Dhrupad Naad Ninad Festival brought a stream of classical music | ध्रुवपद नाद निनाद समारोह ने बही शास्त्रीय संगीत की रसधारा: आरआईसी के मंच पर विभूतियों को किया गया सम्मानित, मीरा बाई को समर्पित रहा समारोह – Jaipur News

30वें अखिल भारतीय ध्रुवपद नाद निनाद विरासत समारोह का समापन प्रस्तुतियों और सम्मान समारोह के साथ हुआ। 

राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर (आरआईसी) में शास्त्रीय संगीत के सौंदर्य से सराबोर माहौल नजर आया। 30वें अखिल भारतीय ध्रुवपद नाद निनाद विरासत समारोह का समापन प्रस्तुतियों और सम्मान समारोह के साथ हुआ।

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ध्रुवपदाचार्य पद्मश्री पंडित लक्ष्मण भट्ट तैलंग और मीराबाई को समर्पित समारोह इंटरनेशनल ध्रुवपद धाम ट्रस्ट, रसमंजरी संगीतोपासना केंद्र, जयपुर की ओर से राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर (आरआईसी), पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, उदयपुर एवं उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, पटियाला की सहभागिता में आयोजित किया गया। अजमेर के विख्यात साहित्यकार डॉ. सुरेश बबलानी ने मीराबाई के जीवन पर प्रकाश डाला। लखनऊ के विख्यात पखावज वादक अवधि घराने के पं. राज खुशीराम ने एकल पखावज वादन प्रस्तुत दी।

समारोह में ध्रुवपद की मंदिर और दरबारी दोनों परंपराओं से श्रोता रूबरू हुए।

समारोह में ध्रुवपद की मंदिर और दरबारी दोनों परंपराओं से श्रोता रूबरू हुए।

वहीं ध्रुवपद के संकीर्तन हवेली संगीत के नामचीन गायक गोकुल के पं. गोकुलेन्दु तैलंग ने मंदिरों में प्रस्तुत ध्रुवपद की भक्ति पूर्ण रचनाओं का कीर्तन शैली में सुमधुर गायन किया। समारोह में ध्रुवपद की मंदिर और दरबारी दोनों परंपराओं से श्रोता रूबरू हुए। ट्रस्ट की वार्षिक पत्रिका के लोकार्पण कर उसका डिजिटल प्रदर्शन भी किया गया।

हरदेव जोशी पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुधी राजीव ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। मुख्य अतिथि हवामहल विधानसभा क्षेत्र विधायक स्वामी बालमुकुंदाचार्य और विशिष्ट अतिथि साहित्यकार डॉ. सुरेश बबलानी व गणमान्य लोगों ने दीप जलाकर कार्यक्रम की शुरुआत की।

पं. गोकुलेन्दु तैलंग ने मंदिरों में प्रस्तुत ध्रुवपद की भक्ति पूर्ण रचनाओं का कीर्तन शैली में सुमधुर गायन किया।

पं. गोकुलेन्दु तैलंग ने मंदिरों में प्रस्तुत ध्रुवपद की भक्ति पूर्ण रचनाओं का कीर्तन शैली में सुमधुर गायन किया।

पंडित पागलदास (अयोध्या) के शिष्य पंडित राज खुशीराम ने रूद्र ताल पर गणेश परण के साथ अपनी एकल पखावज वादन प्रस्तुति की शुरुआत की। एकादश परण के बाद स्वरचित रामजन्मोत्सव भक्ति और हनुमत परण प्रस्तुत कर विद्वत्तापूर्ण वादन से श्रोताओं की दाद बटोरी। साधारण चक्करदार, फरमायशी चक्करदार का अवधि शैली में उन्होंने वादन किया। पखावज पर डॉ. अंकित पारिख (मथुरा), विदुषी गौरी बनर्जी (दिल्ली) ने सारंगी पर ख़ूबसूरत संगत की। इस दौरान पं. डॉ. खुशीराम और पं. गोकुलेन्द्र तैलंग को पद्मश्री पं. लक्ष्मण भट्ट तैलंग संगीत विभूति सम्मान और डॉ. सुरेन्द्र बबलानी को साहित्य वाङ्मय विभूति सम्मान से नवाजा गया। समारोह में डॉ मोहनलाल की पुस्तक कनिष्क पब्लिकेशंस दिल्ली से प्रकाशित भारतीय संगीत में लहरा वादन का विमोचन अतिथियों द्वारा विमोचन किया गया और उन्होंने संगीत के क्षेत्र में इसे बड़ी उपलब्धि बताया।

पं. गोकुलेन्द्र तैलंग ने हवेली संगीत के ध्रुवपद आधारित संकीर्तन गायन की सुमधुर प्रस्तुति दी। उन्होंने राग सारंग में पद्मनाभ रचित ताल चौताल में ‘ऐसी बंसी बाजी’ बंदिश के गायन से शुरुआत की। इसके बाद राग नट में तीन ताल में निबद्ध व्यास रचित, ‘गाऊँ श्री वल्लभ’, राग हमीर में ‘मैया ते भई अबेर’ समेत अन्य रचनाओं की गायन प्रस्तुति के भक्तिरस से सराबोर कर दिया। अंत में समारोह संयोजिका प्रो. डॉ. मधु भट्ट तैलंग ने शास्त्रीय संगीत के लालित्य पर प्रकाश डाला और सबका आभार व्यक्त किया। समारोह का मंच संचालन प्रणय भारद्वाज ने किया।

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