Delhi Blast Planning Exposed; Turkey Session App | Terrorist Funding | दावा- तुर्किये से हुई थी दिल्ली ब्लास्ट की प्लानिंग: सेशन एप से आतंकियों को मिल रहे थे निर्देश; तुर्किये ने आरोपों को झूठा बताया


दिल्ली/ अंकारा43 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

दिल्ली ब्लास्ट की जांच कर रही एजेंसियों को एक बड़ा सुराग मिला है। न्यूज एजेंसी PTI ने पुलिस सूत्रों के हवाले से बताया है कि गिरफ्तार किए गए आरोपियों का तुर्किये की राजधानी अंकारा में बैठे एक विदेशी हैंडलर से सीधा संपर्क था।

जांच में पता चला है कि वह अंकारा से ही आरोपियों की एक्टिविटी, फंडिंग और कट्टरपंथी विचारधारा फैलाने से जुड़ी पूरी कार्रवाई संभाल रहा था। प्लानिंग के लिए सेशन एप का इस्तेमाल किया जा रहा था।

अधिकारियों ने बताया कि इस हैंडलर की पहचान कोडनेम ‘उकासा’ (Ukasa) से हुई है। उकासा अरबी भाषा का शब्द है। इसका मतलब मकड़ी होता है। संभव है कि यह उसका असली नाम नहीं बल्कि पहचान छिपाने के लिए इस्तेमाल किया गया है। हालांकि तुर्किये ने इसे दुष्प्रचार बताया है।

तुर्किये ने आतंकियों से कनेक्शन की खबरों को झूठा बताया

तुर्किये ने दिल्ली धमाके के आतंकियों और तुर्किये के हैंडलर से कनेक्शन की खबरों को झूठा बताया है। तुर्किये सरकार ने कहा कि इस तरह की झूठी रिपोर्टों का मकसद दोनों देशों के आपसी रिश्तों को नुकसान पहुंचाना है।

बयान में कहा गया,

QuoteImage

तुर्किये हर तरह के आतंकवाद का विरोध करता है, चाहे वह कहीं भी और किसी ने भी किया गया हो। हमारा देश अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भूमिका निभा रहा है।

QuoteImage

बयान में यह भी कहा गया कि भारत या किसी अन्य देश में तुर्किये द्वारा कट्टरपंथ फैलाने की बात पूरी तरह निराधार और तथ्यहीन है।

जनवरी में दो डॉक्टर तुर्किये भी गए थे

इससे पहले दिल्ली धमाके की जांच कर रहे पुलिस अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि आतंकी मॉड्यूल मामले में गिरफ्तार डॉ. मुजम्मिल गनई के मोबाइल फोन से प्राप्त डंप डेटा से पता चला है कि उन्होंने इस साल जनवरी में लाल किले क्षेत्र की कई बार रेकी की थी।

ये रेकी गणतंत्र दिवस पर ऐतिहासिक स्मारक को निशाना बनाने की एक बड़ी साजिश का हिस्सा थी, लेकिन उस समय क्षेत्र में कड़ी गश्त के कारण इसे नाकाम कर दिया गया।

जांच में पाया गया है कि जनवरी में दो मुख्य संदिग्ध डॉ. उमर और मुजम्मिल तुर्किये भी गए थे। सूत्रों ने कहा कि जांचकर्ताओं को उनके पासपोर्ट में तुर्की के टिकट मिले हैं।

दिल्ली ब्लास्ट में 3 खुलासे…

  • पहला: जनवरी में लाल किले की रेकी की थी- दिल्ली को दहलाने की साजिश जनवरी से रची जा रही थी। गिरफ्तार आरोपियों के मोबाइल डंप डेटा से पता चला है कि फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी से गिरफ्तार असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मुजम्मिल गनी और धमाके में कथित रूप से मारे गए डॉ. उमर नबी ने जनवरी में कई बार लाल किले की रेकी की थी। दोनों ने वहां की सुरक्षा और भीड़ का पैटर्न समझा था। पुलिस को शक है कि आतंकियों की प्लानिंग 26 जनवरी पर लाल किले पर हमले की थी, जो तब नाकाम हो गई।
  • दूसरा: दिल्ली में 6 दिसंबर को हमले का प्लान था – नबी दिल्ली में 6 दिसंबर को हमला करना चाहता था, लेकिन मुजम्मिल की गिरफ्तारी से प्लान बिगड़ गया। यह बात 8 आरोपियों से पूछताछ में सामने आई हैं। इस अंतरराज्यीय मॉड्यूल का केंद्र फरीदाबाद में था। गिरफ्तार आतंकियों में 6 डॉक्टर हैं। श्रीनगर का रहने वाला एक अन्य संदिग्ध डॉ. निसार फरार है। वह डॉक्टर्स एसोसिएशन ऑफ कश्मीर का अध्यक्ष भी है। अलफलाह में पढ़ा रहा था। जम्मू-कश्मीर सरकार ने डॉ. निसार को बर्खास्त कर दिया है।
  • तीसरा: खाद की बोरी बता विस्फोटक जुटा रहा था गनी– फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी में काम कर रहा कश्मीरी डॉ. मुजम्मिल गनी खाद की बोरियां बताकर किराए के कमरे में विस्फोटक सामग्री जमा कर रहा था। 20 दिन पहले मुजम्मिल कमरे में कुछ बोरियां रखने आया था, तब पड़ोसियों ने उससे पूछा था कि इसमें क्या है? जवाब में मुजम्मिल ने कहा था कि ये खाद के कट्टे हैं। इन्हें कश्मीर ले जाना है। इस कमरे से 100 मीटर दूर एक मकान में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। पुलिस ने फुटेज जब्त कर लिए हैं।

मैप से समझें धमाका कहां हुआ

———————————

ये खबरें भी पढ़ें…

ब्लास्ट से पहले 5 CCTV में नजर आया आतंकी उमर:सुबह 8 बजे दिल्ली में एंट्री, मस्जिद से कनॉट प्लेस तक घूमा; 11 घंटे की मिनट-टू-मिनट डिटेल

दिल्ली में लाल किले के पास हुए कार ब्लास्ट का मुख्य आरोपी और आतंकी डॉ. मोहम्मद उमर नबी था। कार से मिले दांत, हड्डियां, खून लगे कपड़े के टुकड़े और पैर के हिस्से का DNA उमर की मां से मैच हो गया है, यानी ब्लास्ट के वक्त उमर कार में मौजूद था। पूरी खबर यहां पढ़ें…

दिल्ली ब्लास्ट आतंकियों ने सेशन एप यूज किया:रजिस्ट्रेशन के लिए फोन नंबर, ईमेल की जरूरत नहीं; मैसेज ट्रेसिंग बेहद मुश्किल

दिल्ली के रेड फोर्ट के पास हुए हमले में शामिल आतंकियों ने एन्क्रिप्टेड एप्स का इस्तेमाल किया था। एन्क्रिप्टेड एप्स यानी मैसेज सिर्फ सेंडर और रिसीवर ही पढ़ सकते हैं। इसमें तीन बड़े एप्स का नाम सामने आया है। टेलिग्राम, सिग्नल और सेशन। पूरी खबर यहां पढ़ें…

खबरें और भी हैं…



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *