Dattatreya Jayanti 2025, teachings of 24 Gurus of Duttatreya, life management tips of duttatreya in hindi | आज दत्तात्रेय जयंती, भगवान के 24 गुरुओं की सीख: दत्तात्रेय ने समुद्र से सीखा- जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, लेकिन हमें ठहरना नहीं चाहिए

पृथ्वी पृथ्वी से सहनशीलता सीख सकते हैं। पृथ्वी अच्छे-बुरे हर प्राणी का भार एक समान रूप से वहन करती है। पृथ्वी किसी के साथ भेदभाव नहीं करती है। पिंगला वेश्या उस समय एक पिंगला नाम की वेश्या थी। जब पिंगला के मन में वैराग्य आया, तब वह समझी कि सच्चा सुख पैसों में नहीं, बल्कि परमात्मा के ध्यान में है। पिंगला ने संदेश दिया कि सिर्फ पैसों को महत्व न दें, परमात्मा पर ध्यान लगाएं। कबूतर एक दिन दत्तात्रेय ने देखा कि कबूतर के बच्चे जाल में फंसे हुए थे। अपने बच्चों को जाल में फंसा देखकर कबूतरों का जोड़ा भी उस जाल में आकर फंस गया। कबूतरों के जोड़े ने संदेश दिया है कि बहुत ज्यादा मोह दुख का कारण बनता है। सूर्य सूर्य ने संदेश दिया है कि वह अलग-अलग जगहों से, अलग-अलग माध्यमों से अलग-अलग दिखाई देता है, लेकिन सूर्य एक ही है। ठीक इसी तरह हमारी आत्मा भी एक है, लेकिन ये अलग-अलग रूपों में दिखाई देती है। वायु बहती हवा ने संदेश दिया है कि अच्छी या बुरी जगह पर बहने के बाद हवा का मूल स्वरूप नहीं बदलता है, ठीक इसी तरह अच्छे या बुरे लोगों के साथ रहने पर भी हमें अपने गुण छोड़ना नहीं चाहिए। हिरण हिरण से सीख दी है कि हमें मौज-मस्ती में लापरवाह नहीं होना चाहिए। हिरण बहुत चौकन्ना रहता है, फिर भी कभी-कभी मौज-मस्ती में इतना खो जाता है कि उसे आसपास शेर के होने का आभास ही नहीं होता है और वह शेर का शिकार बन जाता है। समुद्र समुद्र की लहरों में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, लेकिन समुद्र की लहरें ठहरती नहीं हैं, हमारे जीवन में उतार-चढ़ाव आते हैं तो हमें ठहरना नहीं चाहिए, आगे बढ़ते रहना चाहिए। पतंगा पतंगा आग की ओर आकर्षित होता है और उसके पास जाकर जल जाता है। हमें इससे सीख लेनी चाहिए कि कभी भी किसी से इतना आकर्षित नहीं होना चाहिए कि उसकी वजह से हमारा ही नुकसान हो जाए। हाथी हाथी हथिनी के संपर्क में आते ही उस पर मोहित हो जाता है और सब कुछ भूल जाता है। दत्तात्रेय ने हाथी से सीख ली थी कि संन्यासी को स्त्रियों से बहुत दूर रहना चाहिए, वर्ना वह अपने तप से भटक जाता है। आकाश आकाश हर स्थिति में एक समान रहता है, वह कभी भी बदलता नहीं नहीं है। आकाश संदेश देता है कि हमें हर स्थिति में एक समान रहना चाहिए। जल दत्तात्रेय ने जल से सीखा था कि हमें हमेशा पवित्र और निर्मल रहना चाहिए। शहद निकालने वाला मधुमक्खियां शहद इकट्ठा करती है और एक दिन छत्ते से शहद निकालने वाला सारा शहद ले जाता है। इस बात से ये सीख