4 घंटे पहलेलेखक: आशीष तिवारी
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एक्टर, सिंगर कंपोजर और डायरेक्टर डब्बू मलिक ने एक किताब ‘नेवर टू लेट’ लिखी है। इस किताब में उन्होंने अपनी जिंदगी के अनुभवों को समेटा है। इस किताब के पन्नों में उनकी जिंदगी के ऐसे अनुभव हैं, जो बताते हैं कि उनकी जिंदगी में सक्सेस और फेलियर चाहे जैसे भी रहे हों, लेकिन उनकी कभी ना हार मानने वाली जिद लोगों को इंस्पायर करेगी। हाल ही डब्बू मालिक ने दैनिक भास्कर से बातचीत के दौरान अपनी किताब के बारे में बात की।

जिंदगी का सारांश है किताब में
बातचीत के दौरान डब्बू मलिक ने बताया कि उन्होंने जो किताब लिखी है। उसमें उनकी जिंदगी का सारांश है। उन्होंने कहा- अगर किताब के पन्नों को खोलेंगे तो एक चैप्टर में मेरी जिंदगी की पूरी कहानी मिलेगी। इस किताब को बहुत ही साधारण तरीके से लिखा है, जिसे बड़ी आसानी से पढ़ा जा सकता है।
हर चैप्टर एक संपूर्ण कहानी है
डब्बू मलिक ने बताया- इस किताब को क्रमानुसार पढ़ने की जरूरत नहीं है। कहीं से कोई भी पेज पढ़ें, उसमें एक अलग कहानी मिलेगी। हर चैप्टर अपने आप में एक सम्पूर्ण कहानी है। मैंने कहानी के साथ प्रमाण के तौर पर अपनी कुछ तस्वीरें डाली हैं, जिससे कहानी को तस्वीरों के माध्यम से समझा जा सके। इसमें 35 साल से लेकर 70 साल पुरानी तस्वीरें हैं।
दिल की गहराइयों से किताब लिखी
डब्बू मलिक ने अपनी किताब को दिल की गहराइयों के साथ लिखा है। उन्होंने बताया कि यह किताब क्यों लिखनी पड़ी? डब्बू मलिक कहते हैं- यह किताब इसलिए लिखनी पड़ी ताकि मेरे दिल की गहराइयों की बोझ हल्का हो जाए। मैंने इस किताब को पचास बार पढ़ा है। हर चैप्टर पढ़ने के बाद मन में एक सवाल आता है कि क्या यह सत्य है? जो मैंने लिखा है, क्या उसमें सचमुच में विश्वास करता हूं? मेरा दिल मानता है कि मैंने जो भी लिखा है, उसे कोई झुठला नहीं सकता।

किताब के पन्नों पर आंसू टपके
डब्बू मलिक अपनी किताब पढ़कर खुद कई बार भावुक हुए। वह कहते हैं- मैंने बार-बार हर पन्ने पर सवाल किया। कई बार मेरे आंसू उन पन्नों पर गिरे हैं। मुझे इस बात का एहसास हुआ कि अच्छा हुआ कि मैं लिख रहा हूं। अपनी सच्चाई का सामना खुद कर रहा हूं। मेरे बच्चे जब भी किसी पन्ने को पढ़ेंगे तो उनको एहसास होगा कि उनके पिता ने इन चीजों को देखा है।
नए कलाकारों को मौका देना चाहते हैं
डब्बू मलिक कहते हैं- हर चैप्टर अपने आप में एक कहानी है, जो जीवन के अलग-अलग पड़ावों पर लोगों को प्रेरित करेगी। मैं अपनी कम्युनिटी लेबल एमडब्ल्यूएम के जरिए नए कलाकारों को मौका देना चाहता हूं। मेरा मानना है कि हर दशक में इंसान को खुद को फिर से निखारना चाहिए और अपनी स्थिति का मूल्यांकन करना चाहिए।