Dharamshala buses closed hotels tourism stalled business collapse| Himachal Pradesh News | धर्मशाला में बसें बंद, सड़कें धंसी: पर्यटन ठप, कारोबार पतन की कगार पर, होटल-रेस्टोरेंट एसोसिएशन ने चेतावनी दी – Dharamshala News


होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन, धर्मशाला के अध्यक्ष अश्वनी बंबा अपनी बात रखते हुए।

धर्मशाला और आसपास के क्षेत्रों में पिछले एक से दो माह से जारी गंभीर परिवहन संकट ने पूरे पर्यटन उद्योग को ठप कर दिया है। मैक्लोडगंज, भागसुनाग और नड्डी को जोड़ने वाली मुख्य सड़कें बंद होने से आवागमन लगभग रुक गया है। होटल-रेस्टोरेंट एसोसिएशन ने चेतावनी

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होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन, धर्मशाला के अध्यक्ष अश्वनी बंबा ने बताया कि पर्यटन पूरी तरह थम गया है। उन्होंने कहा, “धर्मशाला में शायद ही कोई पर्यटक आ रहा है। स्थानीय बाजार वीरान हैं, और कारोबारियों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।” परिवहन संकट के कारण दिल्ली से आने वाली डीलक्स और वॉल्वो बसों सहित एचआरटीसी की सामान्य बसें भी मैक्लोडगंज तक नहीं पहुंच पा रही हैं।

कई लोगों की चली जाएगी नौकरी

सार्वजनिक परिवहन की कमी से होटल कर्मचारी भी काम पर नहीं पहुंच पा रहे हैं। सड़कें बंद होने के कारण होटल बुकिंग्स धड़ाधड़ रद्द हो रही हैं और पर्यटक दूसरे गंतव्यों की ओर रुख कर रहे हैं। होटल मालिकों ने चेतावनी दी है कि यदि हालात जल्द नहीं सुधरे, तो बड़ी संख्या में कर्मचारियों की छंटनी करनी पड़ सकती है।

अश्वनी बंबा ने प्रशासन से मांग की है कि दिल्ली-धर्मशाला के बीच चलने वाली आरामदायक बसों को हर हाल में मैक्लोडगंज तक पहुंचने की अनुमति दी जाए ताकि पर्यटन बहाल हो सके और स्थानीय अर्थव्यवस्था को सहारा मिल सके। इस परिवहन संकट का मूल कारण सड़कों की बदहाली और प्रशासनिक अनदेखी है।

क्षेत्र के कई रास्ते बंद

क्षेत्र के प्रमुख मार्ग पिछले कई हफ्तों से बंद पड़े हैं, जिससे स्थानीय लोगों और पर्यटकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बाईपास रोड (बाड़ाकोठा से सुधेड़ तक) और खड़ा डंडा रोड पिछले दो माह से बंद हैं। खड़ा डंडा रोड वर्षों से मरम्मत न होने के कारण जर्जर हो चुकी है। मैक्लोडगंज नेशनल हाईवे पर भी बार-बार भूस्खलन हो रहा है।

बाड़ाकोठा से सुधेड़ बाईपास रोड भी अखंडखोला के पास भूस्खलन से ठप है। प्रशासन हर साल केवल ‘पैचवर्क’ मरम्मत करता है, जबकि बारिश के पानी की निकासी और ढलान की सुरक्षा जैसे स्थायी समाधानों को लगातार नजर अंदाज किया जाता है, जिससे हर साल भूस्खलन और सड़कें धंसने की समस्या पैदा होती है।

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