मिलती है कि आवश्यकता से अधिक चीजों को एकत्र नहीं करना चाहिए, वर्ना कोई दूसरा ये चीजें हम से ले जाएगा। मछली स्वाद के मोह में फंसें। मछली किसी कांटे में फंसे मांस के टुकड़े के लालच में आकर खुद कांटे में फंस जाती है। कुरर पक्षी कुरर पक्षी मांस के टुकड़े को चोंच में दबाए रहता है, लेकिन उसे खाता नहीं है। दूसरे बड़े पक्षी उस मांस के टुकड़े को छिन लेते हैं। कुरर पक्षी से सीख मिलती है कि किसी चीज को हमेशा अपने पास रखने की सोच नहीं रखनी चाहिए, समय रहते अपनी चीजों का उपभोग कर लेना चाहिए। बालक छोटे बच्चे हर स्थिति में चिंतामुक्त और प्रसन्न रहते हैं। बच्चे संदेश देते हैं कि हमें भी बच्चों की तरह चिंतामुक्त और प्रसन्न रहना चाहिए। आग आग अलग-अलग लकड़ियों के बीच रहने के बाद भी एक जैसी ही नजर आती है। हमें भी अलग-अलग परिस्थितियों में और अलग-अलग जगहों अपना स्वभाव नहीं छोड़ना चाहिए। चंद्रमा घटने-बढ़ने से भी चंद्रमा की चमक और शीतलता बदलती नहीं है, ठीक इसी तरह हमारी आत्मा भी बदलती नहीं है, हमारी आत्मा हर स्थिति में एक समान रहती है। कन्या दत्तात्रेय ने धान कूटती हुई एक कन्या को देखा। धान कूटते समय उस कन्या की चूड़ियां आवाज कर रही थीं। तब उस लड़की ने अपनी चूड़ियों की आवाज बंद करने के लिए चूड़ियां ही तोड़ दीं। दोनों हाथों में बस एक-एक चूड़ी रहने दी। इसके बाद कन्या ने बिना शोर किए धान कूट लिया। कन्या से संदेश दिया कि बिना शोर किए अपना काम करते रहना चाहिए, ताकि हमारा ध्यान अपने काम पर लगा रहे। तीर बनाने वाला दत्तात्रेय ने एक तीर बनाने वाले को देखा जो कि तीर बनाने में इतना खोया हुआ था कि उसके पास से राजा की सवारी निकल गई, लेकिन उसे मालूम भी नहीं हुआ। हमें भी अपने काम में खोए रहना चाहिए, तभी हम अपने काम में पारंगत हो सकते हैं। सांप सांप हमेशा अकेले ही जीवन व्यतीत करता है और इधर-उधर भटकते रहतना है। दत्तात्रेय ने सांप से सीखा कि किसी भी संन्यासी को अकेले ही जीवन व्यतीत करना चाहिए और ज्ञान बांटते रहना चाहिए। मकड़ी मकड़ी जाल बनाती है, उसी में रहती है और अंत में पूरे जाल को खुद ही निगल लेती है। मकड़ी ने संदेश दिया है कि भगवान भी अपनी माया से इस सृष्टि की रचना करते हैं और अंत में खुद ही उसे समेट लेते हैं। भृंगी कीड़ा इस कीड़े से दत्तात्रेय ने सीखा कि अच्छी या बुरी, जहां जैसी सोच में मन लाएंगे मन वैसा ही हो जाता है। भौंरा और मधुमक्खी मधुमक्खी और भौरें अलग-अलग फूलों से पराग ले लेते हैं, हमें भी जहां से सार्थक बात सीखने को मिले उसे ग्रहण कर लेना चाहिए। अजगर अजगर को जहां से जो मिलता है, उससे अपना पेट भर लेता है और संतोष करके एक जगह पड़ा रहता है। हमें भी हर स्थिति में संतोष में रहना सीखना चाहिए। तभी मन शांत रह सकता है।

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