या आपके परिवार का कोई सदस्य मनी लॉन्ड्रिंग, टैक्स चोरी या ड्रग तस्करी जैसे गंभीर अपराध में शामिल है।
- डराने-धमकाने वाली भाषा और जल्दबाजी: ऐसे फ्रॉड करने वाले आपसे वीडियो कॉल के लिए बोलते हैं। इसमें वे पुलिस की वर्दी में होते हैं और वर्दी पर सरकारी लोगो भी लगा होता है। इसके लिए वे एक रियल पुलिस स्टेशन जैसा सेटअप भी बना लेते हैं। बातचीत के दौरान अक्सर वे गिरफ्तारी या तत्काल कानूनी कार्रवाई की धमकी देते हैं। अपने हर डिमांड पर वे आपसे जल्दी रिस्पॉन्स चाहते हैं।
- सेंसिटिव इन्फॉर्मेशन और पैसों की मांग: डिजिटल अरेस्ट करने वाले आपसे आपकी पर्सनल जानकारी मागेंगे या आपके ऊपर लगे आरोपों से नाम हटाने के लिए बड़ी रकम की मांग कर सकते हैं। वे आपको जांच पूरी होने तक उनके खाते में पैसे ट्रांसफर करने के लिए मजबूर भी कर सकते हैं। आपका नाम कन्फर्म करना, जांच में सहायता करना, या रिफंडेबल सिक्योरिटी डिपॉजिट के नाम पर वे किसी बैंक अकाउंट या UPI ID में पैसे डालने के लिए मजबूर कर सकते हैं।
डिजिटल अरेस्ट से बचने के लिए क्या करें?
- वॉट्सऐप, फेसबुक या इंस्टाग्राम पर आने वाले किसी भी संदिग्ध कॉल को न उठाएं।
- अगर फोन उठा लिया है तो घबराएं नहीं। बस अपनी पर्सनल और फाइनेंशियल जानकारी शेयर न करें।
- शुरुआत में शक होने पर तुरंत फोन काट दें। फोन पर लंबी बातचीत करने से बचें।
- अनजान नंबर से आए कॉल को तुरंत ट्रू-कॉलर जैसे ऐप से वेरिफाई जरूर करें।
सरकार ने बंद किया 1.7 करोड़ सिम कार्ड
हाल ही में भारत सरकार ने करीब 1.7 करोड़ सिम कार्ड को बंद किया है। ये सभी सिम कार्ड फर्जी आधार कार्ड और अन्य डॉक्यूमेंट्स के जरिए इश्यू कराए गए थे। इसके अलावा आप साइबर क्राइम के हेल्पलाइन नंबर 1930 पर इसकी शिकायत कर सकते हैं।