Deepak Baij questioned Minister Kedar | दीपक बैज ने किया मंत्री केदार से सवाल: बैज बोले- वन मंत्री हसदेव-तमानार चलें,वहां के आदिवासियों की हालत देखेंगे तो उनकी पैंट गीली हो जाएगी – Raipur News

आदिवासियों के मुद्दे पर भाजपा और कांग्रेस में जुबानी जंग

दिल्ली से रायपुर पहुंचे पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज ने वन मंत्री केदार कश्यप पर हमला बोला है। बैज ने कहा कि वन मंत्री को लगता है कि प्रदेश में आदिवासियों का विकास हो रहा है, तो वे मेरे साथ हसदेव और तमनार चलें। बैलाडीला और कोरंडम खदान क्षेत्रों में जाकर आ

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बैज ने कहा कि वन मंत्री वहां जाएंगे और सच सुनेंगे, तो उनकी पैंट गीली हो जाएगी। आपको आदिवासियों के विकास का इतना भरोसा है तो चलिए हसदेव, तमनार, बैलाडीला। आपको पता चल जाएगा की आदिवासियों का विकास हुआ है या विनाश हुआ है।

राहुल गांधी की आदिवासी नेताओं से दिल्ली में हुई बैठक पर मंत्री केदार कश्यप ने सवाल उठाए थे।

राहुल गांधी की आदिवासी नेताओं से दिल्ली में हुई बैठक पर मंत्री केदार कश्यप ने सवाल उठाए थे।

कुर्सी में बने रहने का अधिकार नहीं

पीसीसी अध्यक्ष बैज ने कहा, आप आदिवासियों के लिए काम नहीं कर सकते। आप वन मंत्री हैं, लेकिन प्रदेश में जंगल काटे जा रहे हैं। मैं समझता हूं, इस कुर्सी पर बने रहने का आपको कोई अधिकार नहीं है। आप कुर्सी छोड़ दीजिए। बैज ने आगे कहा, आप जैसे कई आदिवासी युवा हैं, जो बेरोजगार हैं, जिन्हें नौकरी नहीं मिल रही है। आपकी सरकार नौकरी नहीं दे पा रही है। वो उस कुर्सी पर आकर बैठेंगे और आदिवासियों के लिए काम करेंगे।

बैज ने किए वन मंत्री से सवाल

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने वन मंत्री केदार कश्यप से कहा कि वे छत्तीसगढ़ की जनता को हिसाब दें।

  • आप प्रदेश में 16 साल 8 महीने तक मंत्री पद पर बने हुए हैं, प्रदेश के आदिवासियों के लिए आपने क्या किया?
  • आपकी पूर्ववर्ती सरकार ने 3500 स्कूल बंद किए थे, तब आप स्कूल शिक्षा मंत्री थे। अब 10463 स्कूल आदिवासी इलाकों में बदहाल हालत में हैं। आपको पता है?
  • आपके कार्यकाल में बस्तर के हजारों आदिवासियों को फर्जी नक्सली केस में जेल भेज दिए, तो आप कहां थे?
  • आपके मंत्री रहते बस्तर में आदिवासियों को नक्सली बताकर कई फर्जी एनकाउंटर हुए, तब आप कहां थे?
  • बोधघाट परियोजना से 42 गांव के आदिवासियों का क्या होगा?
  • बीजापुर में निर्दोष आदिवासी रसोइया महेश कुडियाम मारा गया, जो सरकारी स्कूल में मध्यान्ह भोजन बनाने और परोसने का काम करता था, जिसे आपकी सरकार हर माह वेतन दे रही थी, इस पर चुप क्यों है?
  • सुकमा जिले में तेंदूपत्ता तोड़ने वाले आदिवासियों का पैसा खा गए। शहीद महेन्द्र कर्मा तेंदूपत्ता संग्राहक बीमा योजना बंद कर दिया गया, आप मौन है?
भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी अमित चिमनानी बैज के सवालों पर किया पलटवार।

भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी अमित चिमनानी बैज के सवालों पर किया पलटवार।

भाजपा बोली- बेतुके सवाल ना करें बैज

दीपक बैज के बयान पर भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी अमित चिमनानी ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस से सवाल पूछे गए सवालों के जवाब देना छोड़कर वे बेतुके सवाल पूछ रहे हैं। चिमनानी ने सवाल उठाया कि कांग्रेस के कार्यकाल में राज्यसभा के लिए तीन सांसद चुने, तो एक भी आदिवासी चेहरा क्यों नहीं चुना गया?

“बात आदिवासी सम्मान की करते हैं, लेकिन टिकट देते समय आदिवासी नेताओं को दरकिनार कर दिया जाता है। कांग्रेस को बताना चाहिए कि आदिवासी सिर्फ चुनाव के समय ही इन्हें याद क्यों आते हैं?

कांग्रेस के शासनकाल में आदिवासी छात्रावासों में बच्चियों के साथ बलात्कार हुआ

भाजपा प्रवक्ता ने कांग्रेस सरकार के दौरान आदिवासी बच्चियों के साथ हुई घटनाओं को भी उठाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासन में छात्रावासों में पढ़ने वाली आदिवासी बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटनाएं हुईं और जब वे गर्भवती हुईं, तब बातें सामने आती थी।

कांग्रेस सरकार के समय तेंदूपत्ता संग्राहकों को समय पर पारिश्रमिक नहीं मिला। उन्होंने कहा कि महिलाएं सिर पर टोकरी उठाकर दूर-दूर तक तेंदूपत्ता बेचने जाती थीं, लेकिन उनका मेहनताना उन्हें नहीं मिलता था। चिमनानी ने कहा कि दीपक बैज जी आप बेतुके सवाल पूछना बंद कीजिए, पहले अपना हिसाब दीजिए।

राहुल गांधी से मुलाकात पर केदार कश्यप पूछा था सवाल

सोमवार को राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के आदिवासी नेताओं के साथ बैठक की थी। जिस पर छत्तीसगढ़ के वन मंत्री केदार कश्यप ने कहा था कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज से सवाल पूछा था। कश्यप ने कहा था कि भूपेश सरकार के शासनकाल में प्रदेश के आदिवासियों के साथ तो छलावा और धोखाधड़ी का एक पूरा सिलसिला चला।

लेकिन बैज और मरकाम मुंह में दही जमाए बैठे रहे। मरकाम को तो फिर भी विधानसभा में कोंडागांव जिले के डीएमएफ फंड पर सवाल उठाने की कीमत अध्यक्ष पद खोकर चुकानी पड़ी, पर अभी हाल ही कांग्रेस की पोलिटिकल अफेयर्स कमेटी की बैठक में सबके सामने अपने नेतृत्व पर किए गए हमले के बाद भी बैज मौनी बाबा बने रहे। केदार ने कहा कि आदिवासियों के हक और कल्याण की सोच और दृष्टि से जिस कांग्रेस का दूर-दूर तक कोई रिश्ता ही नहीं है, कांग्रेस के नेता राहुल गांधी आदिवासी नेताओं से मिलने का सिर्फ पाखंड ही कर रहे हैं।

प्रदेश के वन मंत्री कश्यप ने राहुल गांधी और प्रदेश के कांग्रेस नेताओं से सवाल किया था

  • क्या राहुल गांधी से यह प्रश्न पूछने की हिम्मत बैज कर पाए कि जब भूपेश बघेल की सरकार थी, तब प्रदेश से भेजे गए तीन राज्यसभा सांसदों में छत्तीसगढ़ के किसी व्यक्ति को राज्यसभा सांसद क्यों नहीं बनाया गया था? किसी आदिवासी को कांग्रेस ने इस लायक क्यों नहीं समझा?
  • छत्तीसगढ़ के किसी आदिवासी व्यक्ति को एक राज्यसभा की सीट क्यों नहीं दी? तीनों की तीनों सीटें तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किसके इशारे पर बेच दीं और छत्तीसगढ़ का अहित किया?
  • बैज क्या राहुल गांधी से यह पूछने की हिम्मत कर पाए या फिर दिल्ली गए और ‘सर नमस्ते’ करके आ गए?
  • यदि राहुल गांधी को सच में आदिवासियों की इतनी ही फिक्र थी तो वह उस समय क्यों चुप्पी साधे रहे, जब छत्तीसगढ़ की पिछली भूपेश सरकार लगातार आदिवासियों के साथ अन्याय कर रही थी?
  • आदिवासी बहुल इलाकों बस्तर और सरगुजा में धर्मांतरण के चलते आदिवासियों में वर्ग संघर्ष की नौबत लाने वाले अपने तत्कालीन मुख्यमंत्री बघेल को तलब क्यों नहीं किया?
  • भूपेश बघेल ने बस्तर के कमिश्नर और सुकमा के एसपी की उन चिट्ठियों पर धूल क्यों पड़ने दी, जिनमें बस्तर में धर्मांतरण के चलते स्थिति के भयावह होने की बात कही गई थी।
  • आदिवासी क्षेत्रों में तेंदूपत्ता संग्राहकों के हितों तक पर भूपेश सरकार ने डाका डाला, उनको दी जाने वाली चरण पादुका तक का वितरण बंद करवा दिया, तब बैज और मरकाम ने चुप्पी क्यों साध रखी थी?
  • बैज और मरकाम आदिवासी हितों की बात जब भूपेश सरकार के कार्यकाल में नहीं कर पाए तो अब राहुल गांधी के सामने उनकी जुबान खुली होगी, क्या यह सोचना ही बेमानी या हास्यास्पद नहीं है?

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