नई दिल्ली6 मिनट पहले
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बेंगलुरु की पॉपुलर क्लाउड किचन कंपनी क्योरफूड्स IPO लाने की तैयारी कर रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, क्योरफूड्स को अपने इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) के लिए मार्केट रेगुलेटर SEBI से अप्रूवल भी मिल गया है।
क्योरफूड्स ईट फिट, केकजोन और क्रिस्पी क्रीम जैसे ब्रांड्स चलाती है। कंपनी का IPO से 800 करोड़ रुपए जुटाने का प्लान है। इस IPO में कंपनी नए शेयर जारी करेगी और कुछ निवेशक ऑफर-फॉर-सेल (OFS) में 4.85 करोड़ शेयर बेचेंगे। हालांकि, कंपनी के फाउंडर और CEO अंकित नागोरी इस IPO में अपने शेयर नहीं बेच रहे हैं।
कौन बेच रहा है शेयर?
IPO में हिस्सा बेचने वाले निवेशकों में आयरन पिलर, क्रिमसन विंटर, एक्सेल, चिराटे वेंचर्स और क्योरफिट हेल्थकेयर शामिल हैं। क्योरफिट हेल्थकेयर को मुकेश बंसल और अंकित नागोरी ने मिलकर शुरू किया था। सबसे ज्यादा 1.91 करोड़ शेयर्स आयरन पिलर बेच रहा है।
इसके बाद क्रिमसन विंटर (97.6 लाख शेयर), एक्सेल (45.7 लाख शेयर), और चिराटे वेंचर्स (36.6 लाख शेयर) का नंबर आता है। क्योरफिट हेल्थकेयर 12.8 लाख शेयर बेच रहा है। आयरन पिलर को इस बिक्री से सबसे ज्यादा फायदा होने की उम्मीद है। क्योंकि उनकी हिस्सेदारी की वैल्यू एक्सेल और चिराटे से 2.6 गुना ज्यादा है।

IPO के पैसों का क्या होगा?
क्योरफूड्स इस IPO से जुटाए गए फंड का इस्तेमाल नए क्लाउड किचन खोलने और इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर करने में लगाएगी। इसके अलावा कर्ज चुकाने, किराए के लिए डिपॉजिट, मार्केटिंग और ब्रांड बनाने में भी इस फंड का इस्तेमाल होगा। कंपनी के पास एक और विकल्प है कि वो IPO से पहले 160 करोड़ रुपए जुटा सकती है। जिससे नए शेयरों की संख्या कम हो सकती है।
कंपनी की फाइनेंशियल हालत कैसी है?
क्योरफूड्स ने पिछले दो सालों में अपनी कमाई को लगभग दोगुना कर लिया है। FY23 में कंपनी का रेवेन्यू 382 करोड़ रुपए था, जो FY25 में बढ़कर 746 करोड़ रुपए हो गया। लेकिन कंपनी अभी भी घाटे में है। FY25 में उसका नेट लॉस 170 करोड़ रुपए रहा, जो पिछले साल के बराबर है।
हालांकि, EBITDA लॉस 276 करोड़ से घटकर 58 करोड़ रुपए हो गया। फिर भी, कंपनी को हर 1 रुपए कमाने के लिए 1.27 रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। यानी कंपनी के लिए कैश बर्न अभी भी एक चुनौती है।
निवेशकों के लिए क्या जोखिम हैं?
क्योरफूड्स में निवेश करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है…
- कर्मचारियों का टर्नओवर: FY25 में कर्मचारी टर्नओवर 111.73% रहा, जो पिछले दो सालों में 120% से भी ज्यादा था। यानी कर्मचारी जल्दी-जल्दी कंपनी छोड़ रहे हैं।
- थर्ड-पार्टी पर निर्भरता: कंपनी की 82.2% कमाई स्विगी और जोमैटो जैसे प्लेटफॉर्म्स से आती है। इन प्लेटफॉर्म्स की पॉलिसी या कमीशन (18-22%) में बदलाव कंपनी के मुनाफे पर बड़ा असर डाल सकता है।
- क्योरफूड्स का ये IPO उन निवेशकों के लिए एक बड़ा मौका हो सकता है, जो फूड-टेक सेक्टर में दांव लगाना चाहते हैं। लेकिन कंपनी के घाटे और जोखिमों को देखते हुए सावधानी बरतना भी जरूरी है।
