DICGC Insurance Cover Increase Update Finance Ministry | बैंक जमा पर मिलने वाला इंश्योरेंस-कवर बढ़ा सकती है सरकार: बैंक डूबा तो खाते में ₹5 लाख से ज्यादा की रकम सुरक्षित, जानें इसके नियम

नई दिल्ली47 मिनट पहले

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केंद्र सरकार डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन एक्ट (DICGC) के तहत मिलने वाले इंश्योरेंस कवर को बढ़ा सकती है। वित्त मंत्रालय के अधिकारी के अनुसार इसे 5 रुपए से बढ़ाया जा सकता है। DICGC तहत अभी बैंक के बंद होने या डूबने की स्थिति में ग्राहकों की 5 लाख रुपए तक की रकम सुरक्षित रहेगी। डिपॉजिटर्स को 90 दिन के भीतर ये रकम मिलती है।

अभी 5 लाख रुपए की रकम का ही बीमा अभी सरकार 5 लाख रुपए का ही इंश्योरेंस देती है। मान लीजिए किसी जमाकर्ता का बैंक में 10 लाख रुपए डिपॉजिट है। अगर बैंक किन्हीं कारणों से बंद होता है तो जमाकर्ता को 5 लाख रुपए बीमा कवर मिलेगा। यानी आपको 5 लाख रुपए ही मिल सकेंगे।

DICGC जमाकर्ता से इस बीमा पर कोई प्रीमियम सीधे तौर पर नहीं लेता। यह प्रीमियम बैंक ही भरते हैं। डिपॉजिट गारंटी सिर्फ बैंक बंद होने की स्थिति में लागू होती है। अगर किसी जमाकर्ता के 4 लाख रुपए डिपॉजिट हैं तो नए प्रावधान के मुताबिक, उसे ये पूरी राशि बीमा कवर के रूप में वापस मिल सकेगी।

इंश्योरेंस को बढ़ाने पर सरकार क्यों विचार कर रही? हाल ही में न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक में अनियमित्ता सामने आने के बाद ग्राहकों को बैंकों में पैसों की कमी के चलते परेशानी को सामना करना पड़ रहा है। इससे पहले बीते कुछ सालों में पंजाब एवं महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक (पीएमसी), यस बैंक और लक्ष्मी विलास बैंक (एलवीबी) के ग्राहकों को बैंकों में पैसों की कमी के चलते परेशानी को सामना करना पड़ा था।

गारंटी राशि बढ़ाने पर बैंकों में लोग गारंटी राशि के बराबर पैसा जमा कराने को लेकर परेशान नहीं होंगे, जिससे लोगों का भरोसा भी बैंकिंग सिस्टम पर बढ़ेगा। नतीजतन, सेविंग बढ़ने से बैंक ज्यादा कर्ज दे सकेंगे।

कितने दिन में मिलेगा पैसा? अगर आपका बैंक किसी वजह से दिवालिया होता है या मोरेटोरियम में चला जाता है तो 90 दिन में आपको अपना जमा पैसा मिलता है। प्रभावित बैंक को 45 दिन में DICGC को खाताधारकों का ब्योरा भेजना होता है। अगले 45 दिनों में वह खाताधारकों को पैसे लौटाता है।

कैसे मिलता है पैसा?

  • यदि कोई बैंक बंद या दिवालिया हो जाता है, तो DICGC पहले बैंक से ग्राहकों की सूची और उनकी जमा राशि की जानकारी मांगता है।
  • इसके बाद DICGC इंश्योरेंस की रकम बैंक को देता है।
  • फिर बैंक अपने ग्राहकों की जमा रकम के आधार पर इंश्योरेंस का पैसा उनके अकाउंट में भेज देता है।

कौन-कौन से बैंक इसके तहत शामिल हैं? भारत में कार्यरत विदेशी बैंकों की शाखाओं, स्थानीय क्षेत्रीय बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक सहित सभी कॉमर्शियल बैंक का बीमा DICGC द्वारा किया जाता है।

आपको कैसे पता चलेगा कि आपका बैंक DICGC के अंतर्गत आता है? किसी भी बैंक को रजिस्टर करते समय DICGC उन्हें प्रिंटेड पर्चा देता है, जिसमें डिपॉजिटर्स को मिलने वाले इंश्योरेंस के बारे में जानकारी होती है। अगर किसी डिपॉजिटर को इस बारे में जानकारी चाहिए होती है तो वे बैंक ब्रांच के अधिकारी से इस बारे में पूछताछ सकते हैं।

DICGC क्या है? डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन यानी DICGC, रिजर्व बैंक की स्वामित्व वाली एक संस्था है, जो बैंक डिपॉजिट पर इंश्योरेंस कवर मुहैया कराती है।

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