d gukesh | gukesh vs ding world chess championship 2024 : success story | d gukesh| ding liren | डी गुकेश पहली कक्षा से लेने लगे थे चेस क्लास: 12 साल की उम्र में जूनियर वर्ल्ड चैंपियन बने; कैंडिडेट्स चेस जीतने वाले सबसे युवा

  • Hindi News
  • Sports
  • D Gukesh | Gukesh Vs Ding World Chess Championship 2024 : Success Story | D Gukesh| Ding Liren

सिंगापुर34 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

डी गुकेश ने वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप जीत ली है। उन्होंने चीन के डिंग लिरेन को 14वीं बाजी में हराया। 18 साल के गुकेश सबसे युवा वर्ल्ड चैंपियन बने हैं। उन्होंने 8 महीने वाले FIDE कैंडिडेट्स चेस टूर्नामेंट भी जीता था। वे सबसे युवा (17 साल) कैंडिडेट्स भी बने थे। वे 2018 में 12 साल की उम्र में जूनियर वर्ल्ड चैंपियन बन गए थे।

चेन्नई के रहने वाले गुकेश का जन्म 7 मई 2006 को हुआ था। उन्होंने पहली कक्षा से ही चेस खेलना शुरू कर दिया था। शुरुआत में उन्हें भास्कर नागैया ने कोचिंग दी थी। इसके बाद विश्वनाथन आनंद ने गुकेश को खेल की जानकारी देने के साथ कोचिंग दी। गुकेश के पिता डॉक्टर हैं और मां पेशे से माइक्रोबायोलोजिस्‍ट हैं। 4 फोटो में गुकेश का सेलिब्रेशन…

डी गुकेश ने जीत के बाद डिंग लिरेन से हाथ मिलाया।

डी गुकेश ने जीत के बाद डिंग लिरेन से हाथ मिलाया।

गुकेश ने भगवान का शुक्रिया अदा किया।

गुकेश ने भगवान का शुक्रिया अदा किया।

लिरेन उठकर चले गए और गुकेश बोर्ड में सिर रखकर रोने लगे।

लिरेन उठकर चले गए और गुकेश बोर्ड में सिर रखकर रोने लगे।

आखिरी में गुकेश ने सेलिब्रेट किया। उन्होंने वर्ल्ड चैंपियनशिप में पहली बार जीत सेलिब्रेट की।

आखिरी में गुकेश ने सेलिब्रेट किया। उन्होंने वर्ल्ड चैंपियनशिप में पहली बार जीत सेलिब्रेट की।

यहां से गुकेश की सक्सेस स्टोरी…

7 साल की उम्र में ‎खेलना शुरू किया था शतरंज‎ गुकेश का पूरा नाम डोम्माराजू गुकेश है। उनका ‎जन्म चेन्नई में रजनीकांत और पद्मा के घर हुआ ‎था। पिता पेशे से आंख, नाक और गला रोग ‎विशेषज्ञ डॉक्टर हैं जबकि मां माइक्रो बायोलाजिस्ट ‎हैं। पिता रजनीकांत क्रिकेट प्लेयर थे। कॉलेज के ‎दिनों में क्रिकेट खेलते थे। उन्होंने राज्य स्तरीय ‎सिलेक्शन के लिए ट्रॉयल भी दिए, लेकिन परिवार‎ के दबाव में क्रिकेट छोड़कर डॉक्टरी की पढ़ाई‎ करने लगे।

गुकेश 7 साल की उम्र में शतरंज‎ खेलने लगे थे। बेटे की रुचि को देखते हुए‎ रजनीकांत ने उन्हें खूब प्रेरित किया। खेल और‎ पढ़ाई के बीच सामंजस्य बनाने में दिक्कत न हो ‎इसलिए चौथी कक्षा के बाद नियमित पढ़ाई करने ‎से छूट दे दी। एक साक्षात्कार में रजनीकांत ने‎बताया कि गुकेश ने प्रोफेशनल शतरंज खेलना ‎शुरू करने के बाद से वार्षिक परीक्षा नहीं दी है।‎

गुकेश के करियर के लिए पिता ने नौकरी छोड़ी

गुकेश को इस मुकाम तक पहुंचाने के ‎लिए उनके माता-पिता को भी काफी ‎त्याग करने पड़े। जब गुकेश ने शतरंज में‎ बेहतर करना शुरू किया तो पेशे से‎ डॉक्टर पिता को नौकरी छोड़नी पड़ी।‎ दरअसल विदेश में टूर्नामेंट होने के ‎कारण वे मरीजों को समय नहीं दे पाते थे‎, ऐसे में उन्होंने अपना क्लीनिक बंद कर ‎दिया।

क्लीनिंक बंद होने से उनकी आय सीमित हो गई। गुकेश के ‎टूर्नामेंट और परिवार के खर्च का बोझ मां‎ पद्मा पर आ गया। उस समय गुकेश को‎ प्रायोजक नहीं मिल रहे थे जबकि विदेश ‎में टूर्नामेंट खेलने का खर्च बहुत अधिक ‎था। ऐसे में कई बार टूर्नामेंट में शामिल ‎होने के लिए उन्हें लोन तक लेने पड़े।‎

एक इंटरव्यू में गुकेश के पिता रजनीकांत ने विदेशी‎ टूर्नामेंट का एक किस्सा बताया था। ‎2021 में जब वे गुकेश को यूरोप लेकर‎ गए तब उन्हें भारत वापस आने में‎ लगभग 4 महीने लग गए। दरअसल‎ गुकेश ने इस दौरान 13 से 14 टूर्नामेंट ‎खेले। उन्हें 3 बार फ्लाइट छोड़नी ‎पड़ी। गुकेश को चेस के अलावा‎ क्रिकेट, बैडमिंटन जैसे खेल भी पसंद‎है। उन्हें खाने का बेहद शौक है। ‎

कैंडिडेट्स शतरंज टूर्नामेंट जीतने के बाद डी गुकेश (दाएं)।

कैंडिडेट्स शतरंज टूर्नामेंट जीतने के बाद डी गुकेश (दाएं)।

एक साल में लगभग‎ 250 टूर्नामेंट मैच खेलते हैं गुकेश: पिता पिता के अनुसार गुकेश एक साल में लगभग‎ 250 टूर्नामेंट मैच तक खेल लेते हैं जबकि दूसरे ‎खिलाड़ी 150 मैच भी नहीं खेल पाते।‎ यूरोप में एक टूर्नामेंट के दौरान पैसों की बचत के लिए‎ वे पिता के साथ एयरपोर्ट पर ही सो गए थे।‎ 2020 में कोरोना काल आर्थिक रूप से उनके‎ परिवार के लिए अच्छा साबित हुआ। शतरंज के ‎टूर्नामेंट ऑनलाइन हो रहे थे। ऐसे में ट्रैवल का खर्च ‎बचा। पिता को दोबारा हॉस्पिटल में काम मिला और ‎उनकी आर्थिक स्थिति ठीक होने लगी।‎

————————————————-

वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप की यह खबर भी पढ़िए…

18 साल के गुकेश शतरंज के नए वर्ल्ड चैंपियन

18 साल के भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश ने सिंगापुर में गुरुवार को वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप का खिताब जीत लिया। उन्होंने चीन के डिफेंडिंग चैंपियन डिंग लिरेन को 7.5-6.5 से फाइनल हराया। ऐसा करने वाले वह दुनिया के सबसे युवा प्लेयर बने। इससे पहले 1985 में रूस के गैरी कैस्परोव ने 22 साल की उम्र में खिताब जीता था। पढ़ें पूरी खबर

खबरें और भी हैं…

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *